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शारीरिक अपंगता के बावजूद बने महान क्रिकेटर: Handicapped Cricketers

Physically Disabled Cricketers Who Became Great

दोस्तों कोई व्यक्ति सिर्फ इस लिए सफल और बड़ा आदमी नहीं बनता क्योंकि उसकी उपलब्धियाँ बड़ी हैं ।वे बड़ा इस लिए बनता है क्योंकि वो सफलता हासिल करने के पीछे उसके संघर्ष,उसकी कुर्बानियां बड़ी होती हैं।जिसकी जितनी बड़ी sacrifices (संघर्ष), उसकी उतनी ही ज़ोरदार बुलंदी। एक सोने को भी आभूषण में तब्दील होने के लिए सुनार का हथौड़ा सहन करना पड़ता है।ठीक वैसे ही एक क्रिकेटर को अत्यधिक चुनौतियों,असफलताओं और न जाने कितनी तकलीफों की भट्टी से तपकर कुंदन बनना होता है,तब जाकर वो खिलाड़ी एक महान क्रिकेटर बनता।है। दोस्तों क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसमें एक खिलाड़ी को अपना पूरा शरीर झोंकना होता है।चाहे बल्लेबाज़ी हो, गेंदबाजी या फील्डिंग।इसके लिए हर क्रिकेटर अपने शरीर को सहेजकर, और 2–4 घंटों के कड़े वर्कआउट से फिट रखता है। क्योंकि यदि हल्की सी भी injury (चोट) हो जाए तो सत्यानाश हो जाता है।लेकिन क्रिकेट में कुछ खिलाड़ी ऐसे भी आए, जो शारीरिक अपंगता से ग्रस्त थे। आम भाषा में कहें तो विकलांग या हैंडीकैप थे, जिसे उन्हें काफ़ी तंगियों का सामना करना पड़ा।लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और इसके बावजूद विश्व के नामी क्रिकेटर बने।कई रिकॉर्ड अपने नाम किए।आज हम आपको विश्वभर के उन खिलाड़ियों से रूबरू कराएंगे जिन्होंने विकलांग (Handicapped Cricketers )होने के बावजूद अपनी इस कमज़ोरी को अपनी ताकत बनाया।

5. Physically Disabled (Handicapped Cricketers) Cricketers Who Became Great

 

5.Washington Sundar (वॉशिंगटन सुंदर)-

दोस्तों वॉशिंगटन सुंदर इस वक्त विश्व क्रिकेट के एक राइजिंग स्टार हैं, जिन्होंने अपने हरफनमौला खेल से काफ़ी प्रभावित किया है। काफ़ी छोटी उम्र में बड़े मंच पर अपना जलवा बिखेरने वाले हरफनमौला सुंदर ने केवल 17 वर्ष की आयु में डेब्यू कर काफ़ी बढ़िया प्रदर्शन किया।वे भारत के लिए टी 20 में डेब्यू करने वाले सबसे यंग खिलाड़ी हैं। बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी और दाएं हाथ से ऑफ़ स्पिन की इनकी कला इन्हें भारतीय दिग्गज रविचंद्रन अश्विन का एक उपयुक्त उत्तराधिकारी बनाती है।

Washington Sundar Naarad TV
                                                                                   Washington Sundar Naarad TV

इसी के चलते उन्हें 2016 आईपीएल में उनकी रिप्लेसमेंट के तौर पर चुना गया।लेकिन क्या आप जानते हैं कि वॉशिंगटन सुंदर एक कान से बधिर यानी बहरे हैं। उन्हें ये बीमारी बचपन से ही है। जब चार साल की उम्र में उन्होंने अपनी इस तकलीफ के बारे में अपने माता पिता को बताया तो वे उन्हें डॉक्टर के पास लेकर गए।

मगर डॉक्टर भी इसमें कुछ खास नहीं कर पाए और ये रोग सुंदर के साथ जीवनभर के लिए जुड़ गया। इसके चलते उन्हें फील्डिंग के दौरान काफी दिक्कत होती है। किसी भी कप्तान के लिए उनकी फील्ड प्लेसमेंट करना चुनौतीपूर्ण होता है। मगर इसके बावजूद सुंदर ने कभी अपनी इस कमज़ोरी को अपने करियर और अपने प्रदर्शन पर कभी हावी नहीं होने दिया।

