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कहानी इंग्लैंड के हीरो बेन स्टोक्स की : Biography in hindi

इंग्लैंड के हीरो बेन स्टोक्स की कहानी
बेन स्टोक्स इंग्लैंड के हीरो की कहानी

बेन स्टोक्स : दोस्तों कहते हैं कि सफल होने के लिए  इस दुनिया में अनगिनत नियम है और इन्हीं अनगिनत नियमों में से एक ये भी है कि सफल होने के लिए किसी व्यक्ति को अपने वर्तमान में रहना जरूरी होता है। अपनघ पिछली उपलब्धियों और नाकामयाबियों को भुलाकर आगे बढ़ने वाला शख्स ही इस दुनिया में बेहतरीन सफलता प्राप्त कर सकता है।

आज की क्रिकेट में इस नियम को अपनी जिंदगी में उतारकर विश्व क्रिकेट के सबसे बड़े आलराउंडर बनकर निकले एक खिलाड़ी का नाम बेन स्टोक्स है जिन्हें आज पुरी दुनिया एक चैम्पियन के तौर पर जानती है।

Ben Stokes Hindi Biography
Ben Stokes Hindi Biography

जन्म और करियर :-

4 जून साल 1991 के दिन न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में पिता ग्रियार्ड स्टोक्स और मां डेबा स्टोक्स के घर उनकी इकलौती संतान बेंजामिन एंड्रू स्टोक्स का जन्म हुआ था जिन्हें आज की दुनिया बेन स्टोक्स के नाम से बेहतर जानती है।

स्टोक्स के पिता अपने समय के रग्बी खिलाड़ी थे और कहा जाता है कि उनकी मां भी क्रिकेट खेला करती थी, स्टोक्स को इस तरह क्रिकेट के खेल में महारतता विरासत में मिली थी।

बेन स्टोक्स की मां ने दो शादियां की थी उनके पहले पति का नाम रिचर्ड डन था जिनसे डेबा ने कुछ समय बाद तलाक ले लिया था, इस तलाक के बाद जब रिचर्ड को यह पता चला कि डेबा रग्बी खिलाड़ी ग्रियार्ड से नजदिकियां बढ़ा रही हैं तो रिचर्ड बौखला गया और इसी बौखलाहट और बेरोज़गारी की परेशानी में जकड़े रिचर्ड ने अपने चार साल के बेटे एंड्रू और आठ साल की बेटी ट्रेसी का साल 1988 में कत्ल कर दिया था।

इंग्लैंड की मशहूर पत्रिका द सन की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया था और उस रिपोर्ट में यह भी लिखा गया था कि रिचर्ड ने इससे पहले अपने घर को आग लगाने का काम भी किया था।

इन सब बातों से परेशान होकर डेबोरा ने ग्रियार्ड से विवाह कर लिया था।

बेन स्टोक्स को क्रिकेट के खेल में दिलचस्पी जहां उनकी मां से मिली थी तो वहीं इस खेल में डटे रहने का जज्बा और जुनून स्टोक्स को उनके पिता की देन है।

दरअसल स्टोक्स के पिता इंग्लैंड के वर्किगंटन रग्बी क्लब की तरफ से खेला करते थे और एक मैच के दौरान उनके एक हाथ की बीच वाली अंगुली की हड्डी उखड़ गई थी जिसके बाद ग्रियार्ड  पुरा सीजन दो अंगुलियों को टेप से बांधकर खेलते रहे।

इसके बाद डाक्टर ने ग्रियार्ड को सर्जरी के लिए कहा लेकिन ग्रियार्ड की आर्थिक स्थिति उन्हें इस बात की मंजूरी नहीं देती थी इसलिए उन्होंने सर्जरी की बजाय अपनी अंगुली कटवा ली और खेलना जारी रखा।

बेन स्टोक्स की उम्र जब 12 साल की थी तब उनके पिता को अपने उसी पुराने रग्बी क्लब की तरफ से हेड कोच बनने का बुलावा आया था इसलिए उन्होंने न्यूजीलैंड से अपना सामान उठाया और इंग्लैंड आ गए और तब से बेन स्टोक्स यहीं के होकर रह गए थे।

