

एलेक्स हेल्स : एक कहावत है कि समंदर के पीछे हटने से किनारों पर आशियाने नहीं बनाया करते, वह समंदर है वापस आएगा सुनामी लेकर।
इस कहावत को हमने कई बार चरितार्थ होते हुए देखा है। क्रिकेट की दुनिया के संदर्भ में एक आउट ऑफ खिलाड़ी का वापस इन फॉर्म होना इसी बात का उदाहरण है। जिसका हालिया उदाहरण रहे हैं विराट कोहली। लेकिन आज बात होगी ऐसे खिलाड़ी की जो चमका एक सितारे की तरह, फिर उसकी रोशनी धुँधला गयी और निराशा के गर्त ने उसे चपेट में ले लिया।
लेकिन 10 नवम्बर 2022 ,भारत के ख़िलाफ़ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मुकाबले में उसी ख़िलाड़ी ने ऐसा खेल दिखाया कि 5 बार ट्रॉफी जीतने वाला कप्तान भी उसको आउट नहीं कर सका। जी हां आज बात होगी इंग्लैंड के ओपनर और धाकड़ बल्लेबाज एलेक्स हेल्स के रोलर कोस्टर कैरियर की।

जनवरी 1989 में जन्मे हेल्स को क्रिकेट की जीन्स अपने पिता गैरी से मिले, जिन्होंने खुद कई लोकल बैटिंग रेकॉर्ड्स सेट किये हुए थे।एलेक्स हेल्स के साथ दिक्कत आती थी उनकी तेज़ बल्लेबाजी की वजह से, खासकर इंग्लैंड में वो दौर तब नया नया आया था जिसकी अगुआई केविन पीटरसन कर रहे थे। ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करके फ्रंट फुट से शॉट खेलने की कला। ये कला जी का जंजाल न बने सो हेल्स ने तेज़ गेंदबाज़ के तौर पर भी खेलना शुरू कर दिया।
साल 2005 में महज़ 16 साल के हेल्स ने लॉर्ड्स के क्रिकेट ग्राउंड में एक ओवर में कुल जमा 8 छक्कों के साथ 55 रन कूट डाले। इस हैरान कर देने वाले रिकॉर्ड से वो एकाएक सुर्ख़ियों में छा गए, ये वही साल था जब इंग्लैंड ने एशेज में कमाल किया था और केविन पीटरसन एक सनसनी बनकर उभर रहे थे, और तभी एलेक्स हेल्स को आने वाले पीटरसन के रूप में स्थापित किया जाने लगा।
इन सब चमक धमक से दूर एलेक्स हेल्स अपनी बैटिंग प्रतिभा को तराशने में लगे हुए थे।
इंग्लैंड के माइनर काउंटी चैंपियनशिप में हेल्स ने नॉटिंघमशायर का प्रतिनिधित्व तो किया ही लेकिन उनकी खेल की काबिलियत देखकर उनको जल्दी ही नॉटिंघमशायर की सीनियर टीम में बुला लिया गया, जहां अपने दूसरे ही मैच में उन्होंने शानदार 218 रन बनाकर अपने हुनर का लोहा मनवाया। किस्मत जब जब मेहरबान होती है तो सब कुछ इतना बेहतर होते जाता है कि आप यकीन नहीं कर पाते। कुछ ऐसा ही हेल्स के साथ हुआ, उनको 2008 में प्रतिष्ठित लाइसेस्टरशायर के लिए लिस्ट ए खेलने का मौका मिला वहीं उसी साल फस्ट क्लास के लिए उनको सॉमरसेट जैसा मंच मिला। नॉटिंघमशायर के लिए खेलते हुए 2009 में प्रो 40 लीग में शानदार 150 रन बनाए जो केवल 102 गेंदों में आये थे।
वर्ल्ड कप 2011 में खराब खेल की ऊहापोह के बीच एलेक्स हेल्स को टीम में शामिल करने का माहौल रफ़्तार पकड़ने लगा था, किस्मत के घोड़े पर सवार हेल्स ने गर्म लोहे पर हथौड़ा मारते हुए अपनी बेमिसाल हुनर का नमूना पेश कर फर्स्ट क्लास की पहली सेंचुरी ठोककर शानदार 184 रन बना डाले। बस जो ECB को चाहिए था वो मिल गया था। इससे पहले भी हेल्स इंग्लैंड के अंडर 19 मैचों में दमदार खेल की बदौलत अपनी धाक जमा चुके थे , जिसके टेस्ट फॉरमेट में 50 और वनडे फॉरमेट में 30 की औसत से खेले हुए थे, यानी बैकग्राउंड सेट हो चुका था।