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उनकी गेंदबाजी में कमाल की धार और कंट्रोल देखने को मिलता है, वहीं उनकी बल्लेबाज़ी में वो परिपक्वता उन्हें किसी भी टीम के लिए एक बहुमूल्य ऐसेट बनाती है। आईपीएल हो, टीएनपीएल हो या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट, वाशी ने कमाल का प्रदर्शन किया और दबाव की परिस्थिती में खुद को साबित किया।

23 वर्षीय इस युवा ने अपने करियर में अभी तक 4 टैस्ट, 4 एकदिवसीय और 31 टी 20 मुकाबले खेले हैं। जिसमें उन्होंने 6,5 और 25 विकेट अपने नाम किए।एक कान से न सुन पाने के बावजूद भी उन्होंने काफ़ी कम उम्र में उन्होंने काफ़ी उपलब्धि हासिल की,जो कि काबिले तारीफ है।

 

4. Shoaib Akhtar ( शोएब अख्तर )

दोस्तों शोएब अख्तर से भला कौन अनजान है। रावलपिंडी एक्सप्रैस के नाम से मशहूर इस दिग्गज गेंदबाज के नाम दुनिया की सबसे तेज़ गेंद डालने का रिकॉर्ड है जो 2003 विश्व कप से आज तक कायम है। उन्होंने अपनी खूंखार गेंदबाजी से नज़ाने कितने ही बल्लेबाजों को हॉस्पिटल पहुंचाया है।

सचिन और लारा जैसे सर्वकालिन महान खिलाड़ियों को अपनी घातक यॉर्करों और बाउंसरों पर नचाने वाले इस खिलाड़ी की दहशत इस कद्र थी कि बड़े से बड़े बल्लेबाज उनका सामना करने से घबराते थे। उनके बड़े लहराते बाल,तेज़ तर्रार लंबा रन अप, और बुलेट की स्पीड से उनकी आने वाली गेंद किसी भी खिलाड़ी के मन में खौफ पैदा करने के लिए पर्याप्त थी।

Shoaib Akhtar Naarad TV
                                                                                   Shoaib Akhtar Naarad TV

एक दशक से भी अधिक समय में बल्लेबाजों में आतंक पैदा करने वाले इस खिलाड़ी ने दुनियाभार में अपनी लाज़वाब गेंदबाजी मास्टरक्लास् पेश की। हालांकि उनका करियर काफ़ी कॉन्ट्रोवर्सिज (विवादों) से घिरा रहा। लेकिन इसके अलावा जिस तकलीफ से हमेशा गुज़रे,और उसके बावजूद जो उन्होंने कर दिखाया।

वह सोचना भी असंभव सा लगता है। दरअसल बचपन से ही अख्तर के घुटनों में बेहद दर्द की समस्या थी।6 वर्ष की आयु तक वे अपने पांव पर चल नहीं पाते थे। वे रेंग रेंग कर चला करते थे। और जब उनकी माँ उन्हें डॉक्टर के पास लेकर गए तो डॉक्टर का कहना था कि उनका आधा शरीर पर लकवा मार जाएगा और वह अचल हो जाएगा।

और वे आम बच्चों को तरह कभी नहीं चल पाएंगे। इसके अलावा उन्हें चपटे पैर यानी फ्लैट फूट की भी समस्या थी, जिसमें वे और लोगों की भाँति नहीं चल पाते थे। यही कारण था कि अख्तर को कई बार लंगड़ाकर चलते हुए भी देखा गया और वे अधिकतर अपना दर्द,अपनी चोटें छुपाकर इंजरी में ही खेला करते।

लेकिन इतने दर्द से तड़पने के बावजूद उन्होंने 14 साल तक पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेला। कई बार मैच से पहले उनके घुटनों में पानी भरा होता,कई बार वे बाथ टब में सो जाया करते।और कितने ही इंजेक्शन लगाकर खेला करते। मगर इसके बावजूद भी उनकी गति में कभी कोई समझौता या गिरावट देखने को नहीं मिली।

अख्तर ने कभी भी हौंसला नहीं हारा और अपनी जी जान लगाकर कई मैच जीताऊ स्पैल किए। अपनी गति और स्किल के दम पर उन्होंने लो बाउंस वाली डैड पिच पर भी ये दिग्गज बाउंसर पर बड़े बल्लेबाजों को आउट किया करते। उनके जैसा गेंदबाज विश्व में आज तक दूसरा नहीं आया।

हालांकि अभी भी उनके घुटनों की तकलीफ़ ख़त्म नहीं हुई और हाल ही में उन्होंने नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कराई। मगर जो जिंदादिली और हौंसला अख्तर ने दिखाया है उसे सलाम है। अख्तर ने अपने करियर में 46 टेस्ट,163 ओडीआई और 15 टी 20 खेले।

