CricketSports

आकाश चोपड़ा : क्या युवराज के लिये बली चढ़ाया गया, आकाश का कैरियर।

ओपनर यानी सलामी बल्लेबाज़, क्रिकेट में इस एक शब्द का महत्व कप्तान के बराबर है। क्योंकि, जिस तरह कप्तान टीम को मुश्किल वक़्त में जोड़कर रखता है। उसी तरह सलामी बल्लेबाज़ों पर एक मज़बूत नींव रखने की ज़िम्मदारी होती है।

यही वजह है कि हर टीम सम्पूर्ण सलामी जोड़ी की तलाश करती है। एक ऐसी तलाश जो 21वीं सदी की शुरुआत में भारत ने भी की थी। उस दौरान भारत ने क़रीब 1 दर्जन सलामी बल्लेबाज़ आज़माये थे। इस प्रक्रिया (तलाश) का हिस्सा एक ऐसा बल्लेबाज़ भी था। जो गेंद को पुराना करने में एक्सपर्ट माना जाता था।

जो कई सालों तक भारतीय टीम से बाहर रहने बावजूद घरेलू क्रिकेट में रनों का पहाड़ बनाता रहा। वो सलामी बल्लेबाज़ जो आज हिंदी दर्शकों के लिये क्रिकेट की आवाज़  है। जी हाँ दोस्तों! आप सही समझे, हम बात कर रहे हैं आकाश चोपड़ा की।

तो चलिये, नारद टी.वी. की ख़ास श्रंखला ‘अनसंग हीरोज़ ऑफ़ इंडियन क्रिकेट’  के इस एपिसोड में, आकाश चोपड़ा के एक ‘स्टाइलिश ओपनर’  से ‘फ़्लॉप बैट्समैन’ और फिर मशहूर कमेंटेटर बनने के सफ़र पर रौशनी डालते हैं। 

Akash-Chopra-NaaradTV121

आकाश चोपड़ा का शुरुआती जीवन-

 आकाश चोपड़ा का जन्म 19 सितंबर 1977 को उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में हुआ। पिता श्याम लाल चोपड़ा ने आकाश के ख़्वाब को पूरा करने के लिये उन्हें दिल्ली भेजने का निर्णय लिया। आकाश ने भी अपने पिता के भरोसे को सही साबित किया।

अकेडमी आकाश में काश कोच की कही हर बात डायरी में लिखते थे। आकाश ने स्कूली दिनों से ही अपनी तकनीक पर जमकर काम किया और खुद को एक ओपनर के रूप में स्थापित किया।

chopra criket preparation

आकाश चोपड़ा का क्रिकेट में शुरूआत-

आकाश चोपड़ा ने क्लब स्तर पर सॉनेट क्रिकेट क्लब दिल्ली के लिये अच्छा प्रदर्शन किया और भारतीय अंडर-19 टीम में आ-गये। उन दिनों अंडर-19 क्रिकेट में टेस्ट मैच भी हुआ करते थे। साल 1997 में श्रीलंका बनाम भारत टेस्ट मैच से आकाश ने अंडर-19 डेब्यू किया।

आकाश के साथ उस मैच में भारत के अजीत अगरकर और श्रीलंका के कुमार संगकारा जैसे महान खिलाड़ियों ने भी डेब्यू किया था। उस मैच में आकाश चोपड़ा ने साढ़े चार घंटे डटकर बल्लेबाज़ी की और 156 गेंदों में 53 रन बनाये। भले ही ये पारी रनो के हिसाब से छोटी नज़र आती है।

मगर, आकाश के टेम्परामेंट और दृणता ने सबका दिल जीत लिया। उसके बाद इंडिया-ए के लिये खेलते हुए आकाश ने 13 मैचों में 41.3 की औसत से 537 रन बनाये और दिल्ली रणजी टीम के दरवाज़े पर दस्तक दी। धीरे-धीरे आकाश की मेहनत और ज़िद्द रंग लाई।

पहले साल 1996-97 सत्र में दिल्ली के लिस्ट-ए यानि घरेलु वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया और अच्छा प्रदर्शन किया। फिर, अगले सत्र में दिल्ली की रणजी टीम में भी आ-गये।

आकाश ने 1997-98 रणजी सत्र में कमाल का प्रदर्शन किया। उस साल आकाश ने दो शतकों के साथ 70.33 की औसत से 422 रन बनाए। साथ ही आकाश के खेलने के स्टाइल ने भी प्रभावित किया और अपने पहले ही वर्ष में उत्तर क्षेत्र की टीम में शामिल हो गये।

