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Damini: वो फिल्म जिसने सनी देओल को एक्शन हीरो बनाया

Bollywood Movie Damini Unknown Facts and Story

बॉलीवुड के ऐक्शन हीरोज़ की जब भी बात होती है तो ढेरो नाम हमारी आँखों के सामने आ जाते हैं जिनमें ऐन्ग्री मैन अमिताभ बच्चन और ही मैन धर्मेन्द्र के अलावा मिथुन चक्रवर्ती, संजय दत्त, सनी देओल, अजय देवगन, अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी जैसे कई सारे ऐक्टर्स के नाम भी शामिल हैं।

दरअसल 70 के आख़िर तक आते-आते ऐक्शन का जादू कुछ ऐसा छाया कि उस दौर के लगभग हर ऐक्टर ने ऐक्शन में अपना हाथ आजमाया और यह सिलसिला आज तक बदस्तूर ज़ारी है। हालांकि यह भी सच है कि बतौर ऐक्शन हीरो कामयाबी हर किसी को नसीब न हो सकी लेकिन जो कामयाब हुए उनका जादू अब तक बरकरार है

और दर्शक भी उन्हें बार-बार ऐक्शन करते हुए ही देखना पसंद करते हैं। बतौर रोमांटिक हीरो अपना करियर शुरू करने वाले ऐक्टर सनी देओल ने जब ऐक्शन रोल करना शुरू किया तो वो उसमें ख़ूब जँचे और ऐक्शन फ़िल्मों के दौर में अपनी एक अलग जगह बनाने में कामयाब हुए।

सनी देओल की ऐक्शन फ़िल्मों की अगर बात करें तो सुपरहिट फ़िल्म घायल से पहले भी और गदर एक प्रेमकथा के बाद भी उनकी दर्जनों फ़िल्मों के नाम गिनाये जा सकते हैं लेकिन आज हम जिस फ़िल्म की चर्चा करने वाले हैं, असल मायने में उसने ही सनी देओल को एक ऐक्शन हीरो से भी कहीं ज़्यादा पावरफुल बनाने में सबसे ख़ास भूमिका निभाई थी और उस फ़िल्म का नाम है ‘दामिनी’।

सनी देओल की पहचान बन गया उनका ‘ढाई किलो के हाथ वाला’ डॉयलॉग इसी फ़िल्म का है जिसे आज भी लोग दोहराते ही रहते हैं। फ़िल्मी फैक्ट्स के अंतर्गत आज हम 90 के दशक में आयी इसी बेहतरीन फ़िल्म से जुड़ी ढेरों जानकारियाँ आपके लिए लेकर आये हैं, जिसे देखने के लिये आपको बने रहना होगा हमारे साथ शुरू से अंत तक।

 

नमस्कार दोस्तों…

 

निर्माता निर्देशक राजकुमार सन्तोषी द्वारा निर्देशित फ़िल्म दामिनी 30 अप्रैल 1993 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी और इस फ़िल्म का निर्माण किया था एली मोरानी, करीम मोरानी और बंटी सूरमा ने। न्याय के लिये एक औरत के बगावत और कानूनी दाँव-पेच से रूबरू कराती यह फ़िल्म शुरुआत में धीमी चली थी लेकिन माउथ पब्लिसिटी की वज़ह से इसके दर्शक बढ़ते चले गये और फ़िल्म को ज़बरदस्त कामयाबी हासिल हुई।

Damini Movie
Damini Movie

 

कहानी व संवाद-

फ़िल्म की स्टोरी लिखी थी सुतानू गुप्ता ने और डॉयलॉग्स दिलीप शुक्ला ने लिखे थे। फ़िल्म में एक ऐसी महिला की कहानी को दिखाया गया है जो दुष्कर्म की शिकार घर की नौकरानी को इंसाफ दिलाने के लिए न सिर्फ परिवार और समाज के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ती है, बल्कि अपने उस पति को भी छोड़ने से पीछे नहीं हटती है जिसे वह जान से भी ज़्यादा प्यार करती है   कैसे लड़ती है।

