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मुकेश रावल: रामानंद सागर रामायण के विभीषण की कहानी

दोस्तों आज एक बार फिर बात होगी भारतीय टेलीविशन के इतिहास के सबसे कालजई धारावाहिक रामनन्द सागर रामायण की . नारद टीवी पर  इससे पहले रामायण पर ना जाने कितनी बातें हो चुकी है रामायण के  कलाकारों के बारे में नारद टीवी ने आप सब तक सबसे सच्ची जानकारी पहुंचाई . रामायण के एक और भूले बिसरे सितारे की कहानी .जिन्होंने रामायण में  बिभीषण की भूमिका इतनी शिद्दत से निभाई की लोग आज भी इनके इस किरदार के लिए इन्हे याद करते हैं . जी हाँ हम बात कर रहे हैं  मुकेश रावल की  जो  की गुजरती सिनेमा जगत के एक जाने माने अभिनेता थे साथ ही साथ इन्होने कई बॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी बेहतरीन अभिनय से लोगों का दिल जीता .

 

Mukesh Rawal As Vibhishan In Ramanand Sagar Ramayan

मुकेश जी का जन्म सन १९५० में  महाराष्ट्र मुंबई में हुआ था .इनके पिता रविशंकर रावल जी  बैंक ऑफ़ बरोदा के कर्मचारी थे .मुकेश जी अपने माता पिता के तीन संतानों में सबसे बड़े थे .उसके बाद इनके दो भाई देवेश और चंद्रेश .इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा  G  H हाई स्कूल  बोरी बलि  से संपन्न की   .आगे की पढाई इन्होने पोदार कॉलेज माटुंगा से  पूरी की .

वो साल था 1968 और इसी साल इन्होने पोदार कॉलेज के एक ड्रामा कम्पटीसन में हिस्सा लिया .ड्रामा का नाम था आनु नाम ते नाटक .इसके बाद तो मुकेश जी की दिलचस्पी अभिनय की तरफ बढ़ती चली गयी . और इन्होने inter  कॉलेज  स्तर पर होने वाले ड्रामा कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेना शुरू कर दिया .

ये इनके अभिनय का ही कमाल  था की उस साल इन्हे हर ड्रामा कॉम्पिटिशन में बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला . ये सिलसिला यहीं नहीं रुका बल्कि कॉलेज में हर साल होने वाले कॉम्पिटिशन में इन्हे बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिलता रहा .पर ड्रामे से ही तो  घर का खर्चा चलने वाला नहीं था जीविकोपार्जन के लिए कुछ ना कुछ तो करना पड़ता सो इन्होने अपने पिता जी के कहने पर बैंक ऑफ़ बरोदा में नौकरी ज्वाइन कर ली .

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और वो साल था १९७१ .नौकरी चल रही थी पर इन्होने ड्रामा नहीं छोड़ा .नौकरी के बाद जो भी समय मिलता ये उसे थिएटर में दिया करते .इसी बीच इन पर नज़र पड़ी कांतिमाड़िया जी की जो की  गुजराती थिएटर के बड़े मशहूर डायरेक्टर थे .

इन्होने अपने एक नाटक अमे बरस न पंखी   में मुकेश जी को मैन हीरो के रूप में चुना जिसमें मुकेश जी के अपोजिट थी गुजराती सिनेमा की जानी मानी अभिनेत्री सुजाता मेहता .इसके बाद इनके का सफर बड़ी मजबूती से आगे बढ़ता चला गया .इसी बीच जब गुजराती फिल्मों का दौर जब शुरू हुआ तो मुकेश जी गुजराती फिल्म निर्माताओं की पसंद बनकर उभरे .