बेन स्टोक्स ने क्रिकेट खेलना कब और कैसे शुरू किया इसके बारे में बात करते हुए बेन स्टोक्स बताते हैं कि उन्हें क्रिकेट का खेल हमेशा से आकर्षित करता लेकिन 14 साल की उम्र तक वो रग्बी का खेल अधिक खेला करते थे।

वो रग्बी को अधिक समय दे तो रहे थे लेकिन उनका मन इस खेल में नहीं लग रहा था, रग्बी के खेल में मिली हार और जीत उन्हें बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करती थी।

क्रिकेट में अपनी दिलचस्पी को देखते हुए बेन स्टोक्स ने इस खेल में अपना करियर बनाने के लिए इंग्लैंड की कुकरमाउथ स्कूल में दाखिला ले लिया और कुकरमाउथ क्रिकेट क्लब की तरफ से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।

साल 2006 तक आते आते बेन स्टोक्स की छिपी प्रतिभा जगजाहिर हो गई थी जब उन्होंने इस साल 15 साल की उम्र में नोर्थ लेंकाशायर और कम्ब्रिया क्रिकेट लीग प्रीमियर डिवीजन टाइटल अपने नाम कर लिया था।

इसके बाद बेन स्टोक्स के माता-पिता न्यूजीलैंड में अपने घर वापस आ गए थे लेकिन स्टोक्स इंग्लैंड में ही रह गए और जल्द ही उनका डोमेस्टिक करियर भी शुरू हो गया था।

साल 2009 में अपने प्रोफेशनल क्रिकेट करियर की तिसरी गेंद पर मार्क रामप्रकाश की विकेट के चलते अब बेन स्टोक्स को हर कोई पहचानने लगा था।

इसी साल बांग्लादेश अंडर नाईनटीन टीम के खिलाफ दो टेस्ट मैच खेलते हुए स्टोक्स ने अर्धशतक लगाकर एक बड़े मंच पर भी अपनी काबिलियत को सिद्ध कर दिया था जिसके बाद अगले साल इस खिलाड़ी ने इंडिया अंडर नाईनटीन टीम के खिलाफ वर्ल्डकप में खेलते हुए शतकीय पारी खेली थी।

बेन स्टोक्स शुरू से ही क्रिकेट के खेल में एक आलराउंडर के तौर पर खेलने लगे थे और दशक पुरा होते होते इंग्लैंड की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी जगह भी लगभग तय लगने लगी थी।

बेन स्टोक्स लगातार आगे बढ़ते चले जा रहे थे, साल 2010 में डरहम के लिए खेलते हुए बेन स्टोक्स ने एमसीसी के खिलाफ अपना पहला फस्ट क्लास क्रिकेट मैच खेला और यहां भी अर्धशतक लगाया, आगे स्टोक्स डरहम के कुछ खिलाड़ियों के चोटिल होने के कारण अपनी टीम के लिए हर फोर्मेट में खेलते रहे जहां लगातार अच्छे प्रदर्शन ने इन्हें इंग्लैंड की नेशनल क्रिकेट टीम के सलेक्शन बोर्ड के बीच भी चर्चा का विषय बना दिया था।

इसी चर्चा का परिणाम रहा कि अगले ही साल 25 अगस्त के दिन स्टोक्स को इंग्लैंड के लिए खेलते हुए

आयरलैंड के खिलाफ वनडे डेब्यू करने का मौका मिला जहां इनका प्रदर्शन इनकी काबिलियत के मुताबिक नहीं रहा था।

5 दिसंबर साल 2013 के दिन स्टोक्स इंग्लैंड के लिए टेस्ट खेलने वाले 658 वें खिलाड़ी बने और इन्हें आस्ट्रेलिया के खिलाफ एशेज के दौरान अपना पहला टेस्ट खेलने का मौका मिल गया।

इस सीरीज में स्टोक्स ने अपनी काबिलियत के मुताबिक प्रदर्शन किया और सीरीज में कुल 279 रन और 15 विकेट अपने नाम कर इंग्लैंड टीम के लिए एक भरोसेमंद आलराउंडर बन गए।