बताया जाता है कि यह कहानी हॉलीवुड की टीवी फिल्म “साइलेंट विटनेस” का रीमेक है जिसमें सनी देओल के किरदार और दामिनी के मानसिक अस्पताल जाने के सीन को जोड़ कर हिंदी दर्शकों के लिये तैयार किया गया था, जो कामयाब भी हुआ। फ़िल्म दामिनी न सिर्फ सनी देओल के करियर की बेहद ख़ास फ़िल्म है बल्कि इसे ऐक्ट्रेस मीनाक्षी शेषाद्री के सबसे बेहतरीन किरदार के लिये भी याद किया जाता है साथ ही इसे हिंदी सिनेमा के इतिहास की सबसे बेहतरीन महिला प्रधान फिल्मों में से भी एक माना जाता है।

 

इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट जितनी तगड़ी थी उसके डॉयलॉग्स भी उतने ही दमदार थे। चाहे वो सनी देओल द्वारा बोले गये ‘तारीख़ पे तारीख़’ और ‘ढाई किलो का हाथ’ वाला डॉयलॉग हो या कोर्ट में अमरीश पुरी से बहस के दौरान बोली गयी एक एक लाइन्स, सभी अपना असर छोड़ने में कामयाब रहे हैं। इसके अलावा भी परेश रावल द्वारा बोले गये “वक़्त पे शादी न करो तो आदमी बहक ही जाता है।” जैसे ढेरों डॉयलॉग्स बीच-बीच में सुनने को मिलते ही रहते हैं, जो दर्शकों को फ़िल्म से जोड़कर रखने का काम करते हैं।

 

कलाकार व किरदार-

फ़िल्म में ऋषि कपूर, मीनाक्षी शेषाद्रि, सनी देओल और अमरीश पुरी मुख्य भूमिकाओं में  हैं। हालांकि आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि इस फ़िल्म के लिये ऋषि कपूर वाली भूमिका पहले जैकी श्रॉफ को ऑफर की गयी थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया। बताया जाता है कि राजकुमार संतोषी ने उनको लेकर यह कह दिया था कि जैकी ज़्यादातर बड़े भाई की भूमिका निभाते थे और इस बात से जैकी को काफी बुरा लगा था।

 

बताया जाता है कि उस दौरान मीनाक्षी शेषाद्री और राजकुमार संतोषी के बीच कुछ अनबन चल रही थी, यहाँ तक कि मीनाक्षी ने संतोषी के साथ भविष्य में काम करने तक से इनकार कर दिया था जिस कारण संतोषी ने मीनाक्षी की जगह ऐक्ट्रेस डिंपल कपाड़िया से संपर्क किया था। इधर ऋषि कपूर इस बात पर अड़ गये कि अगर फ़िल्म में डिंपल होंगी तो वह काम नहीं करेंगे। इसके बाद संतोषी श्रीदेवी के पास गये, लेकिन उनकी फीस संतोषी के बजट से बाहर जा रही थी इसलिए वहाँ भी बात न बन सकी।

अंत में हारकर संतोषी और मीनाक्षी में सुलह करायी गयी और फाइनली दामिनी का किरदार मीनाक्षी को ही मिला। हालांकि संतोषी इस फ़िल्म की कहानी फ़िल्म ‘हिना’ से हिंदी फ़िल्मों में कदम रखने वाली पाकिस्तानी ऐक्ट्रेस जेबा बख़्तियार को भी सुनाना चाहते थे लेकिन उनके सेक्रेटरी खालिद मोहम्मद ने पहले ही इनकार कर दिया था।

Sunny Deol Damini
Sunny Deol Damini

कैसे बना सनी देओल का किरदार-

यह फ़िल्म सनी देओल के करियर की टर्निंग प्वाइंट भी मानी जाती है। इस फिल्म में नोटिस करने वाली बात यब है कि इसमें ऋषि कपूर और मीनाक्षी शेषाद्रि ने मुख्य भूमिका निभायी थी और सनी देओल ने स्पेशल अपीयरेंस दिया था लेकिन उनका रोल इतना पावरफुल बन गया कि इसके लिये उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।

