BiographyBollywood

अन्नू कपूर : आखिर क्यों बदलना पड़ा नाम

अन्नू कपूर कैसे बने एक अभिनेता
अन्नू कपूर के जीवन के अनसुने किस्से

अन्नू कपूर : दोस्तों, किसी फ़िल्म की कहानी कैसी ही क्यूँ ना हो, बग़ैर नायक और नायिका के फ़िल्म की कल्पना की ही नहीं जा सकती है, ठीक वैसे ही उस कहानी से जुड़े अन्य किरदार भी उतने ही ज़रुरी होते हैं जिन्हें  सहायक, चरित्र, हास्य व नकरात्मक क़िरदार कहा जाता है बिल्कुल उस खूबरसूरत गुलदस्ते के तरह जिसकी खूबसूरती के लिये उसमें फूलों के साथ साथ उसकी टहनियों और पत्तियों का होना भी उतना ही ज़रुरी होता है। फ़िल्मों में सहायक, चरित्र, हास्य और नकारात्मक भूमिकाओं को निभाने वाले ढेरों ऐसे अभिनेता हैं जिनका किसी भी फ़िल्म में होना ही फ़िल्म के वज़न को बढ़ा देता है। आज हम ऐसे ही एक हरफनमौला, बेबाक और संगीत के जानकार अभिनेता एवम् होस्ट के बारे में चर्चा करने वाले हैं जिनका नाम है  अन्नू कपूर

चाय के दुकान से कैसे बने अभिनेता
अन्नू कपूर

अन्नू कपूर का जन्म 20 जनवरी 1956 को भोपाल, मध्यप्रदेश के ‘इटवारा’ में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पिता मदनलाल कपूर जी पंजाबी थे और उनकी माँ कमल शबनम कपूर जी बंगाली थी। उनके पिता का एक पारसी थिएटर ग्रुप था, जिसके अंतर्गत वो लोग शहर दर शहर घूम घूम कर नुक्कड़ नाटक किया करते थे, शायद पिता के इस पेशे की वज़ह से ही उनके अंदर भी एक अभिनेता का जन्म हो गया था। उनकी माँ एक स्कूल में अध्यापिका के पद पर कार्यरत थीं वो एक कवियत्री और क्लासिकल संगीत और नृत्य में पारंगत थीं।  अन्नू कपूर जी के दादाजी डा. कृपा राम कपूर जी अंग्रेजों के ज़माने में बिर्टिश आर्मी में डॉक्टर के पद पर कार्यरत थे और उनके परदादा लाला गंगा राम कपूर जी एक भारतीय स्वतंत्र संग्राम सेनानी हुआ करते थे इसमें कोई संदेह नहीं कि अन्नू जी के अंदर भी देश भक्ति का जज़्बा उन्हीं की वज़ह से हुआ होगा जो कि अक्सर देश के ज्वलंत मुद्दों पर अन्नू जी की बेबाक राय के रूप में हमें सुनने को मिलता ही रहता है।  अन्नू कपूर जी की जितनी भी पढ़ाई हुई है वो भोपाल में ही हुई। एक सर्जन बनने की चाह रखने वाले अन्नू कपूर घर की आर्थिक तंगी के कारण दसवीं की पढ़ाई के साथ साथ अन्य जो भी काम मिले वो भी करने लगे  ताकि वो भी अपने माता-पिता की पैसों से कुछ मदद कर सकें क्योंकि उस वक़्त उनकी माँ 40 रुपये माह की तन्खाव्ह पर एक निजी स्कूल में टीचर के पद पर कार्यरत थी और पिता की नाटक कम्पनी से भी कोई विशेष आय नहीं होती थी ऐसे में छोटे अन्नू ने पैसे कमाने के लिए चाय से लेकर चूरन के नोट तक बेचे और साथ ही वो अपने पिता की नाटक कम्पनी में अभिनय भी करने लगे। अभिनय में उनकी रुचि को देखते हुये  उनके पिता ने उन्हें दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा यानि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में विधिवत अभिनय कला सीखने की सलाह दी, किसी भी क्षेत्र के बारे में गहराई से अध्ययन करने और सीखने के उनके जुनून की वज़ह से उन्हें अपने पिता की यह सलाह समझ में आयी। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करते ही वहाँ अपनी तरफ से अर्जी लगा दी और उनको वहाँ दाखिला भी मिल गया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में ट्रेनिंग के बाद उन्होंने अपने भाई और दोस्तों के साथ मिलकर एक नाटक कम्पनी खोली जिसके बैनर तले वर्ष 1981 में एक नाटक में उन्होंने एक 70 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति का किरदार निभाया जबकि उस वक़्त अन्नू कपूर की उम्र महज 22-23 वर्ष ही थी, इस नाटक को देखने उस वक़्त के कलात्मक फ़िल्मों के मशहूर निर्देशक श्याम बेनेगल जी भी पहुंचे थे, नाटक में अन्नू कपूर का अभिनय उन्हें इतना पसंद आया कि उन्होंने अन्नू को पत्र लिखकर मिलने को बुलाया और उनकी जमकर तारीफ की साथ ही अपनी आगामी फिल्म मंडी में दमदार रोल दिया जो कि 1983 में प्रदर्शित हुयी थी। वर्ष 1986 में ‘एक रुका हुआ फैसला’ नाम के उस नाटक पे आधारित फ़िल्म भी बन चुकी है जिसमें लोगों ने अन्नू कपूर की खूब सराहना की।