 

4. Matthew Wade ( मैथ्यू वेड )-

दोस्तों मैथ्यू वेड का नाम आजकल हर किसी की ज़ुबान पर है। कारण पिछले एक साल में जो कुछ भी इस खिलाड़ी ने कर दिखाया है, उसकी जितनी तारीफ़ की जाए,कम है। यूं तो अपने करियर के अधिकतर समय वेड बतौर सलामी बल्लेबाज ही खेले। मगर टीम मैनेजमैंट द्वारा मिले फिनिशर के रोल में पिछले कुछ समय से वेड ने कोहराम मचा दिया।

उनका कमाल का फिनिश जो अंतिम क्षणों में मैच का रुख पलट देता है,उससे विश्व भर के क्रिकेट प्रेमी दांतों तले उंगलियां चबा डालते हैं।चाहे वो पिछले साल टी 20 विश्व कप सेमिफाइनल में शाहीन अफरीदी को लगाए उनके तीन छक्के हों,या फिर इस वर्ष हाल ही में समाप्त हुई भारत के खिलाफ टी 20 श्रृंखला में हर्षल पटेल की धुंआधार पिटाई

Matthew Wade Naarad TV
                                                                                         Matthew Wade Naarad TV

भारी दबाव की परिस्थिती में केवल 2–3 ओवरों के अंदर हारी हुई बाजी को पलट देने वाले वेड की धाकड़ हिटिंग कहर ढा देती हैं।लेकिन शायद ये जानकर आपको ताजुब होगा कि अपने दम पर टीम को मैच जीताकर फैंस की आंखें चौंधिया देने वाले वेड नेत्रहीनता के शिकार हैं।जी हां,वे कलर ब्लाइंड यानी रंग पहचानने में अक्षम हैं।

वे न ही रंग जान पाते हैं और न ही समझ पाते हैं। जिसके चलते उन्हें मैदान पर अलग अलग रंग की गेंदों में फ़र्क पता नहीं चलता। उन्हें डे नाईट टैस्ट में पिंक बॉल से खेलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा वेड महज़ 16 वर्ष की आयु में कैंसर से भी ग्रस्त रह चुके हैं। जब फुटबॉल खेलते वक्त उन्हें ग्रॉइन एरिया में चोट आई थी।

जिसके चलते उन्हें टेस्टिकुलर कैंसर हो गया।जिसका बाद में कीमोथेरेपी के ज़रिए उपचार किया गया। इतनी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के बावजूद जिस प्रकार वेड ने कभी हौंसले न हारते हुए क्रिकेट में अपना एक अलग मुकाम बनाया वह उनके महान होने का पुख़्ता सबूत है। फिलहाल वे ऑस्ट्रेलिया के एक प्रमुख मैच विनर हैं जो विरोधियों के लिए सबसे बड़ी खतरे की घंटी हैं। अभी तक अपने करियर में इस कंगारू विकेटकीपर बल्लेबाज ने 36 टैस्ट,89 एकदिवसीय और 66 टी 20 खेले हैं।

 

2. Pat Cummins ( पैट्रिक कमिंस )-

इस वक्त विश्व के नंबर एक गेंदबाज ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी, पैट कमिंस, ने जिस तरह का अपना दबदबा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बनाया है, उसके कायल तो हम सब ही हैं।लेकिन उसके पीछे का दर्द, कुर्बानियां जो इस महान खिलाड़ी ने सही शायद ही कोई जानता है। क्योंकि मध्यम उंगली तेज गेंदबाजों के लिए आउटस्विंग पैदा करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

लेकिन दुर्भाग्यवश कमिंस की ये ऊंगली मात्र 3 साल की उम्र में कट गई जब उनकी बहन ने गलती से दरवाज़ा बंद कर दिया जिससे उनकी उंगली एक सेंटीमीटर कट गई। और उनकी इंडेक्स और मिडल फिंगर का आकार एक जैसा ही हो गया।छोटी उंगली होने के कारण उन्हें ये मलाल अभी भी है कि वे आउटस्विंगर और लेग कटर नहीं डाल पाते ।

                                                                                     Pat Cummins Finger

मगर इसके अलावा उनकी गेंदबाजी में एक से एक हथियार मौजूद हैं जो कि विरोधी बल्लेबाज़ों को धाराशाही करने में काफ़ी है। उन्होंने अपनी सटीक लाइन लेंथ, और धारदार गेंदबाजी के दम पर दुनिया के बड़े से बड़े बल्लेबाजों को काफी परेशान किया और उन्हें आउट किया।

