दोस्तों अंग्रेज़ी में एक कहावत है कि Well begun is half done ।यदि हम कोई भी काम करते हैं तो हमारी हमेशा ही ये इच्छा होती है कि उसकी शुरूआत दमदार और शानदार हो।लेकिन सिर्फ़ शुरूआत अच्छी होने से ही काम नहीं चलता। हमारा अंत भी लाज़वाब होना चाहिए।किसी काम को यदि करें,तो ऐसा करें कि उसका ऐसा यादगार अंत करें कि उसे कोई भूला न पाए।
क्रिकेट में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है। ज़रूरी ये नहीं कि पारी की शुरुआत में पहले ओवर में शून्य पर दो विकेट गिर गए,पर ज़रूरी ये है कि हमने पारी को कितने रन बनाकर और कैसे खत्म किया।इसीलिए कहा जाता है कि शुरूआत मायने नहीं रखती,मायने रखता है फिनिश। क्रिकेट की दुनिया में एक से एक खिलाड़ी आए, जिन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई।
किसी को रन मशीन के नाम से जाना गया तो कोई जादूगर,कोई चेस मास्टर,तो कोई फिनिशर। कई खिलाड़ी तो ऐसे होते हैं जिनका प्रदर्शन हमेशा ही कंसिस्टेंट/निरंतर बढ़िया ही रहता है। वहीं कुछ खिलाड़ी ऐसे भी थे, जिनके करियर की शुरुआत बहुत ही निराशाजनक रही।लेकिन बाद में उन्होंने जो कमाल कर दिखाया, दुनिया भर में अपना नाम कमाया।
पंरतु कुछ खिलाड़ी ऐसे भी आए, जिन्होंने अपने करियर का आगाज़ बेहद ही ताबड़तोड़ अंदाज़ में किया।काफी सुर्खियां बटोरी,लेकिन आगे चलकर वे अपने करियर में इस कद्र फ्लॉप रहे कि किसी समय उनके नाम की माला जप तारीफों के पूल बांधने वाले फैंस को भी फिर उनके खेल में कोई रूचि नहीं रह गई।
आज नारद टीवी के इस नए एपिसोड में हम आपको कुछ ऐसे नामी खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे जिनके करियर की शुरूआत तो ब्लॉकबस्टर थी,परंतु अंत में वे सुपरफ्लॉप साबित हुए।
अब्दुल रज्जाक:
अब्दुल रज्जाक पाकिस्तान के उस हरफनमौला खिलाड़ी थे जिनमें टैलेंट की कोई कमी न थी, और एक महान खिलाड़ी बनने के उनमें सभी गुण दिखाई भी देते। यही कारण था कि किसी समय उन्हें पाकिस्तान का अगला इमरान खान कहा जाता था,और केवल 16 की आयु में पदार्पण कर इस खिलाड़ी ने सनसनी मचा दी थी ।
और उनके कई टॉप की परफॉरमेंस ने सबका ध्यान आकर्षित कर लिया।चाहे वो भारत के खिलाफ मैच में 50 रन और 5 विकेट हों या फिर ग्लैन मैकग्रा को एक ओवर में 5 चौके जड़ने, उन्होंने अपने ऑल राउंड प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया था,किसी समय स्टीफन फ्लेमिंग ने भी उनकी तारीफों के पूल बांधते हुए उन्हें बेस्ट हिटर कहा था।
लेकिन पहले चोटों ने उनकी गति को प्रभावित किया। जिससे उनका प्रदर्शन खराब होने लगा। लेकिन 2 मैचों ने उनकी छवि को बुरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया । पहले 2003 विश्व कप मुकाबले में भारत के खिलाफ मैच में जहाँ सचिन–सहवाग गेंदबाजों की खूब पिटाई कर रहे थे, रज्जाक ने सचिन का आसान सा कैच छोड़ दिया।
जिसके बाद वे पाकिस्तान पर खूब बरसे और एकतरफा अंदाज में मैच जीत लिया।इसके बाद उनकी काफ़ी आलोचना हुई और उनका टीम से अंदर बाहर चलता रहा। और फ़िर 2011 विश्व कप में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ़, वो मैच जिसे रॉस टेलर के विक्राल रूप और कीवी खिलाड़ियों की भयंकर हिटिंग के लिए याद रखा जाता है।