 

कम लोगों को ही पता होगा कि अन्नू कपूर जी का असली नाम अनिल कपूर है जो उन्हें पहले से स्थापित और जाने माने अभिनेता अनिल कपूर की वज़ह से बदलना पड़ा ताकि उन दोनों लोगों के नाम को लेकर किसी को कोई कंफ्यूजन ना हो, क्योंकि शुरुआत से ही बहुत सी फ़िल्मों में दोनों ने एक साथ काम किया है जैसे चमेली की शादी और तेज़ाब वगैरह।

अन्नू कपूर ने अपने 30 साल के अभिनय करियर में कई हिंदी फिल्मों, और टीवी सीरियल्स में काम किया। वर्ष 2012 में उन्हें हिंदी फिल्म विक्की डोनर में डा. चड्ढा की बेहतरीन भूमिका अदा करने के लिए उन्हें फिल्मफेयर और नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका हैं।  इसके अलावा भी उन्हें कई फ़िल्मों के लिये अवार्ड्स मिल चुके हैं और कई फ़िल्मे नोमिनेट भी हो चुकी हैं।

अन्नू कपूर ने फिल्मों से लेकर टीवी शोज और एंकरिंग में भी हाथ आजमाया हुआ है। 90 के दशक में उनके द्वारा होस्ट किये गये शोज़ ‘अंताक्षरी और मेरी आवाज़ सुनो’ साहित कई शोज़ और धारावाहिक आज भी याद किये जाते हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मी किस्सों पे आधारित कई टीवी शोज़ में भी बतौर प्रस्तोता भी काम किया है साथ ही  एफ एम रेडिओ पर सुहाना सफर विद अन्नू कपूर जैसे शो को होस्ट कर उसे रेडियो के सबसे चर्चित शो में से एक बना दिया। हिंदी और उर्दू साहित्य के साथ साथ अन्य विषयों में भी उनकी जानकारी सराहनीय है।