दरअसल फिल्म में पहले सनी देओल का रोल सिर्फ केमियो ही था और वे केवल सेकेंड हाफ में ही दिखाई दिए थे। मज़े की बात कि पहले उनके डायलॉग्स भी बहुत कम थे लेकिन शूटिंग के समय जब उन्होंने डायलॉग्स बोले तो मेकर्स को लगा कि सनी देओल के डॉयलॉग्स और सीन बढ़ाना फ़िल्म के लिये फ़ायदेमंद साबित हो सकता है, जो हुआ भी।

फ़िल्म में सनी देओल के आते ही एक जान सी आ जाती है और वे पूरी तरह से फ़िल्म में छा जाते हैं। बताया जाता है कि ऋषि कपूर इस बात पर काफी नाराज़ थे कि सनी देओल के किरदार के बारे में उन्हें पहले नहीं बताया गया था। दरअसल राजकुमार संतोषी ने जब ऋषि कपूर को अपनी स्क्रिप्ट सुनाई थी तो फिल्म में तीन नायक थे।

एक तो ऋषि कपूर का किरदार, दूसरा वकील और तीसरा एक शराबी का किरदार था। वकील के किरदार में ओम पुरी थे और शक्ति कपूर शराबी का किरदार निभाने वाले थे। बाद में संतोषी ने उन दोनों किरदारों को मिक्स कर एक दमदार किरदार बना दिया जो शराबी भी होता है और वकील भी, जिसके लिये ओम पुरी को ही लेने का फ़ैसला किया गया।

लेकिन इस बार मामला उनकी फीस को लेकर अटक गया जिसके बाद संतोषी ने सनी देओल को सेलेक्ट कर लिया। ख़ैर नाराज़गी के बाद भी ऋषि कपूर ने अपने रोल को चैलेंज के तौर पर लिया और फ़िल्म में ज़बरदस्त काम किया।

 

दोस्तों राजकुमार संतोषी ने प्लान किया था कि जिस तरह फ़िल्म ‘घायल’ में ओम पुरी को एक सरप्राइज के रूप में दिखाया गया था ठीक वैसे ही सनी देओल दामिनी में एक सरप्राइज एलीमेंट हो सकते हैं। लेकिन ऐसा हो न सका क्योंकि डिस्ट्रीब्यूटर्स ने पूरे शहर में सनी देओल के बड़े-बड़े पोस्टर लगा दिए। ख़ुद संतोषी भी इस बात से निराश थे कि ऋषि कपूर को नजरअंदाज कर दिया गया था और ऋषि कपूर के पोस्टर भी छपवाने चाहिए थे।

 

फ़िल्म में अन्य ख़ास भूमिकाओं में कुलभूषण खरबंदा, टीनू आनंद, रोहिणी हट्टंगड़ी, पराजकता दीघे, अश्विनी कौशल, विजेन्द्र घाटके और परेश रावल जैसे कई ऐक्टर नज़र आये थे। इसके अलावा फ़िल्म में गेस्ट रोल के तौर पर ऐक्ट्रेस रवीना टंडन को भी लिया गया था जिन्हें सनी देओल के फ्लैशबैक में उनके साथ एक गाने और कुछ सीन्स में नज़र आना था लेकिन शूटिंग के बाद भी फ़िल्म की लंबाई को ध्यान में रखते हुए उनके किरदार को एडिट करके हटा दिया गया था। इसके अलावा फ़िल्म के शुरुआत में एक गाने में आमिर ख़ान भी गेस्ट रोल में मीनाक्षी शेषाद्री के साथ गाते नाचते दिखे थे।

Suuny Deol and Amrish Puri Damini
Suuny Deol and Amrish Puri Damini

संगीत-

फ़िल्म की स्टोरी और डॉयलॉग्स के साथ-साथ फ़िल्म के गाने भी बहुत ही ख़ूबसूरत थे जो बेहद कामयाब भी हुए थे। गीतकार समीर के लिखे गीतों को अपने कर्णप्रिय संगीत से सजाया था उस दौर के मशहूर संगीतकार जोड़ी नदीम- श्रवण ने और फ़िल्म के गीतों को गाया था कुमार सानू, अलका यज्ञनिक और साधना सरगम ने।

