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अफगानिस्तान क्रिकेट का इतिहास : Afghanistan cricket history

क्रिकेट विश्व के सबसे बड़े महाद्वीप एशिया के लिए यह खेल एक जश्न की तरह है जो हर दिन करोड़ों लोगों को खुश रहने का कारण देता है।

भारत में इस खेल को धर्म का दर्जा हासिल है, इसे खेलने वाले लोगों को भगवान माना जाता है, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी इस खेल की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है लेकिन इन देशों के बिल्कुल करीब मौजूद अफगानिस्तान का इतिहास इस खेल को लेकर अपने साथी देशों जैसा नहीं रहा है।

प्रकृति की जादुगरी से घिरे इस देश ने पराधीनता, गरीबी और भूखमरी का एक लंबा इतिहास देखा है जहां खुशियां और ज़श्न मनाने का कारण खोजने का मौका इस देश को बहुत बाद में जाकर क्रिकेट के रूप में मिला और आज यह देश देर से सही लेकिन इस खेल में तरक्की की तरफ बढ़ रहा है, आज की इस विडियो में हम इसी देश के इतिहास में क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता और तरक्की को जानने वाले है।

अफगानिस्तान द हार्ट ओफ एशिया के नाम से मशहूर इस देश का प्राचीन इतिहास भारत की ही तरह बहुत शानदार रहा है लेकिन अठारहवीं शताब्दी से इस देश को पता नहीं किसकी नजर लग गई कि जिससे यह देश आज तक नहीं उभर पाया है।

अठारहवीं सदी के एक लंबे कालखंड में इस देश पर दुर्रानी साम्राज्य का अधिकार रहा जिसके बाद उन्नीसवीं सदी के तीसरे दशक में इस देश पर ब्रिटिश हुकूमत की नजर पड़ी और लगभग आधे विश्व पर अपना प्रभाव रखने वाली अंग्रेजी सेना ने साल 1878 में शुरू हुए दुसरे इंडो अफगान युद्ध के साथ ही इस देश पर अपना अधिकार जमा लिया था।

युद्ध की विभीषिका और गरीबी की तरफ बढ़ रहे इस देश का इतिहास उठाकर देखें तो साल 1839 वह साल था जब अंग्रेज़ों के जरिए इस देश में क्रिकेट ने पहली बार दस्तक दी थी, लेकिन अंग्रेजों के अधिकार में आने वाले बाकि देशों की तरह यह खेल अफगानिस्तान में जल्दी ही पनप नहीं पाया।

पहले एंग्लो अफगान युद्ध के दौरान काबुल में पहली बार अंग्रेजी सैनिकों ने क्रिकेट खेला था, इतिहास में यहां से अफगानिस्तान में क्रिकेट खेलने के प्रमाण मिलते हैं।

साल 1932 में भारत ब्रिटिश हुकूमत में रहते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाला पहला एशियाई देश बना जिसके बीस साल बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले देशों में शामिल कर लिया गया था।

यानि कि अफगानिस्तान के दो सबसे करीबी पड़ोसी देशों का एक नया सफर शुरू हो गया था लेकिन अफगानिस्तान अब तक इस खेल का ककहरा भी नहीं सिख पाया था, ना के बराबर संसाधन और प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच इस देश में क्रिकेट को लोग पहचानने लगे थे लेकिन इसमें आगे बढ़ने का विचार दुर दुर किसी के मन में भी नहीं था।

साल 1926 में अफगानिस्तान को एकीकृत स्वतंत्र देश का दर्जा मिल गया था मगर आंतक और भुखमरी का साया इस देश से दुर नहीं हो पाया था।

सत्तर के दशक में युद्ध के माहौल से तंग आकर बहुत से अफगानी लोगों ने पाकिस्तान की तरफ पलायन किया और वहां इन लोगों की मुलाकात एक बार फिर क्रिकेट से हुई, पाकिस्तान में मनोरंजन के लिए उन्होंने भी यह खेल खेलना शुरू किया लेकिन वो लोग अपने देश में इस खेल को आगे बढ़ाने के बारे में नहीं सोच सकते थे।

नब्बे के दशक में एक बार फिर तालिबान के डर से पलायन का सिलसिला शुरू हुआ लेकिन अबकी बार का यह सफर अफगानिस्तान को एक नई राह की तरफ ले जाने वाला था।

 A file photo of children playing cricket in Afghanistan.
                                    A file photo of children playing cricket in Afghanistan.