दूरदर्शन के मशहूर इंग्लिश न्यूज़ रीडर्स DD National Anchors

आइये अब कुछ बात कर लेते हैं अन्नू जी की निजी जिंदगी के बारे में जो कि एक वक़्त बड़ी ही चर्चित भी रही है और कंट्रोवर्सीयल भी। कहने को तो उन्होंने दो शादियां की लेकिन उनकी शादी हुयी 3 बार। शायद आपलोग थोड़े आश्चर्यचकित हो गये होंगे कि ये क्या बात हुयी लेकिन इससे जुड़ा बहुत ही रोचक किस्सा है जिसको आप ध्यान से सुनेंगे तो समझ में भी आयेगा और ताज्जुब भी होगा। हुआ यूँ कि अन्नू कपूर की पहली शादी वर्ष 1992 में अमेरिकन नागरिकता प्राप्त अनुपमा कपूर जी से हुई जिनसे उनका वर्ष 1993 में तलाक हो गया। तलाक के बाद अनुपमा अमेरिका चली गईं और इधर टीवी शो अंताक्षरी के सेट पर अन्नू कपूर और अरुनिता मुखर्जी एक दूसरे के क़रीब आये और वर्ष 1995 में दोनों ने विवाह भी कर लिया। वर्ष 2001 में दोनों की एक बेटी भी हुई। लेकिन उन्हीं दिनों अन्नू कपूर और उनकी पहली पत्नी अनुपमा एक बार फिर से संपर्क में आ गए और उनका अफेयर किसी फिल्मी कहानी की तरह शुरू हो गया। एक साक्षात्कार में अन्नू कपूर की दूसरी पत्नी अरुनिता के मुताबिक अन्नू रोज़ बहाना करके उन्हें बेडरूम में छोड़ कर बाहर चले जाया करते थे। वो अक्सर अपनी पहली पत्नी अनुपमा से होटल में मिला करते थे। इस सच्चाई का पता चलते ही अरुनिमा ने वर्ष 2005 में अन्नू कपूर को तलाक दे दिया और फिर वर्ष 2008 में अन्नू ने अपनी पहली पत्नी से दोबारा विवाह कर लिया। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि उन्होने 3 बार विवाह किया।

अन्नू कपूर जी के कुल चार बच्चे हैं जिनमें से पहली पत्नी अनुपमा से उनके के तीन बेटे इवाम, कवान और माहिर हैं। दूसरी पत्नी अरुनिता से उनकी एक बेटी अराधिता कपूर हैं।

अन्नू कपूर जी के बड़े भाई रंजीत कपूर हिंदी फ़िल्मों में लेखक व निर्देशक के रूप में कार्यरत हैं और उनके छोटे भाई निखिल भी एक लेखक व गीतकार हैं। अन्नू कपूर की एक बहन भी हैं जिनका नाम सीमा कपूर है जो कि एक फ़िल्म निर्माता हैं, उन्होंने बतौर अभिनेत्री भी काम किया हुआ है और वो  मशहूर अभिनेता स्व॰ ओम पुरी जी की पत्नी भी हैं।

 

दोस्तों अन्नू कपूर जी ने हर तरह के रोल्स में अपनी छाप छोड़ी है चाहे रोल छोटा हो या बड़ा, चाहे 80 के दौर की फ़िल्में हो या आज के दौर की, उनके अभिनय में आज भी वही ताज़गी है, वही जादू है जिसका ताज़तरीन उदाहरण है 2019 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘ड्रीम गर्ल’ जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। बहरहाल अन्नू कपूर जी की ढेरों ऐसी यादगार फ़िल्मे हैं जो उनके बेहतरीन अभिनय के लिये हमेशा याद की जायेंगी और दर्शक आज भी उसी शिद्दत से  उनकी फ़िल्मों का इन्तज़ार करते हैं। साथ ही उनके द्वारा होस्ट किये हुये शो में उनके द्वारा बताये गये क़िस्सों का भी सभी खूब आनन्द उठाते हैं।

बॉलीवुड के 5 खतरनाक विलेन कहा है और क्या कर रहें है

उनके प्रशंसकों और नारद टी वी की ओर से अन्नू कपूर जी को आने वाली फ़िल्मों और कार्यक्रमों के लिये ढेरों शुभकामनायें।

Show More

Related Articles

Back to top button