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क्या 22 साल बाद फिर से मचेगा Box Office पर गदर |

15 जून 2001 | दिन शुक्रवार | ये दिन हिंदी फिल्म इतिहास (History) में सुनहरे (Golden) अक्षरों (Letters) में दर्ज है | उस दिन कुछ ऐसा हुआ था जिसके चलते बॉक्स ऑफिस हिल उठा था | देश भर के थियेटरों (Theaters) में मारा मारी का माहौल था | टिकट खिड़की (Window) पर लोग टूटे जा रहे थे | थियेटरों ने इतना रेला उस दौर (Era) में तो नहीं ही देखा था | अगर सरल शब्दों में कहा जाये तो गदर मचा था गदर | जैसा नाम वैसा काम ये कहावत सच साबित हुई थी | उस फिल्म ने देखते ही देखते तमाम रिकॉर्ड (Record) ध्वस्त (Demolished) कर दिए थे | और उस फिल्म का नाम था गदर एक प्रेम कथा | सही मायनों में ये एक फिल्म एक कथा न होकर गाथा (Sonnet) थी | गाथा प्रेम की, गाथा यकीन की, गाथा जूनून की, गाथा बलिदान की, गाथा देशभक्ति की | एक ऐसी गाथा जिसे देख के आज भी खून खौल उठता है रोयें खड़े हो जाते हैं और नस नस में जोश भर जाता है | बाईस साल बाद फिर से उसी गाथा को फिर से लिखने की तैयारी हो चुकी है | थियेटर तैयार हैं | एडवांस बुकिंग रिपोर्ट जबर्दस्त है | लेकिन क्या गदर 2 बाईस साल पुराना जादू बिखेर पायेगी? क्या एक और गदर बन सकती है? क्या फिर से बॉक्स ऑफिस पर वही गदर मच सकता है? ये वो सवाल हैं जो मेकर्स से लेकर दर्शकों तक के दिलो दिमाग को मथ रहे होंगे | आज के पोस्ट में हम इसी सवाल के जवाब को ढूढने की कोशिश करेंगे | तो बने रहिये हमारे साथ पोस्ट के शुरू से अंत तक |

Gadar 2

हम गदर एक प्रेम कथा के उन मजबूत पहलुओं की बात करेंगे जिनके चलते फिल्म ब्लाकबस्टर बनी थी | इन्हीं पहलुओं में ये राज भी छिपा है कि क्या गदर 2 को गदर जैसी सफलता नसीब हो पायेगी |

1. अनिल शर्मा – डायरेक्टर

यूँ तो अनिल शर्मा की पहचान गदर से ही है लेकिन फिल्म डायरेक्शन (Direction) में वो बहुत पहले से थे | उन्होंने साल 1981 में फिल्म श्रद्धांजली से बतौर राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर (Producer) अपने कैरियर (Career) की शुरुआत की थी | अनिल शर्मा की पहली फिल्म ही ब्लाकबस्टर (Blockbuster) साबित हुई थी | इसके बाद इन्होने तमाम फ़िल्में किन लेकिन वो जादू नहीं दोहरा सके | 1992 में आई फिल्म तहलका के बाद शर्मा ने डायरेक्शन से तौबा कर ली | हाँ फ़िल्में जरूर प्रोड्यूस (Produce) करते रहे | 1998 में उन्होंने फिल्म महाराजा में फिर से डायरेक्शन (Direction) में हाथ आजमाए | और फिर साल 2001 में आई उनकी कालजयी (Classic) फिल्म ग़दर एक प्रेम कथा | इस फिल्म ने न केवल कामयाबी के झंडे गाड़ दिए बल्कि उन्हें भी डायरेक्टर्स की फेहरिस्त (List) में आगे के पायदान (Footboard) पर खड़ा कर दिया |

लेकिन इस फिल्म के बाद उनका कैरियर एकदम से लड़खड़ा (Wobble) गया | गदर के बाद उन्होंने कई फ़िल्में डायरेक्ट कीं लेकिन एक भी बार गदर जैसी सफलता के आस पास भी नहीं फटक सके | सनी देओल को लेकर बनाई द हीरो लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई, सिंह साहब दी ग्रेट फ्लॉप (Flop) रही वहीं मल्टी स्टारर (Starter) अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों, वीर भी कुछ खास नहीं कर सकी | हाँ देओल फैमिली को लेकर बनाई फिल्म अपने जरूर सफल रही |