इंग्लैंड यह एशेज सीरीज बुरी तरह से हार गई थी लेकिन यहां से इस टीम को अपने भविष्य का सबसे बड़ा सितारा मिल गया था जिसने पांचवें टेस्ट मैच में अपने टेस्ट करियर का बेस्ट बोलिंग प्रदर्शन करते हुए 99 रन देकर छह विकेट लिए थे साथ ही स्टोक्स इस सीरीज में शतक लगाने वाले इंग्लैंड के एकमात्र बल्लेबाज भी रहे थे।

इतना सब होने के बाद आगे साल 2014 आंकड़ों के अनुसार बेन स्टोक्स के करियर का सबसे बुरा साल साबित हुआ, इस साल मार्च के महीने में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलते हुए बेन स्टोक्स एक टी20 मैच में पहली ही गेंद पर आउट हो गए थे जिसके बाद गुस्से में इन्होंने ड्रेसिंग रूम में मौजूद एक लोकर को मुक्का मारकर अपनी कलाई इंजर्ड करवा ली थी जिसके चलते ये उस साल हुए टी20 वर्ल्ड कप से भी बाहर हो गए थे, इस घटना पर चुटकी लेते हुए इनके साथी खिलाड़ियों ने इनका नाम हार्ट लोकर रख दिया था।

इसके बाद भी इस साल स्टोक्स के लिए बुरी खबरों का सिलसिला जारी रहा और भारत के खिलाफ लगातार तीन बार शून्य पर आउट होने के बाद इन्हें 2015 विश्व कप से भी बाहर कर दिया गया था।

साल 2015 में बेन स्टोक्स ने शानदार वापसी की और आस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में इंग्लैंड के सबसे बड़े परफोर्मर बनकर निकले, इस सीरीज के दुसरे मैच में बेन स्टोक्स वनडे क्रिकेट में इंग्लैंड के पहले ऐसे खिलाड़ी बन गए जिन्हें गेंद को हाथ से रोकने पर आउट दिया गया था।

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इसी साल पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज के पहले टेस्ट में बल्ले और गेंद दोनों से शानदार प्रदर्शन करने के बाद स्टोक्स ने शानदार प्रदर्शन साउथ अफ्रीका के खिलाफ भी जारी रखा और सीरीज के दुसरे टेस्ट में अपने करियर की

की सबसे बेहतरीन पारी खेलते हुए 258 रन बनाए जिसमें तीस चौके और ग्यारह छक्के शामिल थे।

बेन स्टोक्स ने इस मैच में अपना दोहरा शतक 167 गेंदों में पुरा किया था जो टेस्ट क्रिकेट इतिहास का दुसरा सबसे तेज दोहरा शतक था, इसके बाद अगले मैचों में स्टोक्स ने गेंद से भी शानदार प्रदर्शन किया और लगातार पांच विकेट लेकर इंग्लैंड को सीरीज जिताने में कामियाब रहे थे।

आगे स्टोक्स का भारत के खिलाफ भी प्रदर्शन शानदार रहा लेकिन अगले दो साल इस अच्छे खिलाड़ी को बेहतरीन बनाने वाले थे, इन दो सालों में स्टोक्स जहां इंग्लैंड टीम के सबसे बड़े विलेन बने तो वहीं साल 2017 में अपनी हरकतों की वजह से पुरी दुनिया के सामने ईनकी बैड ब्वाय वाली छवि भी उभर आई थी।

साल 2016 टी20 विश्वकप फाइनल इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था जिसमें आखिरी ओवर में विंडिज को जीतने के लिए 19 रनों की आवश्यकता थी और इंग्लिश कप्तान ने गेंद स्टोक्स के हाथों में थमा दी, इसके बाद जो हुआ उसे बताने की जरूरत शायद नहीं है, लगातार चार छक्के उस ओवर में ब्रेथवेट के बल्ले से निकले और इंग्लिश टीम में सबसे बड़े आलराउंडर के रूप में उभर रहा यह खिलाड़ी अचानक अपने देश के लिए विलेन बन गया था।

इस साल स्टोक्स के लिए राहत की बात यह रही कि इस साल उनका ओवरोल प्रदर्शन शानदार रहा था जिसे देखते हुए इंग्लैंड के कोच ने इन पर भरोसा जारी रखा और इन्हें लगातार अपनी टीम में जगह मिलती रही।