अपना देश छोड़कर रिफ्यूजी के तौर पर पाकिस्तान आये लोगों ने यहां पाकिस्तानी लोगों के साथ यह खेल खेलना शुरू किया, अपने इतिहास अपनी परेशानियों और अपनी मुश्किलों को भूलाने के लिए यह रास्ता अफगानी लोगों के लिए सबसे सस्ता था, इन्हें बल्ले के रूप में रिफ्यूजी कैंप्स में जो कुछ भी मिल जाता वो उसे उठा लेते और दिनभर क्रिकेट खेलते रहते थे।

साल 1992 में पाकिस्तान विश्व चैंपियन बना और इसने पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान में भी क्रिकेट को लेकर एक तरह का नया जुनून भर दिया था।

रिफ्यूजी कैंप में अपने लोगों के बीच बैठे ताज मल्लिक ने इस खेल को अफगानिस्तान में एक नई दिशा देने का मन बनाया लेकिन ये इतना आसान काम नहीं था।

ताज मलिक अफगानिस्तान के किसी भी शख्स को क्रिकेट से जुड़ने के लिए कहते तो उनका परिवार मलिक को गालियां देने लगता था क्योंकि जिस देश में किसी भी व्यक्ति अपनी आजीविका कमाने के लिए कुछ भी ना हो वहां ताज मल्लिक लोगों को अपना काम छोड़कर एक ऐसा खेल चुनने के लिए कह रहे थे जिसमें उनके पास देने के लिए कुछ भी नहीं था।

खैर ताज मल्लिक की कोशिशें जारी रही और साल 1995 में उन्होंने इतने लोगों को जोड़ लिया था जो अफगानिस्तान क्रिकेट को एक कदम आगे बढ़ाने के लिए काफी थे।

Taj Malik with one of his Afghanistan cricket team
Taj Malik with one of his Afghanistan cricket team

साल 1975 में पैदा हुए ताज मल्लिक ने बीस साल की उम्र में अपने हौंसले की बुनियाद पर तालिबान के विरोध के बावजूद अफगानिस्तान क्रिकेट फेडरेशन की स्थापना की और आज ताज मल्लिक को अफगानिस्तान की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का जनक माना जाता है।

आगे चलकर तालिबान सरकार ने भी अफगानिस्तान में क्रिकेट को लेकर रियायतें देना शुरू कर दिया था और फिर साल 2000 में अफगानिस्तान की पहली क्रिकेट टीम का गठन हुआ जिसे अगले साल अमेरिका के दखल के बाद तालिबान से मुक्ति मिलने के साथ ही आईसीसी की एफिलिएट सदस्यता भी मिल गई थी।

आईसीसी की मंजूरी के बाद साल 2003 में अफगानिस्तान को एशियन क्रिकेट काउंसिल ने भी अपने ग्रुप में शामिल कर दिया।
साल 2004 में अफगानिस्तान ने एशियन क्रिकेट काउंसिल ट्रोफी में हिस्सा लिया जो कवालालाम्पुर में खेली गई थी और वहां मलेशिया को हराकर अपने हुनर का पहला नमूना सबके सामने रख दिया था।

इस साल एसीसी ट्रोफी में छठे पायदान पर अपना सफर खत्म करने वाली अफगानिस्तान टीम साल 2006 में खेले गए मिडल ईस्ट कप में रनर अप रही, जहां इस टीम ने माइक गैटिंग जैसे खिलाड़ियों से सजी एमसीसी टीम को 171 रनों से हराया था।

साल 2006 में ही इस टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया जहां सात में से छः मैच अफगानिस्तान टीम ने अपने नाम किए थे और इन छः मैचों में से तीन मैच ग्लेमोरगन, लंकाशायर और एसेक्स जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ खेले गए थे।
साल 2007 में एसीसी टी20 कप के तौर पर

अफगानिस्तान टीम ने ओमान को हराकर अपना पहला टुर्नामेंट टाइटल हासिल किया था।

अफगानिस्तान में क्रिकेट को लेकर बढ़ रही लोकप्रियता और इस देश के खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए आईसीसी ने अफगानिस्तान को वनडे स्टेटस देने का फैसला किया।