इन्होने कई गुजराती फिल्मों में भी काम किया .पर थिएटर का साथ नहीं छोड़ा.फ़िल्में और थिएटर साथ साथ चल रहे थे .और आइये अब आपको बतातें हैं वो किस्सा जिसने इनके अभिनय के करियर को यादगार बनमा दिया .बात है १९८६ की जब रामानंद सागर अपने नए धारावहिक रामायण के लिए  कलाकारों की तलाश में थे

और इसी सिलसिले में वो इंडियन नेशनल थिएटर पहुंचे जहाँ वो मुकेश जी के अभिनय से इतने प्रतभावित हुए की उन्होंने इन्हे रामायण में काम करने का ऑफर दे दिया .मुकेश जी देखकर रामानंद सागर जी ने पहले ही ये मन बना लिया था की मुकेश जी को विभीषण का किरदार देंगे फिर भी उन्होंने मुकेश जी की इक्छा जांननी चाही बोले कौन सा किरदार करोगे

..मुकेश जी ने कहा इंद्रजीत का ..रामानंद सागर जी ने इनके दो स्क्र्रीन टेस्ट लिए एक इंद्रजीत और दूसरा विभीषण जिसमें सबसे अच्छा परिणाम विभीषण वाले किरदार का ही आया और अंत में ये निर्णय लिया गया की विभीषण का किरदारब कोई निभाएगा तो वो हैं मुकेश रावल .

Mukesh Rawal

रामानंद सागर जी दूरदर्शिता बिलकुल सटीक बैठी और विभीषण के किरदार ने मुकेश रावल को रातो रात प्रसिद्धि दिला दी. रामायण के बाद इन्होने दूरदर्शन के और कई धारवहिकों में काम तो किया ही साथ ही साथ बॉलीवुड फिल्मों के दरवाजे भी इनके लिए खुल गए .तिरंगा, कोहराम , ज़िद औज़ार आदि कई बॉलीवुड फिल्मों में इन्होने अपनी बेहतरीन अदायगी से लोगों का दिल जीता .सब कुछ अच्छा चल रहा था .

मुकेश जी पत्नी सरला से  इनकी  तीन संताने थीं   दो बेटियां और एक बेटा . बात सं २००0 की है इसी बीच कुछ ऐसा वाकया हुआ जिसने मुकेश जी को अंदर से तोड़ कर रख दिया ..उनका बेटा द्विज जो की मात्र १८ साल का था कॉलेज से घर लौटते समय उसकी ट्रैन से गिरकर मौत हो गयी. एक बाप का अपने जवान बेटे को कन्धा देने का दुःख क्या होता है ये आप लोग अंदाज़ा लगा सकते हैं .

  .२००१ में इन्होने अपनी बैंक वाली नौकरी से भी रिटायरमेंट ले लिया .समय बीतता गया और मुकेश जी अपने इस दुःख को धीरे धीरे भूलने लगे थे ..ये इनकी ज़िंदादिली थी की इन्होने अभिनय का साथ नहीं छोरा..थिएटर , गुजरती सिनेमा ,,हिंदी फ़िल्में और धारावहिकों के माध्यम से इनके अभिनय का सफर चलता रहा ..फिर २०१६ में कुछ ऐसा हुआ जिसने पुरे हिन्दुस्तानियों के दिलों को झकझोर कर रख दिया .

१६ नवंबर के सुबह साढ़े नौ बजे इनकी डेड बॉडी कांदिवली रेलवे ट्रैक के पास मिली जिसने भी ये खबर सुनी सन्न रह गया .दरअसल मुकेश जी एक गुजराती फिल्म की डबिंग करने घर से निकले थे जल्दबाजी में रेलवे ट्रैक पार करते समय ये एक ट्रैन की चपेट में आ आ गए जहाँ तुरंत इनकी मृत्यु हो गयी . मीडिया में ऐसी भी अफवाहे उडी की इन्होने आत्महत्या की है

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..लेकिन इस वीडियो को देखने के बाद आपको मलूम चल ही गया होगा की ऐसा ज़िंदादिल इंसान कभी आत्महत्या नहीं कर सकता .मुकेश जी की दोनों बेटियाँ विप्रा और आर्या भी  एक्ट्रेस हैं जिन्होंने बहुत सारी टीवी सेरिअल्स में काम किया है .

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Anurag Suryavanshi

Anurag Suryavanshi is a famous and social personality. The founder of the popular YouTube channel Naarad TV, he is a famous YouTube influencer and has millions of fan followers.

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