उस मुकाबले में अंतिम 5 ओवरों में 100 रन ठोक न्यूजीलैंड ने लाइव मैच को हाईलाइट बना दिया था। और उस दिन 49वें ओवर में टेलर ने रज़्ज़ाक की गेंदों को उधेड़ कर रख दिया।उनकी ताबड़तोड़ हिटिंग देखकर यही लगा कि रज़्ज़ाक के साथ हुआ मज़ाक। जहाँ उन्हें एक ओवर में 30 रन पड़ गए।
इस दिन जो गालियां और आलोचनाएँ रज्जाक को मिली, उसने उनके सारे अच्छे खासे करियर का सत्यानाश करके रख दिया। इसके बाद उन्हें न ही अधिक मौके मिले, और न ही उनका करियर और आगे जा पाया। धीरे धीरे उनका नाम क्रिकेट से अलोप सा हो गया।एक महान दिखने वाले करियर का इतना मामूली अंत शायद ही किसी ने सोचा हो। रज़्ज़ाक ने अपने करियर में कुल 46 टैस्ट,265 ओडीआई और 32 टी 20 खेले।
भुवनेश्वर कुमार:
भुवनेश्वर कुमार भारत के वो स्विंग किंग हैं जिन्होंने अपने कैरियर की पहली गेंद से ही अपनी लहराती गेंदों से दुनियाभर के दिग्गज बल्लेबाजों को काफ़ी तंग किया। अपने ओडीआई करियर की पहली ही गेंद पर मोहम्मद हफीज़ को लाज़वाब इनस्विंग गेंद से बोल्ड कर भूवी ने रिकॉर्ड बना दिया था।
उनकी स्विंग से पार पाना बड़े बड़े बल्लेबाजो के लिए काफ़ी समस्या पेश करता। यही कारण था कि सेना देशों में वे काफी घातक साबित हुए।और जिन पिचों पर स्विंग नहीं भी होती, वहां इन्होंने अपनी काबिलियत और स्किल के दम पर मूवमेंट से बल्लेबाजों को पवेलियन चलता किया।
तीनों फॉर्मेट में लगातार वर्षों निरंतर सफ़लता प्राप्त करने वाले भूवी के करियर में पिछले कुछ वर्षों में चोटों ने काफ़ी खलल डाला। इससे उनका रिदम भी बिगड़ा और गति भी और कम हो गई।अब भुवि उतने कारगर नहीं रहे, जितने खतरनाक वे किसी समय हुआ करते थे। अब प्रतीत होता है कि इसी वर्ष हुए एशिया कप में पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ़ उनकी फ्लॉप डेथ गेंदबाज़ी से चयनकर्ताओं और मैनेजमेंट के मन और स्कीम से वे उतर चुके हैं/बाहर हो चुके हैं।
और क्योंकि वे बल्ले से भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाते। और अब गेंद से भी अधिक विकेट नहीं निकाल पा रहे।अभी उनकी आयु भले ही केवल 32 है,लेकिन पिछले 2 टी 20 विश्व कप में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं था। उन्हें अधिक विकेट नहीं मिले।और न ही वे अधिक रन रोकने में कामयाब रहे।
इस विश्व कप भी वे कमज़ोर टीमों के खिलाफ़ ग्लेन मैकग्रा से लगे,लेकिन बड़ी टीमों के आगे क्लब बॉलर से प्रतीत हुए।अब क्योंकि न ही उनके पास पेस है,और न ही खास यॉर्कर।और वे निरंतर प्रदर्शन भी नहीं कर पा रहे। उनकी आम गति भी स्लोअर वन ही लगती है। जिसके चलते उन्हें भागता स्पिनर तक कहा जाने लगा है।
यही कारण है कि वे फास्ट बालिंग पिच पर भी फ्लॉप रहते हैं।और इस वर्ष दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ बुरी तरह रन खाने के बाद ओडीआई से उनका पत्ता पहले ही साफ हो गया।और अब उनकी फिटनेस वैसे भी टैस्ट में खेलने के अनुकूल नहीं है। टी 20 में भी लगभग उनका करियर खत्म ही माना जा रहा है।