उदाहरण  2019 एशेज चौथे टेस्ट में जिस तरह से जो रूट को आउट किया, उसे देखकर यह विश्वास करना मुश्किल होगा कि उनकी मध्यम उंगली लगभग एक सेंटीमीटर छोटी है। लेकिन उन्होंने अपनी इस समस्या को कभी भी अपनी गेम को प्रभावित नहीं करने दिया। 150 से भी अधिक की गति डालने में सक्षम पैट्रिक कमिंस ने अपना कद क्रिकेट में इतना ऊंचा कर लिया।

जिसके दम पर वे इस वक्त ऑस्ट्रेलियाई टैस्ट टीम के कप्तान हैं। साथ ही विश्व के नंबर एक गेंदबाज भी। उनकी गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में होती है जिसका सामना करना किसी भी खिलाड़ी के लिए एक बड़ी चुनौती है। कमाल के नियंत्रण से एक ही टप्पे पर लगातार गेंदबाजी करने की उनकी कला उन्हें सबसे घातक बनाती है।

अभी तक उन्होंने अपने करियर में कुल 43 टैस्ट,68 ओडीआई और,41 टी 20 मैच खेले हैं जहां उनके नाम 360 के क़रीब अंतरराष्ट्रीय विकेट हैं।

 

1. Martin Guptill ( मार्टिन गुप्टिल )-

मार्टिन गुप्टिल विश्व के उन 6 बल्लेबाज़ों में से एक और न्यूज़ीलैंड के इकलौते बल्लेबाज हैं जिनके नाम ओडीआई में दोहरा शतक काबिज़ है। उनके नाम विश्व कप की सबसे बड़ी पारी का रिकॉर्ड भी दर्ज है।2015 विश्व कप की उनकी 237 रनों की पारी ने आग लगादी थी। जिसके कसीदे वर्षों तक पढ़े गए।

यही नहीं वे इस वक्त टी 20 में विश्व भर के तीसरे और पहले कीवी सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज भी हैं। और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षकों में शामिल गुप्टिल की जानदार शानदार फील्डिंग से तो आप अवगत हैं ही। उनके तीर से सीधे बल्ले के लॉफ्टेड शॉट्स, लंबे लंबे छक्के लगाने की ताकत वाकई में अलौकिक है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिग्गज के बाएं पांव में केवल 2 उंगलियां हैं। जी हां दोस्तों, बचपन में 14 वर्षीय गुप्टिल पर एक बार स्कूल में उनके पांव पर फॉरक्लिफ्ट ट्रक चढ़ गया, जिसके चलते उनकी तीन उंगलियां कटकर अलग हो गई।डॉक्टर ने उसे जोड़ने की काफ़ी कोशिश की मगर वे असफल रहे। और अब गुप्टिल को चलने में काफ़ी तकलीफ़ होने लगी।

martin guptill toe
                                                               Martin Guptill toe

यही नहीं,बल्लेबाज़ी के दौरान भी उन्हें स्टांस को बैलेंस करने में काफ़ी मुश्किलें आती हैं।जिंदगी के सबसे दर्दनाक दर्द से लड़कर उन्होंने कभी हार न मानते हुए और ज़्यादा कठिन मेहनत की और विश्व के अव्वल बल्लेबाज और टॉप के फील्डर बने। उनकी बल्लेबाज़ी और फील्डिंग में शत प्रतिशत एफर्ट देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह दिग्गज इतने दर्द से जूझता है।

ख़ासतौर पर जिस फुर्ती से उन्होंने 2019 विश्व कप में एमएस धोनी को रन आउट कर भारतीय टीम का कप जीतने का सपना तोड़ा था, उसे देखकर उनकी इस तकलीफ का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। गुप्टिल ने “नो पेन नो गेन” नाम की इस कहावत को पूर्णता सच साबित किया और विश्व के सबसे नामी और घातक क्रिकेटरों में एक बने जिनके नाम एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड दर्ज है।

अभी तक अपने करियर में उन्होंने 47 टेस्ट,188 ओडीआई और 118 टी 20 खेले हैं जिसमें उनके नाम 13000 से भी अधिक रन हैं। अपनी पांव की केवल दो उंगलियां होने के कारण इस कीवी बल्लेबाज का निकनेम भी टू टोस है

 

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