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साल 2018 में अनिल शर्मा ने अपने बेटे उत्कर्ष शर्मा को फिल्म जीनियस से लांच (Launch) किया | लेकिन फिल्म डिजास्टर (disaster) साबित हुई | अब सवाल ये है जिस डायरेक्टर ने पिछले बाईस सालों में महज छह फ़िल्में डायरेक्ट की हों जिनमे से पांच पांच फ्लॉप या डिजास्टर साबित हुई हों क्या उनसे वही उम्मीद की जानी चाहिए जैसी फ़िलहाल हम सब कर रहे हैं |

अनिल शर्मा ने भले ही गदर जैसी फिल्म दी हो लेकिन अगर हम उनके कैरियर को देखें तो कुछ बातें काबिले (Capable) गौर हैं | अव्वल तो गदर की सफलता के बाद से उनकी फिल्मों का टॉपिक एक सा रहा है | उनकी हर फिल्म में देशभक्ति का तड़का लगाया गया शायद जानबूझकर इस उम्मीद में कि गदर जैसी सफलता फिर से मिल सके | वहीं देओल परिवार के साथ इनका इतना अच्छा रिश्ता है कि गदर से पहले वो धर्मेन्द्र को लेकर फ़िल्में बनाते रहे तो गदर से सनी देओल उनकी फिल्मों का अटूट (Unbreakable) हिस्सा रहे |

स्टार को दोहराना तो फिर भी ठीक है लेकिन स्टोरी या प्लाट का दोहराव उन्हें केवल असफलता (Failure) ही दे गया | कहीं ऐसा तो नहीं कि अनिल शर्मा लगातार असफलता के चलते एक सफल फिल्म की उम्मीद में गदर 2 जैसी फिल्म लेकर आ रहे हैं | वो ये बात बखूबी जानते हैं कि गदर से लोगों के इमोशंस (Emotions) जुड़े हुए हैं | लेकिन वो शख्स जो लगातार खुद को रिपीट (Repeat) कर रहा हो और बाईस साल और छह फिल्मों के बाद भी असफल ही रहा हो उससे गदर जैसी सफलता की उम्मीद बेमानी ही लगती है | बॉर्डर फिल्म को भला कौन भूल सकता है | जे पी दत्ता की इस फिल्म ने इतिहास रच दिया था | लेकिन जब इन्ही जे पी दत्ता ने बॉर्डर को रिपीट करने की कोशिश की तो वो नाकामयाब (Failed) ही रहे | फिर चाहे वो LOC कारगिल हो या रिफ्यूजी (Refugee) या फिर पलटन | बॉर्डर जैसी फिल्म बनाने की कई कोशिशों के बावजूद सफलता ने उनके दरवाजे पर दस्तक नहीं दी | यही हाल सूरज बडजात्या का भी हुआ | हम आपके कौन ने सफलता के वो पैमाने स्थापित किये कि वहाँ तक पहुंचना किसी के लिए सपना (Dream) ही हो सकता है | लेकिन अफ़सोस खुद सूरज बडजात्या बार बार इसकी कोशिश करते रहे | हम आपके हैं कौन के पांच साल बाद साल 1999 में वो हम साथ साथ हैं लेकर आये लेकिन असफल रहे | फिर विवाह और एक विवाह ऐसा भी के जरिये भी वही जादू दोहराने की कोशिश की लेकिन कामयाबी उनसे दूर ही रही |