अब ऐसा प्रतित होता है कि केवल 21 टैस्ट,121 एकदिवसीय और 85 टी 20 खेलने वाले इस स्टार खिलाड़ी को रोशनी कहीं गायब हो गई है।और अब उनका करियर लगभग खत्म माना जा रहा है।
शोएब अख्तर:
दोस्तों दुनिया का सबसे तेज़ गेंदबाज़ है शोएब अख्तर। जिन्होंने सबसे पहले 100 मील के दायरे को पार किया।रावलपिंडी एक्सप्रैस के नाम से मशहूर पाकिस्तान के पूर्व एक्सप्रेस तेज़ गेंदबाज़ शोएब अख्तर ने बल्लेबाजों को अपनी पेस और खूंखार गेंदबाज़ी से हिलाकर रख दिया था। विश्व के नामी खिलाड़ी भी उन्हें खेलने से कतराते थे।
शोएब के नाम दुनिया की सबसे तेज़ गेंद डालने का रिकॉर्ड दर्ज है(161.3)। उनकी तेज़ गति से आती स्विंगिग यॉर्कर, कान के पास से सीटी बजाती निकलती बाउंसर और किसी भी गेंद पर विकेट को उखाड़ फेंकने की उनकी क्षमता बल्लेबाजों के लिए बड़ा सिरदर्द था। अपने पूरे कैरियर बल्लेबाजों के लिए दहशत के तौर पर जाना गया ये घातक गेंदबाज़ अक्सर बल्लेबाजों को फेंटे और रगड़े देने की बातें किया करता।
लेकिन रावलपिंडी एक्सप्रैस अपने आखरी अंतरराष्ट्रीय मैच में बुरे तरीके से फ्लॉप रही। मैच था न्यूजीलैंड बनाम पाकिस्तान,2011 विश्व कप। जब बर्थडे ब्वॉय रॉस टेलर क्रीज पर सेट हो चुके थे और न्यूजीलैंड को दरकार थी एक बड़े ओवर की। लेकिन ये ओवर इतना बड़ा हो जायेगा, ये किसी ने न सोचा था।
मैदान के चारों ओर चौकों छक्कों की बारिश कर रॉस टेलर ने अपने जन्मदिन पर इस पाकिस्तानी दिग्गज को फेंटा और रगड़ा दोनों लगा दिया। साथ ही, उन्हें रिटायरमेंट लेने पर मजबूर कर दिया। उस दिन शोएब अख्तर के पास रिटायरमेंट के अलावा कोई और चारा न था और ये मुकाबला उनका आखरी अंतरराष्ट्रीय मैच साबित हुआ।
46 टैस्ट, 163 ओडीआई और 19 टी 20 खेलने वाले इस लाजवाब क्रिकेटर के करियर का अंत एक नाइटमेयर सा रहा।
रविचंद्रन अश्विन:
रविचंद्रन अश्विन विश्व के सबसे चतुर और होशियार स्पिनरों में शुमार हैं जिन्होंने अपने लाज़वाब मिश्रण और विविधताओं से विश्वभर के बल्लेबाजो को चकमा दिया।उनकी कैरम बॉल को पढ़ने में बल्लेबाजों काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लगातार मैच जीताऊ प्रदर्शन कर भारत को कई मुकाबलों में सिकंदर बनाने वाले इस खिलाड़ी ने अपने करियर में कई यादगार स्पैल किए।
हालांकि कलाई के स्पिनरों की गजब की सफ़लता और उनके चलन से,फिंगर स्पिनर होने के कारण अश्विन 2017 से ही वाइट बॉल फॉर्मेट से टीम से बाहर हो गए थे। हालांकि घरेलू क्रिकेट में अच्छा खेल 2021 के विश्व कप में उनका टीम में चयन हुआ। और वहां किए गए उनके कमाल के प्रदर्शन ने काफ़ी प्रभावित किया।
सच कहें तो चयनकर्ताओं के प्लान का हिस्सा हैं युवा खिलाड़ियों का जत्था, जो लंबी रेस के घोड़े हों। और उनका उत्तराधिकारी वॉशिंगटन सुंदर को माना जाता है।लेकिन उनके लगातार चोटिल होने के चलते वे इस वर्ष के विश्व कप से भी बाहर हो गए , और अश्विन को दोबारा एक लंबे समय के बाद विश्व कप की टीम में शामिल किया गया।
लेकिन पहले के विपरीत,इस विश्व कप में वे अपनी गेंदबाज़ी से कोई खास छाप छोड़ने में नाकाम रहे। और दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के खिलाफ़ मैच में उनकी फीकी गेंदबाजी में न केवल धार की कमी नजर आई, उन्हें अधिक विकेट भी नहीं मिले।और चहल से ऊपर प्राथमिकता देना उन्हें काफी महंगा पड़ा।
