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कैसे ICL को दफ़्न करके रखी गयी IPL की नींव

ICL vs IPL:Why was ICL banned by the BCCI_Indian Cricket League

लम्बे छक्के, आतिशी परियाँ,  विकटों पर थमी धडकने और भावनाओं से जुड़ा बेमिसाल  मनोरंजन यही दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट लीग  IPL यानि इंडियन प्रीमियर लीग  की पहचान बन चुकी  हैं |भारत में  ipl एक ऐसे  त्योहार जैसा मनाया जाता हैं जिसे  खेलती तो आठ टीमें है , लेकिन इसका जश्न पूरा देश मनाता  है|

ये ऐसा समय होता है जब अखबारों के फ्रंट पेज  ipl के छपे आर्टिकल से भरे  मिलते हैं, सोशल मिडिया से लेकर चाय गुमटियों  तक सिर्फ यही चर्चा हो रही  होती  हैं,  भाई… KL राहुल का शतक देखा ! मेरे ख्याल से धोनी को ऊपर खेलना चाहिए….

यार.. राशिद खान  ने क्या छक्का मारा  !

रोहित शर्मा फॉर्म में आ गया,

मुंबई इस साल भी जीतेगी….

ऐसी तमाम चर्चाएं जैसे थमने का नाम नहीं लेती | तो  इन्हीं सब चर्चाओं के बीच आज नारद टीवी आपको  ipl के इस 13 साल के सफर से पीछे ले जाकर, इस क्रिकेट महाकुम्भ IPL के शुरुआत की  चर्चा करेगा और साथ ही  उन अनसुने तथ्यों से रूबरू करायेगा  जिसका जिक्र बहुत कम या यूँ कहें ना के बराबर  होता हैं|

आम तौर पर तो , हम यह जानते हैँ कि  इंडियन t20 टूर्नामेंट IPL की शुरुआत 2008 में ललित मोदी ने की थी|लेकिन इसके सफल शुरुआत की  राह इतनी  आसान भी नहीं थी|इसके  पीछे छोटे बड़े कई तथ्य और गहरे राज छिपे हुए है|इसकी शुरुआत होती है ipl के प्रथम संस्करण से लगभग 12 साल पहले सितंबर 1995 से |

जब ललित मोदी ने  इंडियन क्रिकेट लीग नाम से एक कम्पनी का  रेजिस्ट्रेशन करवाया था | जिसका उद्देश्य था मोदी इंटरटेनमेंट नेटवर्क का प्रमोशन करना, जो उस वक्त  ESPN के साथ काम करता था, लेकिन उनका ये आईडिया फ्लॉप साबित हुआ | और ICL का वजूद ख़त्म हो गया। अब रुख़ करते है कुछ साल बाद की  ओर 2000  के शुरुआत से ही , भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ रहा थी।

Lalit Modi (IPL)

लोगो में इसका जूनून परवान चढ़ रहा था  | प्रसंशको का बड़ा हुजूम था,  इस खेल से लगभग देश का हर वर्ग जुड़  चुका था | जिससे क्रिकेट खिलाड़ियों में भी इजाफा हुआ, भारतीय क्रिकेट टीम में  खेलने का सपना लिए कई  खिलाड़ी  आते थे, लेकिन  भारतीय क्रिकेट टीम में केवल 15 खिलाड़ी ही रह सकते है

और इंडियन क्रिकेट टीम में चयन ना होने के बाद बाकि खिलाड़ियों के  लिए  कोई बड़ा मंच उपलब्ध नहीं  था , हालांकि उस वक्त भी कुछ घरेलु टूर्नामेंट होते थे  लेकिन इनसे  बाकि खिलाड़ियों को ना ही कोई विशेष पहचान मिल पाती और ना ही मन मुताबिक अच्छा पैसा | जिसकी वजह से  काफ़ी लम्बे इंतजार के बाद भी  इंडियन क्रिकेट टीम में  मौका ना मिलने से अच्छे अच्छे प्रतिभावान खिलाड़ी धीरे धीरे क्रिकेट से कटने लगते थे |

जो खिलाड़ी भारतीय टीम में शामिल होते थे वो काफी उम्दा  होते थे लेकिन  किसी खिलाड़ी के सन्यास, या उसके  चोटिल होने के बाद जब  खिलाड़ियों के रिप्लेसमेंट की बात आती थी तो चयनकर्ताओं के सामने ज्यादा विकल्प मौजूद  नहीं होता था, जिससे इंडियन टीम के प्रदर्शन में खासा फ़र्क़ पड़ता था |