आख़िरकार भारत के खिलाफ साल 2011 की ट्वेंटी ट्वेंटी सीरीज के जरिये उनको अंतरराष्ट्रीय पदार्पण का मौका मिला। अरे हां भारत का वही खौफ़नाक दौरा जहां टेस्ट ODI सीरीज में हार पे हार मिलती जा रही थी। हालांकि पहले ही मैच में वो डक पर आउट हो गए लेकिन वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ अपनी दूसरी ही सीरीज में उन्होंने 62 रन बनाकर अपने हुनर को बाक़ाबिल तौर पर साबित किया, यही नहीं उन्होंने क्रेग कीस्वेटर के साथ 128 रनों की साझेदारी भी निभाई जो उनकी परिपक्वता की गवाही देती है। इसी सीरीज में इंग्लैंड ने अपना तत्कालीन सबसे बड़ा स्कोर चेस किया, और उस मैच के स्टार रहे एलेक्स हेल्स। रामपॉल की बेहतरीन यॉर्कर पर आउट होने से पहले उन्होंने शानदार 99 रन बनाए। करियर के टॉप नॉच
फॉर्म में रहने का फार्मूला उनको 2012 वर्ल्ड कप में एंट्री देने में किफ़ायती बना। वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए अहम मुकाबले में, अहम इसलिए क्योंकि भारत के ख़िलाफ़ इंग्लैंड महज 80 पर निपट गयी थी, तो वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए मैच में उन्होंने 62 रन बनाकर संकटमोचक का काम किया। जिस कप्तान के साथ भविष्य में उनकी नहीं बनने वाली थी, उसी के साथ उन्होंने लाजवाब 107 रन जोड़ डाले। लेकिन श्रीलंका के खिलाफ अहम मुकाबले में हेल्स 3 रनों पर जैसे ही निपटे, वैसे ही पूरी टीम नॉक आउट हो गयी,इसका मतलब ये था हेल्स एज एन ओपनर इंग्लैंड की सबसे ज्यादा निर्भर एसेट बन चुके थे। हेल्स के साथ ये कोई संयोग था या कुछ और , वह यह कि वो या तो 30 से कम स्कोर कर रहे थे या वो सीधे 80,90 का स्कोर बना रहे थे। मिसाल के तौर पर न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 21,5,80 का स्कोर हो या ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 39 और 94 का स्कोर, ये जो 94 वाला स्कोर है ना इसको बनाते ही वो बैटिंग रैंकिंग पर टॉप पर आ गए। 2014 के वर्ल्ड कप में लंका के खिलाफ 116, ODI डेब्यू में भारत के ख़िलाफ़ 42 का स्कोर जैसे स्कोर उनके सितारे बुलंदियों पर लेकर जा रहे थे।
साल 2015 का वर्ल्ड कप सामने था, उनसे उम्मीदें बहुत थी, क्योंकि वो रेड हॉट फॉर्म में थे। लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ वो केवल 27 बना सके , नतीज़न बांग्लादेश ने इंग्लैंड को हराकर वर्ल्ड कप से बाहर कर दिया। उसके बाद उनकी वनडे मैचों में निरंतरता की कमी साफ साफ देखी जा रही थी।
BBC के स्पोर्ट्स कमेंटेटर जोनाथन अग्नेव ने एक बार कहा था कि हेल्स की सबसे बड़ी कमजोरी फ्रंट फुट शॉट हैं, वो न जाने क्यों ऑफ साइड की बॉल पर पांव मिडिल स्टंप पे ले आते हैं फिर बॉडी से कम से कम 2 फ़ीट दूरी से शॉट खेलते हैं। शायद इसी वजह से हेल्स या तो विकेट के पीछे आउट होते थे या प्लेडौन हुआ करते थे। अपने टेस्ट डेब्यू में उनको इसी का सामना करना पड़ा, स्लिप्स में आउट होने का सिलसिला एक बार शूरु हुआ और रुका नहीं। 10,26,60,5,1 के ये स्कोर बताते हैं कि उनकी कमजोरी कैसे एक्सपोज़ हो रही थी।
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लेकिन एकदिवसीय मैचों में वो वापस फॉर्म में आ गए, लगातार 4 अर्धशतक और एक शतक ने उनको मैन ऑफ द सीरीज बना के नवाज़ा। 57,99,65,50 और 112 के स्कोर इसकी गवाही देते हैं।