ऐसे में अब अश्विन इस विश्व कप के विलियन साबित हुए। जिसके चलते अब उन्हें व्हाइट बॉल में आगे मौका मिलना असंभव है।उनका इस टूर्नामेंट में परफ़ॉर्म न करना, एक तरह से इस अव्वल गेंदबाज के कैरियर को ले डूबा।और यदि ये 36 वर्षीय खिलाड़ी अब सन्यास भी ले तो फैंस को खुशी हो होगी।
युवराज सिंह :
सिक्सर किंग के नाम से मशहूर पूर्व भारतीय दिग्गज युवराज सिंह हमेशा से ही अपनी क्लीन हिटिंग की क्षमता के लिए विख्यात रहे हैं। क्रिकेट बॉल के स्वीटेस्ट टाइमर रहे युवी ने अपने पहले अंतरराष्ट्रीय मैच में ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ 2000 के चैंपियन्स ट्रॉफी मुकाबले में 84 रन की मैन ऑफ़ द मैच पारी खेल काफी वाहवाही बटोरी थी।
साथ ही गेंद के साथ भी उन्होंने खूब जलवा बिखेरा। अपने लाज़वाब स्ट्रोकप्ले और गजब की फील्डिंग के दम पर सबके दिलों में छाने वाले युवी अपनी निरंतरता से सुपरस्टार बन गए थे।और 2007 के टी 20 विश्व कप में स्टुअर्ट ब्रॉड को 6 छक्के जड़ इतिहास रच पीक पर चल रहे युवी ने कोहराम मचा दिया था।और भारत के लिए सबसे तेज़ टी 20 अर्धशतक जड़ा।
इसके अलावा 2011 के विश्व कप में भी भारत के सिर वर्ल्ड चैंपियन का ताज रखने में युवी ने बहुत अहम योगदान दिया। टॉप की परफॉरमेंस कर मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट बने युवी ने अपने टैलेंट और काबिलियत के साथ साथ अपनी मानसिक दृढ़ता का परिचय पूरी दुनिया को दिया।जब वेस्टइंडीज के खिलाफ़ खून की उलटी के बावजूद उन्होंने शतक लगाकर भारत को मैच जीताया।
लेकिन कैंसर ने युवी को हिलाकर रख दिया। उनके करियर को ये घातक बीमारी दीमक की तरह खा गई। इसके बाद भले ही युवी ने वापसी की,लेकिन वो उन्हें काफ़ी महंगी पड़ी।वे अब पहले की तरह इफैक्टिव नहीं रहे।और न ही वैसे परफॉरमेंस कर सके। और टी 20 विश्व कप 2014 फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ़ उनकी 21 गेंदों में थकेलेे 11 रन की पारी भारत की हार का प्रमुख कारण बनी थी
जिसने उन्हें विलियन बना दिया, और उन्हें तमाम लोगों से हेट/नफ़रत और आलोचनाएँ दी। न ही वे 2016 के विश्व कप में कुछ कमाल कर पाए।और इस प्रदर्शन से उनके फैंस उनसे बेहद नाराज़/खफा हो गए। और कैंसर के बाद युवी का करियर पूर्णत ढलान की ओर गया। चयनकर्ताओं ने भी उन्हें नजरंदाज करना शुरू कर दिया।
कभी भारतीय क्रिकेट का सबसे बड़ा ऐसेट रहा ये स्टार खिलाड़ी देखते ही देखते टीम के लिए नासूर/लायबिलिटी बन गया और उन्होंने गुमनामी के समंदर में 2019 के विश्व कप में न चुने जाने पर सन्यास की घोषणा कर दी।इस दिग्गज के सुनहरी करियर का अंत बद से बत्तर हुआ,जो कि काफ़ी दुखदाई था।युवराज ने अपने करियर में कुल 40 टैस्ट,304 ओडीआई और 58 टी 20 खेले।
तो दोस्तों ये थे वो क्रिकेटर्स जो करियर की शुरूआत में सुपरहिट,लेकिन आगे चलकर सुपरफ्लॉप साबित हुए।। आज की वीडियो में इतना ही।यदि आप इसका दूसरा पार्ट पर वीडियो देखना चाहते हैं तो प्लीज कमेंट कर हमें बताएं।