नामिबिया के खिलाफ खेले गए एक मैच में इक्कीस रनों से मिली जीत ने अफगानिस्तान को वनडे क्रिकेट में पदार्पण करवाने में अहम भूमिका निभाई थी जिसके बाद स्कोटलैंड की टीम के विरुद्ध अफगानिस्तान ने अप्रैल 2009 में अपना पहला वनडे मैच खेला था।

इस मैच में नवरोज मंगल ने अफगानिस्तान क्रिकेट का नेतृत्व किया और अपनी टीम को 89 रनों से जीत दिलाई थी।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अफगानिस्तान का आगाज तो हो गया था लेकिन देश के हालात अब भी खराब थे, साल 2010 में एक टुर्नामेंट के न्यू जर्सी जाने वाली अफगानी टीम के खिलाड़ियों के पास एयरपोर्ट जाने तक के पैसे भी नहीं थे।

यही नहीं इन खिलाड़ियों को अपने मैचों के लिए ट्रेनिंग कैंप चलाने के लिए भी सिर्फ नाममात्र की ही जगह मिल रही थी, ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान क्रिकेट आगे बढ़ती रही और फिर एक फरवरी साल 2010 के दिन इस टीम ने टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी आयरलैंड के खिलाफ खेलते हुए अपना आगाज किया, हालांकि यह मैच अफगानिस्तान जीत नहीं पाई थी।

इसी बीच जिम्बाब्वे की धरती पर उन्हीं की टीम के खिलाफ अफगानिस्तान ने अपना पहला फस्ट क्लास मैच भी खेला जो टाइ पर खत्म हुआ था, इस मैच में नूर अली ने शतकीय पारी खेलकर अपना स्थान पहले फस्ट क्लास मैच में शतक लगाने वाले खिलाड़ियों की सूची में चौथे स्थान पर दर्ज करवा लिया था।

अप्रैल 2010 में आयरलैंड को विश्व कप क्वालीफायर के फाइनल में आठ विकेट से हराकर अफगानिस्तान ने अपनी जगह टी20 विश्व के लिए ग्रुप c में बना ली, जहां इस टीम का पहला मुकाबला भारत के खिलाफ खेला गया था।

इस मैच में में अफगानिस्तान के खिलाड़ी नूर अली ने अर्धशतकीय पारी खेली लेकिन यह पारी उनकी टीम को हार से नहीं बचा पाई।
साल 2010 में इन्टरकोटिनेटल कप और एसीसी ट्रोफी की विजेता रही अफगानिस्तान टीम का अगला मकसद साल 2011 विश्व कप में शामिल होना था जिसके लिए इस टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया लेकिन कनाडा के हाथों मिली हार ने इस टीम से अपना पहला वनडे विश्व कप खेलने का मौका छीन लिया।

साल 2012 में अफगानिस्तान को पाकिस्तान और आस्ट्रेलिया जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ वनडे मैच खेलने का मौका मिला जो इस टीम के लिए बहुत बड़ी सफलता थी।

27 जून साल 2013 वह दिन रहा जब अफगानिस्तान को आइसीसी ने अपने असोसिएट सदस्यों की सूची में शामिल कर लिया था, यहां आकर अफगानिस्तान क्रिकेट फेडरेशन का नाम बदलकर अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड रख दिया गया था।

25 दिसंबर साल 2015 के दिन जिम्बाब्वे को हराकर अफगानिस्तान की टीम पहली बार आईसीसी रैंकिंग में टोप टेन में शामिल हुई थीं, इन सब नतीजों को देखकर लग रहा था कि यह देश अब क्रिकेट में एक नई महाशक्ति बनने की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ होना बाकी था।

असोसिएट सदस्य बनने के बाद अफगानिस्तान को अपना क्रिकेट इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने के लिए आईसीसी की तरफ से 7 लाख डॉलर की जगह 850000 डालर की फंडिंग मिलने लगी थी और इससे अफगानिस्तान में क्रिकेट क्लब्स की संख्या बढ़ने लगी, लोग क्रिकेट को प्रोफेशन के तौर पर लेने के बारे में सोचने लगे, खिलाड़ियों के हालात में थोड़ा ही सही लेकिन परिवर्तन आने लगा था।