फ़िल्म के सबसे ख़ास गीत है “गवाह है चाँद तारे गवाह हैं” जिसके पीछे एक बड़ी लम्बी और दिलचस्प कहानी है। दोस्तों यह जानकर आपको ताज़्ज़ुब होगा कि इस गीत की धुन पर लता मंगेशकर से लेकर ऊषा उत्थप तक पहले ही गीत गा चुकी हैं और लता जी का वर्जन यूट्यूब पर उपलब्ध भी है।

दरअसल दामिनी फ़िल्म के इस गीत में अफ्रीका के सिंगर बोनी एम मलाइका के मशहूर गीत मलाइका की धुन को इस्तेमाल किया गया है और मज़े की बात कि इससे पहले भी साल 1983 में बप्पी लाहिरी ने अपने एल्बम ‘सुपरूना’ में ‘पुकारो तुम कहाँ हो’ गीत में इस धुन का इस्तेमाल किया था जिसे गाया था बांग्लादेश की मशहूर सिंगर रूना लैला ने।

बाद में साल 1992 में प्रोड्यूसर मुकेश भट्ट की एक फ़िल्म के लिये संगीतकार नदीम-श्रवण ने ”चांद तारे गवाह हैं” गीत बनाया और फिर से उसी धुन को लिया। हालांकि वह फ़िल्म तो न बन सकी लेकिन नदीम श्रवण ने दामिनी के प्रोड्यूसर्स को वह धुन सुनायी जो उन्हें पसंद आ गयी।

 

बजट और कमाई-

90 के दशक की शुरुआत में बनी इस फ़िल्म की लागत लगभग 2.05 करोड़ रुपये थी और इस फ़िल्म की भारत में कमाई लगभग 6.5 करोड़ थी। वर्ल्डवाइड कलेक्सन की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 11.7 करोड़ रुपये थी जिसे आज के दौर के हिसाब से देखा जाये तो यह आँकड़ा 100 करोड़ के आस-पास का ही है।

 

अवाॅर्ड-

एक बेहतरीन फ़िल्म होने के बावज़ूद इस फ़िल्म को जितने अवाॅर्ड मिलने की उम्मीद की जा रही थी उतने तो न मिल सके फिर भी साल 1994 के फ़िल्मफ़ेयर अवाॅर्ड की ओर से बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड राजकुमार संतोषी को और बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्टर का अवाॅर्ड सनी देओल को मिला था। इसके अलावा इस फ़िल्म की जो सबसे बड़ी उपलब्धि थी वह थी साल 1994  के नेशनल अवाॅर्ड की ओर से सनी देओल को बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्टर का अवॉर्ड मिलना। हालांकि यह ताज्जुब की बात है कि बेहतरीन परफॉर्मेंस के बावज़ूद भी ऐक्ट्रेस मीनाक्षी शेषाद्री को फ़िल्मफेयर की ओर से भी अवाॅर्ड नहीं मिला। जिसकी वज़ह से मीनाक्षी के साथ साथ उनके फ़ैन्स को भी काफी निराशा हुई थी।

Damini Scene
Damini Scene

अन्य फैक्ट्स-

1- राजकुमार संतोषी और सनी ने तीन फिल्मों ‘घायल’, ‘दामिनी’ और घातक में साथ काम किया है जो सनी के करियर की बेहतरीन फिल्में मानी जाती हैं। कम लोगों को ही पता होगा कि घायल फ़िल्म के ज़रिये पहली बार डायरेक्शन का मौक़ा राजकुमार संतोषी को सनी देओल ने ही अपने बैनर में दिया था। उससे पहले संतोंषी डायरेक्टर गोविन्द निहलानी के असिस्टेंट हुआ करते थे।