लेकिन साल 2017 में हुए एक घटनाक्रम ने इनका करियर लगभग खत्म कर दिया था, इस साल वेस्टइंडीज से खेलते हुए एक सीरीज के बीच में स्टोक्स को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था क्योंकि उन्हें एक नाइटक्लब के बाहर रात को नशे में आम लोगों से लड़ते हुए देखा गया था।

पुलिस थाने से छूटने के बाद उन्होंने अपने कोच से माफी भी मांगी थी लेकिन इसके बाद भी उन्हें सीरीज के अगले दो मैचों से बाहर कर दिया गया था।

स्टोक्स इससे पहले भी कुछ विवादों का हिस्सा रह चुके थे और इसके बाद भी यह सिलसिला जारी रहा साल 2011 में उन्हें पुलिस नाके पर बदसलूकी करते हुए पकड़ा गया था जिसके चलते उन्हें पुरी रात जेल में रहना पड़ा था।

साल 2017 वाले केस से बरी होने के बाद स्टोक्स में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला उन्होंने अपना पुरा ध्यान अपने खेल पर लगा दिया था और यहां बेन स्टोक्स का स्वर्णिम काल शुरू होता है।

साल 2017 में सभी विवादों से अलग बेन स्टोक्स ने बल्ले और गेंद से शानदार प्रदर्शन किया था जिसमें वेस्टइंडीज के खिलाफ लोर्डस स्टेडियम पर खेलते हुए शतक और छः विकेट उनका सबसे यादगार प्रदर्शन कहा जा सकता है।

अगले साल भी उनका यह प्रदर्शन जारी रहा जिसके बाद आया साल 2019 विश्व कप जिसमें स्टोक्स ने लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम को फाइनल तक पहुंचा दिया था जहां उनका मुकाबला अपने पैतृक वतन न्यूजीलैंड से होने वाला था, स्टोक्स ने यहां भी अपना योगदान इंग्लैंड को दिया और शानदार अर्धशतकीय पारी खेलकर पहले तो मैच को सुपरओवर तक पहुंचाया और फिर सुपरओवर में उतरकर इंग्लैंड को पहली बार विश्व चैंपियन बना दिया था।

तीन साल पहले इंग्लैंड वासियों की नजरों में शूल की तरह चुभने वाला खिलाड़ी अब विश्व कप फाइनल में मैन ऑफ द मैच अवार्ड विनिंग पारी से सभी की आंखों का तारा बन गया था।

आगे बेन स्टोक्स कई बार टीम से अंदर बाहर भी होते रहे कभी अपने पिता की हालत के चलते तो कभी किसी और कारण के चलते लेकिन वर्ल्ड क्रिकेट में उनका स्थान अब सबसे ऊंचा बन गया था।

साल 2019 एशेज में हेडिंग्ले टेस्ट के दौरान आस्ट्रेलिया के जबड़े से जीत निकाल लाने वाली इनकी उस पारी ने बेन स्टोक्स को टेस्ट क्रिकेट में भी हमेशा के लिए अमर कर दिया था।

ऐशेज के स्वर्णिम इतिहास की वह ऐतिहासिक पारी आज भी हर क्रिकेट प्रशंसक के रोंगटे खड़े कर देती है।

अगले दो सालों में हर मंच पर यह खिलाड़ी बेस्ट बनकर निकला फिर चाहे वो आईपीएल हो या फिर इंटरनेशनल क्रिकेट, अपने शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें इंग्लिश टीम का वाईस कप्तान और फिर कप्तान भी बनाया गया और एक कप्तान के तौर पर साल 2021 में स्टोक्स ने एक बिल्कुल ही अनुभवहीन टीम का नेतृत्व कर कप्तानी के क्षेत्र में भी खुद को बेहतरीन साबित करके दिखाया था।

बात करें स्टोक्स की निजी जिंदगी के बारे में तो इन्होंने साल 2017 को क्लेयर रेटक्लिफ से विवाह किया था जिनसे इन्हें दो बच्चे हैं।

बेन स्टोक्स अब तक 74 टेस्ट मैच और 101 वनडे मैच खेल चुके हैं जिनमें इनके रनों का आंकड़ा क्रमश 4732 और 2871 हैं।

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