जोकि, उस दौर के हिसाब से एक उल्लेखनीय बात थी। आकाश ने एक दलीप ट्रॉफी मैच में भाग लिया और दोनों पारियों में अर्धशतक बनाने में सफल रहे।

पहले ही रणजी सीज़न में लाजवाब खेल के बाद आकाश दूसरे सीज़न में बुरी तरह फ़्लॉप रहे और 5 मैचों में सिर्फ़ 119 रन ही बना पाये। मगर, पिछले सीज़न में रनो के लिये तरसने वाले आकाश ने शानदार वापसी करते हुए 2000-2001 सत्र में रनों का अम्बार लगा दिया।

उस साल आकाश ने 70.38 की औसत से 915 रन बनाये। जिसमें उन्होंने एक पारी में रिकॉर्ड 222 रन बनाये और सनसनी मचा दी।

अब आकाश चोपड़ा भारतीय क्रिकेट में कोई अनजाना नाम नहीं था। मगर, घरेलू क्रिकेट में क़रीब 6 साल लाजवाब प्रदर्शन के बाद भी उन्हें भारतीय कैप मिलना अभी बाक़ी थी।

यह भी पढ़ें:- भारतीय टेस्ट कप्तानों का इतिहास।

Aakash Chopra selection
Aakash Chopra in Indian Cricket Team

आकाश चोपड़ा का भारतीय टीम में चयन-

घुटने की चोट से उभरने के बाद आख़िरकार साल 2003 में चयनकर्ताओं ने आकाश को भारतीय टीम में शामिल किया। आकाश ने डेब्यू मैच में 42 और 31 रनों की छोटी मगर आकर्षक पारियां खेली। यहाँ आकाश के डेब्यू से जुड़ी एक ख़ास बात का ज़िक्र ज़रूरी है।

दरअसल, हुआ ये था कि परम्परा के अनुसार डेब्यूटांट को टीम का कप्तान या कोई अनुभवी खिलाड़ी टेस्ट कैप देता है। मगर, आकाश के वक़्त टीम मैनेजमेंट और कप्तान दोनों ही ये परंपरा भूल गये। इस तरह आकाश बिना आधिकारिक कैप के मैदान में उतरे।

एक औसत डेब्यू मैच रहने के बाद आकाश ने अपने दूसरे मैच की दोनों पारियों में 52 और 60 रन बनाकर इंटरनैशनल लेवल पर अपनी प्रतिभा साबित की।

दोस्तों, उस दौर में भारतीय टीम एक अच्छी सलामी जोड़ी के लिये जूझ रही थी। सहवाग के साथ एक ऐसे ओपनर की तलाश थी। जो एक छोर पर टिक कर बल्लेबाज़ी करे और सहवाग को ताबड़तोड़ खेलने की छूट मिल सके।

आकाश चोपड़ा की एकाग्र होकर घंटों खेलने की क़ाबिलियत और नई बॉल को पुराना करने की प्रतिभा ने जल्द ही उन्हें टीम का मुख्य सलामी बल्लेबाज़ बना दिया।

ये आकाश का शांत दिमाग़ और सहवाग का बेबाक अंदाज़ ही था, जिसके कारण साल 2004 का ऑस्ट्रेलियाई दौरा भारत के लिये ऐतिहासिक साबित हुआ। उस दौरे पर आकाश ने बल्ले के साथ अपनी फील्डिंग से भी सबको प्रभावित किया।

नेहरा की नो बॉल पर शार्ट लेग में आकाश ने जस्टिन लैंगर का जो कैच पकड़ा था, वो आज भी सर्वश्रेष्ठ कैचों की लिस्ट में शीर्ष पर आता है। भले ही आकाश ने उस सीरीज़ में सिर्फ़ 186 रन बनाये थे। मगर, गांगुली और चयनकर्ताओं को उनकी प्रतिभा पर विशवास था।

जिसके चलते उन्हें पहले पाकिस्तान और अंत में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध घरेलु सीरीज़ में 2-2 मैच खेलने का मौका मिला। लेकिन, आकाश इन चार मैचों में बुरी तरह फ्लॉप रहे और 7 परियों में सिर्फ़ 66 रन बना सके।

इधर आकाश का ख़राब दौर चल रहा था। उधर, युवराज ने कुछ शानदार पारियां खेलकर टीम में अपनी सीट पक्की की। इसके बाद वसीम जाफ़र और गौतम गंभीर अच्छे प्रदर्शन के चलते सहवाग के साथ सलामी जोड़ी के रूप में कई वर्षों तक खेले।