इन सब बदलावों का नतीजा यह रहा कि अफगानिस्तान क्रिकेट टीम ने साल 2015 विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया और वहां अफगानिस्तान का पहला मुकाबला बांग्लादेश के खिलाफ खेला गया लेकिन इस मैच में अफगानिस्तान को 105 रनों से हार का सामना करना पड़ा।

25 फरवरी साल 2015 के दिन स्कोटलैंड को एक विकेट से हराकर अफगानिस्तान ने वनडे विश्व कप में अपनी पहली जीत दर्ज की।
फ़रवरी 2017 में अफगानिस्तान क्रिकेट की उड़ान में एक और पंख लग गया जब आईसीसी ने इस देश के फोर डे डोमेस्टिक कम्पीटीशन को फस्ट क्लास क्रिकेट का दर्जा दे दिया था।

इसी साल अफगानिस्तान को टेस्ट प्लेइंग नेशन का नाम भी मिला और जल्द ही भारत के खिलाफ इस टीम ने पहला टेस्ट मैच भी खेला जो यह अफगानिस्तान हार गई थी लेकिन अब यह देश आईसीसी की सबसे सशक्त लिस्ट का हिस्सा बन गया था।

अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को अब लगभग सबकुछ मिल गया था लेकिन आम लोगों की जिंदगी में कुछ भी बदलाव नहीं हुआ था हर वक्त आंतकवादी हमले, चोरी चकारी और बम धमाके के डर में जी रहे इस देश को क्रिकेट के खेल में अपनी खुशियां ढुंढने लगे थे, लोग अपने देश में अपने खिलाड़ियों को अच्छा प्रदर्शन करते हुए देखकर खुश थे लेकिन फिर साल 2017 की एक सुबह अफगानिस्तान के एक मैदान पर क्रिकेट मैच के दौरान एक आत्मघाती विस्फोट हुआ जिसमें कुछ लोगों के मरने की खबर आई और कुछ ऐसा ही अगले साल भी हुआ, जहां आठ लोग मारे गए थे।

इन सब बातों से भी इस देश के लोगों ने क्रिकेट देखना नहीं छोड़ा, लेकिन इन सबके बाद अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच होना बंद हो गया और अब इस देश का होम ग्राउंड भारत के कुछ मैदान बन गए थे जहां बीसीसीआई ने अफगानिस्तानी खिलाड़ियों को हर तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई।

साल 2019 में अफगानिस्तान ने स्कोटलैंड को हराकर अपनी पहली टेस्ट जीत हासिल की जिसके बाद इसी साल अफगानिस्तान ने बांग्लादेश को उन्हीं की धरती पर 224 रनों के बड़े अंतर से टेस्ट मैच हराया, इसी साल हुए विश्वकप में भी अफगानिस्तान का प्रदर्शन बड़ियां रहा था, भारत के खिलाफ अफगानिस्तान के मैच को कौन भूल सकता है जहां एक समय में अफगानिस्तान भारत पर पुरी तरह से हावी हो गया था।

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आज अफगानिस्तान में दस क्रिकेट स्टेडियम, पांच सौ से ज्यादा क्रिकेट क्लब और बहुत सी बेहतरीन सुविधाएं हैं, साथ ही इस देश के बहुत से खिलाड़ी आईपीएल से लेकर विश्व भर की बहुत सी लीग्स में खेलते हुए नजर आते हैं।

राशिद खान जिन्होंने कुछ साल पहले विश्व क्रिकेट में सबसे युवा कप्तान बनने का कीर्तिमान स्थापित किया था, उन्हें और उनके साथी खिलाड़ी मोहम्मद नबी, जादरान और मोहम्मद शहजाद जैसे खिलाड़ियों को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है।

आज अफगानिस्तान क्रिकेट टीम हसमतुल्लाह शहिदी की कप्तानी में शानदार तरीके से आगे बढ़ रही है जिसमें इस देश की मदद बेहतरीन कोचिंग स्टाफ भी कर रहा है।अफगानिस्तान ने अभी तक खेले 138 वनडे मैचों में से 69 मैचों में जीत हासिल की है, 104 टी20 मैचों में इस देश के नाम 68 जीत जुड़ी हुई है तो वहीं टेस्ट क्रिकेट में भी अफगानिस्तान ने 6 मैचों में तीन मैच जीते हैं।

( आप इस विषय पर वीडियो देख सकते हैं हमारे यू ट्यूब चैनल नारद टीवी पर )

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