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लगभग इसी समय (essel) एस्सेल ग्रुप के CEO डॉ सुभाष चंद्रा  ने भारतीय क्रिकेट के शुभचिंतक के रूप में इस दिशा में काम करने को सोचा| बताया जाता है कि डॉ सुभाष चंद्र खुद भी  क्रिकेट के बहुत बड़े प्रसंशक थे | इन्होने 2006 में  zee टेली फिल्म्स के द्वारा zee स्पोर्ट चैनल लॉन्च किया और साथ ही टेन स्पोर्ट(ten sport ) के लगभग 50% शेयर 2.57 अरब में  खरीद लिया |

वो इन चैनलों के माध्यम से  क्रिकेट की नियमित ब्रॉड कास्टिंग चाहते थे | और काफी प्रयास के बाद इन्हें पाकिस्तान, श्री लंका और वेस्टइंडीज जैसे छोटे क्रिकेट बोर्डो से ब्राड कास्टिंग राइट्स मिल गए । लेकिन BCCI ने zee स्पोर्ट्स को अनुभवहीन बताकर उन्हें भारत के ब्राड कास्टिंग राइट्स देने से मना कर दिया |

IPL Teams

विवाद कोर्ट तक पहुंचा, बॉम्बे हाई कोर्ट में अगस्त-सितंबर 2004 में पांच साल के टेलीकास्ट अधिकारों के लिए बीसीसीआई और ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स के साथ काफ़ी लम्बा संघर्ष चला , Zee ने सबसे अधिक 307 मिलियन डॉलर  की बोली लगाई, इसके बावजूद BCCI के द्वारा इसमें हस्तक्षेप करके zee स्पोर्टस को राइट्स नहीं दिया गया |

ऐसा वाक्या एक बार नहीं कई बार  हुआ कि  zee स्पोर्ट्स द्वारा सबसे ज्यादा बोली लगाने के  बावजूद BCCI और उसके तत्कालीन अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने उन्हें अधिकारों से वंचित कर दिया। काफ़ी प्रयास के बाद भी zee स्पोर्ट को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी |  फिर  2007 का दौर आ आया  जब भारत ने t20 वर्ल्डकप जीता,  जिससे भारत में क्रिकेट के इस फॉर्मेट को अच्छी पहचाना मिल गई थी |

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इसकी सफलता को देखते हुए सुभाष चंद्र ने भारत का अपना एक t20 लीग  बनाने को सोचा और पुरजोर  इसके तैयारियों में लग गए | वो जानते थे कि जब क्रिकेट के बड़े नाम इस टूर्नामेंट में होंगे तो दर्शक जरूर खींचे चले आएंगे ।, सुभाष चंद्र ने  शेन वार्न, युसूफ यूहाना, अब्दुर रज्जाक और क्रिस केर्न जैसे कई बड़े अंतराष्ट्रीय क्रिकेटरों   के साथ साथ घरेलु क्रिकेट के कई खिलाड़ियों को बड़ी कीमत देकर इस टूर्नामेंट में  खेलने का निमंत्रण दिया  |

और इत्तेफ़ाक़ से डॉ चंद्रा ने इस लीग का नाम ICL यानि  इंडियन क्रिकेट लीग रख दिया  जो 1995 में ललित मोदी के द्वारा रजिस्टर था | जिस पर थोड़ा अनबन भी हुआ| उस वक्त ललित मोदी राजस्थान क्रिकेट के प्रेसिडेंट थे, जिस कारण BCCI का भी हिस्सा थें| बरहाल, ICL के लिए सभी राज्यों से उनके क्रिकेट स्टेडियमों के इस्तेमाल के लिए अनुमति ले लिया गया |

सारी तैयारियां काफ़ी जोरो शोरो से पूरी हो गई | इनके इस प्रयास को सबने  सराहा सिवाय BCCI के | दरअसल BCCI ने इस इस क्रिकेट लीग को घरेलु क्रिकेट लीग मानने से ही इंकार कर दिया | और इसे बंद करवाने के जद्दोजहद में जुट गया । लेकिन डॉ  चंद्रा ने इन सब को  नजर अंदाज करते हुए  टूर्नामेंट यानि ICL शुरू करा दिया, ये भारत में क्रिकेट ही नहीं किसी भी खेल का पहला बड़ा टूर्नामेंट था, इसलिए  पूरे देश में इसका दिल खोलकर  स्वागत किया गया |

ICL

ये क्रिकेट लीग 2007 से 2009 तक चला ।

जिसमे टीमों  का प्रारूप आज के IPL  से काफी अलग था |

ICl में कुल 13 टीमों ने शिरकत  किया जिसमे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश की विश्व एकादश की चार टीम सहित नौ बड़े शहरों के टीमों  ने भाग लिया जिनमे