ऐसे में इस बात पर शक होना लाजमी है कि बतौर डायरेक्टर अनिल शर्मा उन्हीं नोड्स (Nodes) को छू पाएंगे जिनके चलते गदर ब्लाक बस्टर बनी थी | क्योंकि गदर जैसी फ़िल्में सदियों (Centuries) में एक बार ही बना करती हैं उन्हें चाहकर भी कभी दोबारा नहीं बनाया जा सकता भले ही बनाने वाले वही हों | अगर नीयत दोहराव और ऊँगली पकड कर सफलता की छाँव ढूढने की है तो ये दाँव (Stake) उल्टा भी पड़ सकता है | हालांकि हर सिक्वेल (Sequel) असफल हुआ हो ऐसा भी नहीं है | लगे रहो मुन्ना भाई, टाइगर जिन्दा है, तनु वेड्स मनु रिटर्न्स जैसी फिल्मों ने सबित किया है कि सिक्वेल ओरिजिनल से बेहतर भी हो सकता है | और बतौर (As) दर्शक (Audience) हम गदर 2 से यही उम्मीद भी रखते हैं |

 

2. स्टारकास्ट

गदर सनी देओल के कैरियर (Career) की सबसे सफल फिल्म साबित हुई | फिल्म में जब जब उन्होंने अशरफ अली सहित पाकिस्तानियों को ललकारा (Challenged) तब तब थियेटर (Theater) हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारों से गूँज उठता | ये सनी पाजी ही थे जिन्होंने तारा सिंह के रोल (Role) को इतना मजबूत बना दिया कि उन्होंने जो जो किया उस पर हर कोई यकीन करता गया | यहाँ तक की जब उन्होंने जमीन में गड़े हैण्डपम्प को ही उखाड़ डाला तब भी लोगों को कोई हैरानी नहीं हुई | लेकिन अफ़सोस सनी भी इस सफलता को दोहरा नहीं सके | गदर के बाद उनकी ज्यादातर फ़िल्में फ्लॉप (Flop) ही रहीं | वक्त की साथ उनकी फ़िल्में भी कम होती गईं | शायद सनी देओल ने भी हवा के रुख को भांप लिया था तभी वो राजनीति (Politics) में कूद पड़े | फ़िलहाल वो पंजाब के गुरदासपुर से लोकसभा सीट से सांसद हैं | हालाँकि गदर से एक बार उन्हें मौका मिला है तारा सिंह बनकर अपना डूबता हुआ कैरियर बचाने का |

वही बात अगर अमीषा पटेल की करें तो उनके लिए तो हालात एकदम ही अलग हैं | अपनी दूसरी ही बॉलीवुड फिल्म से सफलता की सीढियाँ चढ़ जाने वाली अमीषा पर जल्दी ही फ्लॉप हिरोइन का ठप्पा (Stamp) भी लग गया था | उन्होंने अपने कैरियर में फ़िल्में तो बहुत कीं लेकिन उनके खाते में फ्लॉप (Flop) वाली लिस्ट (List) ही लम्बी होती रही | बाद के दिनों में तो उन्हें छोटे छोटे रोल ही करने पड़े | फ़िलहाल तो वो खाली ही बैठी थीं |

ऐसे में सनी और अमीषा दोनों को ही अपने तारा सिंह और शकीना के किरदार को वापस जीने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी | दोनों ने ही गदर में अपने किरदार कुछ यूँ जिए थे कि वो लोगों के दिलो दिमाग में उतर गये थे | दोनों ने ही इतने ऊँचे स्टैण्डर्ड (Standard) सेट कर दिए थे कि अब उसे दोबारा निभा पान खुद उनके लिए ही चुनौती है | गदर 2 में वो ऐसी दोधारी तलवार के निशाने पर हैं जो जरा सी चूक भी इनके इरादों को छलनी कर सकती है | सनी और अमीषा दोनों को ही एक सेट फ्रेम के दायरे में ही काम करना पड़ेगा | क्योंकि गदर 2 देख चुका दर्शक उन्हें कोई रियायत नहीं देगा |