जबकि, आकाश साल 2004 के बाद फिर कभी भारतीय टीम में वापसी नहीं कर पाये। आकाश ने अपने छोटे से अंतर्राष्ट्रीय कैरियर में सिर्फ़ 10 टेस्ट मैच खेले। जिसमें उन्होंने 23.00 की औसत से 437 रन ही बनाये।

आकाश चोपड़ा के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट आँकड़े बेहद कमज़ोर नज़र आते हैं। मगर, सच्चाई उससे काफ़ी अलग है। आकाश ने सहवाग के साथ 19 बार पारी शुरू की और 47.01 की लाजवाब औसत से 897 रन बनाये। जिसमें चार शतकीय साझेदारी भी थीं।

Virender-Sehwag-Aakash-Chopra-Naaradtv1231

वीरेंद्र सहवाग और आकाश चोपड़ा ( नमक-चीनी )-

इन लाजवाब आंकड़ों की वजह से ही वीरेंद्र सहवाग और आकाश चोपड़ा की जोड़ी को ‘नमक-चीनी’  कहकर बुलाया जाता था। भले ही आकाश का अंतर्राष्ट्रीय कैरियर बहुत छोटा रहा हो। मगर, घरेलू क्रिकेट में आकाश ने कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं और समय-समय पर बड़े स्कोर भी बनाये थे।

ख़ास तौर पर 2007-08 रणजी सत्र में दिल्ली की ख़िताबी जीत में आकाश के 783 रन बनाने के बाद, भारतीय टीम में वापसी की उम्मीद बनी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ।

बल्कि, 2010 रणजी सत्र के बाद दिल्ली रणजी टीम से भी उन्हें ड्रॉप कर दिया गया। मगर, आकाश चोपड़ा ने हार नहीं मानी और गेस्ट प्लेयर के रूप में राजस्थान के लिये घरेलू क्रिकेट खेलना जारी रखा।

इस दौरान आकाश ने राजस्थान की रणजी ट्रॉफी जीत में भी ख़ास योगदान दिया। हालाँकि, आकाश राजस्थान के लिये बस 2013 तक रणजी ट्रॉफी में खेले और अंत में साल 2015 में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया।

संन्यास के वक़्त आकाश ने 162 फर्स्ट क्लास मैचों में 45.35 की करिश्माई औसत से रिकॉर्ड 10,839 रन बनाये। जिसमें एक तिहरा शतक भी शामिल है। घरेलू क्रिकेट में आकाश के ये आँकड़े इस बात का सबूत हैं।

कि, वो एक आला दर्जे के खिलाड़ी थे। आकाश का ज़िक्र करते हुए एक बार गांगुली ने कहा था “आकाश कमाल का टेस्ट बल्लेबाज़ है। मगर, वो आज की क्रिकेट के हिसाब से स्ट्रोक प्लेयर नहीं है। वो अपने ज़माने से पीछे का बल्लेबाज़ है”।

Aakash-Chopra cricket commetri

आकाश चोपड़ा का क्रिकेट कमेंट्री-      

दोस्तों, संन्यास के बाद जहाँ ज़्यादातर खिलाड़ी अच्छा वक़्त बिताने और पैसा कमाने पर ध्यान देते हैं। वहीं, आकाश चोपड़ा ने संन्यास के बाद भी अपने क्रिकेट प्रेम को मरने नहीं दिया और लगातार क्रिकेट की आवाज़ बनकर अपने प्रशंसकों से जुड़े रहे।

aakash-book-1200x800 naaradtv1231

साथ ही आकाश चोपड़ा 4 किताबें भी लिख चुके हैं। जिनमें, ‘आउट ऑफ़ द ब्लूज़’ और ‘बियॉन्ड द ब्लूज़’ पर मशहूर क्रिकेट पत्रकार सुरेश मेनन ने कहा था “ये किसी भी भारतीय क्रिकेटर द्वारा लिखी गयी सर्वश्रेष्ठ किताब है”

इसके अलावा ‘द इनसाइडर’  और ‘नंबर डु लाइ’  पर भी आकाश को तारीफें मिली थीं। साथ ही आकाश अपने यू ट्यूब चैनल के ज़रिये बेहद आसान और आकर्षक भाषा में क्रिकेट से जुड़ी जानकारी देते हैं।

harsha-bhogle-NaaradTV121

हर्षा भोगले-

आकाश के दिमाग़ में क्रिकेट के इतिहासिक लम्हे कंप्यूटर में डेटा के समान फ़ीड रहते हैं। यही वजह है कि हर्षा भोगले कहते हैं कि “आज के दौर में आकाश चोपड़ा जैसा दूसरा हिंदी कमेंटेटर भारत में नहीं है”।

Watch On Youtube-

 

धन्यवाद!

 

Show More

Related Articles

Back to top button