वन डे की इसी फॉर्म को बनाये रखते हुए उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ तीसरे मैच में 171 बनाकर सनसनी मचा दी।
हालांकि 2017 में वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ मैच हो जाने के बाद बेन स्टोक्स के साथ ब्रिस्टल के एक क्लब में वो एक बड़े गहरे विवाद में जूझ गए। दिसंबर 2018 में क्रिकेट की अनुशासनात्मक समिति ने हेल्स के व्यवहार को अनुचित पाया, और उन पर 6 वन डे मैचों का बैन लगा दिया।
उसके बाद उन्होंने जबरदस्त वापसी करते हुए आयरलैंड के खिलाफ 48 गेंदों में 55 रनों की उम्दा पारी खेली, साउथ अफ्रीका के खिलाफ 61, 47 के स्कोर उनको 2019 वर्ल्ड कप में गोल्डन बैट का अच्छा दावेदार बनने की तरफ ले जा रहे थे।
लेकिन शायद ये खुशी उनके हिस्से नहीं लिखी थी, उनका नाम हालांकि इंग्लैंड की वर्ल्ड कप टीम में शामिल था, लेकिन उन्होंने 2 दिन बाद ही अपना नाम वापस ले लिया, और उनकी वजह थी पर्सनल रीज़न। लेकिन उनकी टीम नॉटिंघमशायर ने उनकी वापसी का कुछ नहीं बताया। इसी बीच ECB ने कन्फर्म किया कि हेल्स ने अमान्य ड्रग्स का सेवन किया है। बस यहीं से असली लड़ाई शुरू हुई मोर्गन और हेल्स के बीच। ECB ने तो हेल्स को 21 दिन के लिए प्रतिबन्धित किया लेकिन मोर्गन ने उनको अपनी टीम में लेने से ही इनकार कर दिया, क्योंकि उन्होंने टीम का भरोसा तोड़ दिया था। ये वही मॉर्गन हैं जिन्होंने हेल्स के लिए कहा था कि इंग्लैंड को सबसे बेस्ट T20 ओपनर पहली बार् मिला है। ऐसा लगा जैसे हेल्स का कैरियर अब खत्म! इस बीच मानो हेल्स गायब से हो गए, फिर लॉक डाउन के मद्देनज़र बायोबबल के भीतर गेम होने लगे। हालांकि हेल्स ने 2020-21 में उन्होंने लीग टूर्नामेंट में जबरदस्त वापसी की और सिडनी थंडर से खेलते हुए बिग बैश 2020-21 के टॉप स्कोरर बने, लेकिन जब तक मोर्गन इंग्लैंड की टीम के कप्तान थे तब तक हेल्स का टीम में घुसना नामुमकिन था। जब इस साल मॉर्गन ने सन्यास लिया, तब जाकर कहीं रास्ते खुले। लेकिन 2022 की वर्ल्ड कप टीम में वो थे ही नहीं, लेकिन यहां बेरिस्टो चोटिल हुए वहां हेल्स सीधे टीम के अंदर। शुरुआत बेहद ही औसत रही लेकिन उसके बाद अपने कप्तान बटलर के साथ मिलकर उन्होंने जो संहार मचाया उसने न्यूज़ीलैंड और भारत के बौलिंग की बखिया उधेड़ दी। लंका के खिलाफ 81 रनों की और न्यूजीलैंड के खिलाफ 75 रनों की साझेदारी ने गेंदबाज़ी के विनाश की जो पटकथा लिखी, उसकी चरम परिणति भारत के खिलाफ सेमीफाइनल में आई। महज 47 गेंदों में 86 रनों की विशाल पारी ने मजबूत भारतीय गेंदबाज़ी लाइन अप को बौना साबित कर दिया। महज 4 चौके और 7 गगनचुम्बी छक्के।
70 एकदिवसीय मैचों में 95 कई स्ट्राइक रेट से और 75 T20I में 138 के रेट से बल्लेबाजी से कुल जमा साढ़े चार हज़ार रन दिखाते हैं कि हेल्स ने अपनी प्रतिभा के साथ अभी तक पूरी तरीके से न्याय नहीं किया है। लेकिन सफर फ़िर से शुरू हो चुका है और आगे तलक जाएगा।
अर्श से फर्श तक गिरना और फिर खड़े उठकर आसमां को छूने की चाहत दिखाने की दृढ़ता का दूसरा नाम एलेक्स हेल्स है, जिनकी क्रिकेटिंग जर्नी बताती है कि अगर आपको आपका टारगेट सामने साफ साफ दिख रहा हैं तो ठोकर खाकर हौंसला और उम्मीद खो देना बेवकूफी है।