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एक और किरदार जिसकी बात करना यहाँ जरूरी है | डायरेक्टर अनिल शर्मा के बेटे उत्कर्ष शर्मा | गदर में जीते का किरदार निभाने वाले उत्कर्ष अब बड़े हो चुके हैं | गदर में मासूम से बच्चे का किरदार निभाकर उन्होंने दर्शकों (Audience) का मन मोह लिया था लेकिन अब हालात जुदा हैं | दर्शक उनकी एक्टिंग (Acting) को जज (Judge) करेंगे | उनकी पहली फिल्म जीनियस बॉक्स ऑफिस पर इस कदर डिजास्टर (Disaster) साबित हुई थी कि दूसरी फिल्म कभी आई ही नहीं | गदर 2 के जरिये अनिल शर्मा अपने बाप होने का फर्ज (Duty) भी अदा कर रहे हैं | सब जानते हैं कि उत्कर्ष सनी या अमीषा के सामने कहीं भी नहीं ठहरते | वो ट्रेलर में ही फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी नजर आते हैं | माना कि गदर 2 में मुख्य कलाकार वही रखे हैं जो मूल फिल्म में थे लेकिन ऐसी कोई मजबूरी भी नहीं थी | सनी और अमीषा की जगह तो कोई ले ही नहीं सकता लेकिन उत्कर्ष के बारे में यही बात नहीं कही जा सकती | अगर उत्कर्ष एक्टिंग में फीके पड़ते हैं तो फिल्म पर फरक पड़ना तय है | क्योंकि गदर के हर एक कैरेक्टर (Character) ने अपनी ऐसी छाप छोड़ी थी कि आजतक उनके किरदार सबके मन में रचे बसे हैं |

बाकी अमरीश पूरी साहब को तो कोई रिप्लेस (Replace) कर नहीं सकता | जब जब गदर का जिक्र होगा तब तब अशरफ अली का किरदार (Character) निभाने वाले अमरीश पुरी का वो खौफ़नाक चेहरा आँखों के सामने आएगा | अच्छी बात ये रही कि मेकर्स (Makers) ने भी इन्हें रिप्लेस करने की नहीं सोची | वैसे भी जो चीज हो नहीं सकती उसे करने का कोई फायदा नहीं |

इसमें कोई दोराय नहीं कि इस बार चुनौतियाँ (Challenges) कहीं ज्यादा बड़ी और कड़ी हैं | लेकिन फिल्म में एक ऐसी मजबूत (strong) स्टार कास्ट मौजूद है जो चुनौतियों से जूझने का माद्दा (Materiality) रखती है | हम उम्मीद के उजले पक्ष की तरफ खड़े हैं | हम मानते हैं कि चुनौतियाँ से खेलकर ही ये कलाकार सफल हुए हैं | और इस बार भी ये सफल होंगे |

 

3. म्यूजिक

फिल्म गदर 1947 में हुए भारत पाकिस्तान बंटवारे पर आधारित (Based) थी | उस ज़माने के हिसाब से संगीत देना एक बहुत बड़ी चुनौती थी | अब उस दौर का संगीत तो 2001 में चलने से रहा लेकिन अगर संगीत में उस दौर की सौंधी महक न होती तो भी वो फीलिंग्स न आती | फिल्म का संगीत देने के लिए चुना गया उत्तम सिंह को | उत्तम सिंह ने अपना कैरियर सत्तर (Seventy) के दशक (Decade) में बतौर म्यूजिक असिस्टेंट दिया था | गदर से पहले वो दिल तो पागल है के जरिये अपना जादू बिखेर चुके थे | लेकिन दोनों ही फिल्मों के मूड में जमीन आसमान का अंतर था | और जब गदर रिलीज (Release) हुई तब वो सबकी जुबां पर चढ़ गया | चाहे वो उड़ जा काले कांवा का ठहराव हो या मैं निकला गड्डी लेके का जोश, फिल्म के सारे गाने आइकोनिक (Iconic) हिट (Hit) साबित हुए | फिल्म का संगीत फिल्म की जान बन गया | आज भी सनी देओल की जहाँ कहीं भी एंट्री होती है बैक ग्राउंड में यही गाने बज रहे होते हैं |