घायल के बाद से ही संतोंषी और सनी की बॉंडिंग बन गयी थी, हालांकि बाद में दोनों में विवाद हो गया और उन्होंने साथ में दोबारा काम नहीं किया। यहाँ तक कि जब सनी देओल ने घायल वन्स अगेन बनायो तो उसमें भी संतोषी को मौक़ा नहीं दिया।

 

2- फ़िल्म में ऋषि कपूर की मां का किरदार ऐक्ट्रेस रोहिणी हट्टंगड़ी ने निभाया था जो असल ज़िंदगी ऋषि की हमउम्र ही थीं।

 

3-यह फ़िल्म राजकुमार संतोषी के साथ ऋषि कपूर की पहली और आखिरी फिल्म साबित हुई जबकि उसी साल सनी देओल के साथ ऋषि की एक और फ़िल्म रिलीज़ हुई थी जिसका नाम था “इज्जत की रोटी’ उसके बाद ऋषि और सनी ने भी कभी साथ में कोई काम नहीं किया।

 

4- यह इकलौती ऐसी फिल्म थी जिसमें आमिर ख़ान ने सनी देओल और मीनाक्षी के साथ काम किया था। हालांकि इस फ़िल्म में आमिर और सनी के एक साथ कोई भी सीन नहीं थे। जबकि बॉक्स ऑफिस पर तीन- तीन बार दोनों की फ़िल्में साथ में रिलीज़ हो चुकी हैं और मज़े की बात कि दोनों की ही फ़िल्में हर बार कामयाब रही हैं।

 

5- इस फ़िल्म की कामयाबी का आलम यह था कि मुंबई के एक टॉकीज में इंटरवल तक करंट शो की टिकट बेचने के लिये विंडो ओपेन रखी जाती थी क्योंकि सनी देओल की एंट्री के बाद सेकेंड हाफ में भी दर्शकों की भीड़ आने की संभावना बनी ही रहती थी।

 

6- यह फिल्म असल में 6 महीने में ही कम्पलीट हो गयी थी और इसे दिसंबर 1992 में ही रिलीज़ किये जाने की प्लानिंग थी। लेकिन मुंबई में हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण नवंबर 1992 से मार्च 1993 के बीच कोई भी फ़िल्म रिलीज़ नहीं हुई थी। मार्च 1993 में ही मुंबई में सिलसिलेवार बम विस्फोट भी हुए थे जिसके एक-डेढ़ महीने बाद इस फ़िल्म को रिलीज़ किया गया था।

Damini Scene (2)
Damini Scene (2)

रीमेक-

इस फिल्म के कई भाषाओं में कई रीमेक बने थे। तेलुगू में ‘उर्मिला’, तमिल में ‘प्रियंका’, उड़िया में नारी ‘नुहेन तू नारायणी’ औ बांग्लादेश में ‘सॉट्टीर बिजॉय’ जैसी दामिनी कई रीमेक फ़िल्में बनीं । साल 1993 में ही बनी दामिनी की रीमेक तमिल फिल्म प्रियंका को साल 1994 में हिंदी में भी डब किया गया था।

 

कुछ सालों पहले ख़बर आयी थी कि सनी देओल भी फिल्म ‘दामिनी’ का रीमेक बनाने की सोच रहे हैं। ख़बरों के मुताबिक दामिनी फिल्म के राइट्स जो कि शाहरुख़ खान की कंपनी रेड चिली एंटरटेनमेंट के पास हैं और उन्होंने सनी देओल को फिल्म ‘दामिनी’ के रीमेक बनाने के राइट्स भी दे दिए हैं। अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि सनी देओल अपने बेटे करण देओल के करियर सँवारने के लिये ‘दामिनी’ का रीमेक बनाने वाले हैं क्योंकि उनकी पहली फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ बॉक्स ऑफिस पर कुछ ख़ास कमाल नहीं दिखा सकी थी।

 

बहरहाल इस रीमेक में कोई भी ऐक्टर हो उसे देखना दिलचस्प ही होगा बशर्ते की स्क्रिप्ट में वही कसाव रहे जो ओरिजिनल दामिनी में था।

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