मुंबई चैंप्स, चेन्नई सुपरस्टार, चंडीगढ़ लायंस ,हैदराबाद हीरोज, रॉयल बंगाल टाइगर्स (कोलकाता),  दिल्ली दिग्गज, अहमदाबाद रॉकेट्स

लाहौर बादशाह, ढाका वारियर्स टीमें शामिल थी |

ICL की  प्राइज मनी 1मिलियन डॉलर थी |

और शुरुआत में ही ICL ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया ।

लेकिन ये बात ना जाने क्यों  BCCI को खटक रही थी..

BCCI ने ICL को बर्बाद करने के लिए जो रुख़ अपनाया वो सुनकर आपके कान भी खड़े हो जायेंगे |

BCCI ने अचानक से सभी खिलाड़ियों कि सैलरी लगभग  दोगुनी कर दी , घरेलु क्रिकेट टूनामेंट की प्राइज मनी भी  बढ़ा दी …

और जब इससे भी वो अपने मंसूबे में सफल नहीं हुआ  तो उसने ICL खेलने वाले खिलाड़ियों को बैन करने की घोषणा कर  दी | साथ ही कपिल देव और किरमानी जैसे दिग्गजों पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया  | जो उस वक्त ICL के सदस्य हुआ करते थे |

अब भारतीय खिलाड़ियों को ना चाहते हुए भी ICL से अपने पैर पीछे खींचने पड़े|

BCCI के इस मुहीम को ICC ने भी समर्थन दिया |

इस तरह भारत में जगमगाता तारा   ICL,  एक टूटा  तारा बन गया,  जो खुद टूटकर  IPL के सपने को हकीकत कर गया |

कहा जाता है कि इसे बाद ICL पर करप्शन और सट्टेबाजी जैसे गंभीर आरोप भी लगाए गए, लेकिन इसमें कितनी सच्चाई रही होंगी आप खुद ही समझ सकते हैं |

ICL के प्रति BCCI के रुख़ का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि आज BCCI के टूर्नामेंट में कमेंटेटर द्वारा गलती से इसका जिक्र तक नहीं किया जाता |

13 सितम्बर 2007 को BCCI द्वारा ललित मोदी के नेतृत्व में IPL यानि इंडियन प्रीमियम लीग की घोषणा की गयी  | और इस तरह IPL के आते ही  ICL का अस्तित्व 2009 तक पूरी तरह ख़त्म हो गया |

ICL Kapil Dev

तो कुछ इस तरह शुरू हुआ 2008 में ipl का सफर…

जिसमे 8बड़े शहरों  -बैंगलोर, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, जयपुर और मोहाली की टीमें शामिल थी |

ये एक फ्रेंचाइजी आधारित टूर्नामेंट था  जो कुछ हद तक अमेरिका के नेशनल फुटबाल लीग और मेजर लीग बेसबॉल  से प्रेरित था ।

और काफी प्रचार प्रसार के साथ   ipl का पहला सीजन  शुरू हुआ, जो  सीजन दर सीजन और अधिक लोकप्रिय बन गया | और आज IPL की जो दीवानगी हैं वो साक्षात् हमारे सामने हैं

ipl का शुरुआत थोड़ा विवादित जरूर रहा लेकिन आज ये करोडो दिलो की धड़कन बन चुका है।

आईपीएल के कारण ही आज भारत के युवा प्लेयर्स को अपना हुनर दिखाने का मौका  मिल रहा है और इस समय हमारे देश के काफी प्रतिभाशाली युवा क्रिकेटर  अपने देश के और अन्य देशों के खिलाड़ियों  के साथ खेलकर , काफी कुछ सीख पा रहे हैं |

आईपीएल के कामयाब होने के बाद हमारे देश में अन्य खेलों जैसे कि कबड्डी, फुटबॉल और बैडमिंटन इत्यादि के लीग भी शुरू किए गए हैं जिससे की इन खेलों को भी भारत में बढ़ावा मिल रहा है.| वो कहते है ना अंत भला तो सब भला|

आज IPL का जो  रुतबा है वो किसी से छिपा नहीं है ऐसी खबरे आती है कि ipl की वजह से   कभी कभी ICC तक को अपने शेड्यूल से समझौता करना पड़ जाता हैं

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Anurag Suryavanshi

Anurag Suryavanshi is a famous and social personality. The founder of the popular YouTube channel Naarad TV, he is a famous YouTube influencer and has millions of fan followers.

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