गदर 2 में भले ही सारे मुख्य किरदार वही कलाकार निभा रहे हैं जो गदर एक प्रेम कथा में थे | लेकिन इसके बावजूद इस फिल्म की आत्मा इसका संगीत देने वाले उत्तम सिंह इस बार इस फिल्म का हिस्सा नहीं हैं | ये बड़ी हैरानी की बात है कि वो शख्स जिसने इस फिल्म को तमाम ऊँचाइयाँ बख्शीं वही सिक्वेल (Sequel) का हिस्सा नहीं हैं | हालाँकि गदर 2 में उड़ जा काले कांवा और मैं निकला गड्डी लेके गाने को जरूर री क्रिएट किया गया है | गाने ठीक भी लगते हैं | दोनों ही गानों को मिथुन ने री क्रिएट किया है | लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या री क्रिएट किये गये ये गाने लोगों के दिलो दिमाग पे वही छाप छोड़ सकेंगे जैसा असली गानों ने छोड़ा था | असल तो असल ही होता है | कुछ चीजें ऐसी बन जाया करती हैं जिन्हें चाहकर भी दोबारा नहीं बनाया जा सकता | शायद उत्तम सिंह खुद भी ऐसा गाना दोबारा से न बना सकें | उत्तम सिंह खुद बताते हैं कि उड़ जा काले कांवा की धुन बनाने में उन्हें देश महीने लग गये थे | नई धुन नया संगीत नया गाना एक नई ऊर्जा (Energy) नया जोश (Passion) पैदा करता है | लेकिन गदर 2 इस मामले में मात खाती दिख रही है | फिल्म के अभी तक तीन ही गाने रिलीज हुए हैं जिनमे से दो गदर से ही लिए गये हैं | इसमें को दोराय नहीं कि संगीत के मामले में गदर 2 फ़िलहाल गदर से पिछड़ती नजर आ रही है | जिसका खामियाजा (Fallout) फिल्म को भुगतना पड़ सकता है |

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4. राइटर

यश चोपड़ा साहब ने फिल्म देखने के बाद सबसे पहले गदर के लेखक शक्तिमान तलवार को फ़ोन किया | और उन्होंने शक्तिमान से जो कुछ कहा उसे सुनकर एक बार को तो खुद शक्तिमान को भी अपने कानों पर भरोसा (Reliance) नहीं हुआ था | यश को फिल्म में सबसे अच्छा काम शक्तिमान का ही लगा था | यही बताने के लिए खुद चोपड़ा साहब ने उन्हें फ़ोन किया था | बात सही भी है | किसी भी फिल्म की नींव उसकी कहानी ही होती है | बाकी सारी चीजें तो उसके बाद आती हैं | और शक्तिमान ने इस बार अपने नाम के ही अनुरूप एक बेहद मजबूत कहानी लिखी थी | लेकिन सच ये भी है कि उसके बाद उन्होंने कई फिल्मों की कहानियां तो लिखीं लेकिन वो गदर जैसी कामयाबी दोबारा नहीं पा सके | उलटे उनके खाते में एक के बाद एक फ्लॉप (Flop) फ़िल्में दर्ज होती गईं |

The Hero: love story of a spy, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों फैमिली, वीर, सिंह साब दी ग्रेट उसी लिस्ट का हिस्सा हैं | अब गदर 2 के जरिये वो ग़दर की सफलता दोहरा पाएंगे या अभी फ्लॉप फिल्मों की फेहरिस्त (List) अभी और लम्बी होनी है ये तो समय ही बताएगा | हालाँकि अगर वो गदर के उन्ही आजमाए फार्मूलों और मसालों का इस्तेमाल करके वही सफलता दोहराने (Repeat) की सोच रहे हैं तो ये उनकी बहुत बड़ी भूल होगी | लेकिन फिर भी उम्मीद की जानी चाहिए कि उनके तरकश (Quiver) में तीर अभी भी बचे हुए हैं |

 

इसमें कोई दोराय नहीं कि गदर के बाद से ही फिल्म के डायरेक्टर से लेकर कलाकार और राइटर तक की दर्शकों पर पकड़ ढीली पड़ चुकी है | वो दर्शकों की नब्ज (Pulse) पकड़ने में नाकामयाब (Failed) रहे हैं | लेकिन जब कोई टीम दोबारा से जुटती है तो बहुत संभावनाएं (Possibilities) रहती हैं कि वो एक बार फिर से वही पहले वाला जादू (Magic) बिखेर (Scattered) सकें | और इस केस में गदर मचा सकें | हम सब को बेसब्री से इंतजार है 11 अगस्त का | हम उम्मीद करते हैं कि इस बार गदर 2 गदर से भी ज्यादा गदर मचाएगी और बॉक्स ऑफिस पर फिर से अपना परचम लहरायेगी |

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