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….जब क्रिकेट जगत ने सचिन और सौरव का रौद्र रूप देखा।

नामीबिया, एक साउथ वेस्ट अफ़्रीकी देश। एक देश जो कभी अफ़्रीका का पश्चिमी भाग था। जो 21 मार्च 1990 में ही आज़ाद हुआ है। बात सीधे-सीधे कहें तो नामीबिया इतना नया देश है। कि, जब 1990 में नामीबिया नाम अस्तित्व में आया तब तक भारत क्रिकेट में एक विश्व कप जीत चुका था और एक विश्व कप की तो मेज़बानी भी कर चुका था।

इसके बावजूद नामीबिया ने बहुत तेज़ी से अपनी क्रिकेट टीम बनाई और इतना ही नहीं, साल 1992 में नामीबियाई क्रिकेट टीम आई.सी.सी. के एसोशिएट सदस्यों में भी शामिल हो गई। फिर, क़रीब 11 साल बाद नामीबिया ने 2003 विश्व कप से वनडे खेलने का दर्जा प्राप्त किया। यानी आज से ठीक 19 साल पहले जब विश्व कप 2003 में नामीबिया के सामने भारत की चुनौती थी। तो, वो नामीबिया क्रिकेट इतिहास का सिर्फ़ चौथा अंतर्राष्ट्रीय मैच था।

दोस्तों! ये वो ही मैच था जिसने अब तक 2003 विश्व कप में आउट ऑफ़ फ़ॉर्म चल रहे सौरव गाँगुली को वापसी करने में मदद दी थी। ये वो ही मैच था जिसने भारत के रन रेट को बेहतर किया था। ये वो ही मैच है, जो नारद टी.वी. की ख़ास श्रृंखला ‘रिवाइंड वर्ल्ड कप 2003’ के चौथे एपिसोड की कहानी ख़ुद में समेटे हुए है।

indian cricket team 2003 NaaradTV
भारत बनाम नामीबिया विश्व कप 2003

भारत बनाम नामीबिया विश्व कप 2003-

   दोस्तों, भारत बनाम नामीबिया मुक़ाबला 2003 विश्व कप इतिहास का 25वां मैच था। हालाँकि, विवादों के साथ शुरू हुआ ये विश्व कप भारत बनाम ज़िम्बाब्वे मैच तक पटरी पर लौटता दिख रहा था। मगर, बीते चार दिन सिर्फ़ विश्व कप 2003 ही नहीं बल्कि क्रिकेट इतिहास के सबसे कमज़ोर दिन साबित हुए। क्योंकि, इस दौरान शर्मसार करने वाली घटनाओं के साथ कई शर्मनाक प्रदर्शन भी हुए। जिसमें श्रीलंका के विरुद्ध कनाडा टीम का सिर्फ़ 36 के स्कोर पर आउट हो जाना सबसे शर्मनाक था।

इसके बाद इस दौरान ही बांग्लादेश की टीम भी 108 रन पर ऑल आउट हो गयी और साउथ अफ़्रीका ने 109 रनों के लक्ष्य बिना कोई विकेट खोये सिर्फ़ 12 ओवरों में हासिल कर लिया था। यहाँ बांग्लादेश के लिये शर्मसार करने वाली बात ये थी कि उन्होंने ये शर्मनाक रिकॉर्ड बतौर टेस्ट टीम बनाया था।

Kenya Cricket Team NaaradTV
Kenya Cricket Team

केन्या को वॉकओवर के रूप में जीते के 4 पॉइंट-

हालाँकि, ये सारे मायूस करने वाले रिकॉर्ड क्रिकेट का हिस्सा हैं। मगर, सबसे मायूस करने वाली जो घटना इसके बाद हुई वो राजनीति की देन थी। जिस विवाद का ज़िक्र हमने पहले और दूसरे एपिसोड में भी किया था। उसका प्रमाण 21 फ़रवरी 2003 के रोज़ तब देखने को मिला, जब न्यूज़ीलैंड ने केन्या के विरुद्ध नैरोबी में मैच खेलने से मना करते हुए केन्या को वॉकओवर के रूप में जीते के 4 पॉइंट दे दिये।

इस फ़ैसले ने न्यूज़ीलैंड को किस तरह से प्रभावित किया वो तो हम अगले एपीसोड्स में आपको खुलकर बतायेंगे। फ़िलहाल, इतना जान लीजिये कि 23 फ़रवरी 2003 की सुबह तक टीमों की हार-जीत से ज़्यादा चर्चा क्रिकेट की हार पर हो रही थी। मगर, भारत में ज़िम्बाब्वे के विरुद्ध जीत के बाद माहौल एकदम बदल गया था और भारतीय फ़ैन्स नामीबिया पर एकतरफ़ा जीत का इंतज़ार कर रहे थे।

तो चलिये फिर! आपके इंतज़ार को यहीं ख़त्म करते हुए घड़ी का दामन थामे सीधे चलते हैं आज से ठीक 19 साल पहले साउथ अफ़्रीका के पीटरमेरिटज़बर्ग स्टेडियम। जहाँ क़रीब पाँच हज़ार दर्शक भारत की इतिहासिक जीत का इंतज़ार कर रहे थे। 

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John Wright Cricket Coach
कोच जॉन राइट

कोच जॉन राइट-

   दोस्तों, यूँ तो कागज़ और मैदान दोनों पर नामीबिया की टीम भारत के मुकबाले में कहीं नहीं थी। फिर भी पहले दो मैचों को देखते हुए कोच जॉन राइट ने ज़रूर भारतीय खिलाड़ियों को संभलकर खेलने को बोला होगा। यही वजह है कि नामीबिया ने टॉस जीतकर जब गेंदबाज़ी चूनी तो सहवाग ने सचिन के साथ मिलकर सधी हुई शुरुआत की।

सहवाग ने अपने नेचर (खेल) के उलट जा-कर कंट्रोल्ड शॉट्स खेले और सचिन के साथ मिलकर सलामी जोड़ी के तौर पर 46 रन जोड़े। हालाँकि, आठवें ओवर की पांचवीं गेंद पर सहवाग के सब्र का बांध टूटा और एक कमज़ोर गेंद पर बड़ा शॉट खेलने के चक्कर में वीरू वैन वूरैन को अपना विकेट दे बैठे। इसके बाद नम्बर तीन पर बल्लेबाज़ी करने कप्तान सौरव गांगूली ख़ुद आये।

Sachin Tendulkar NaaradTV
सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर का शतक-

सहवाग के विकेट के बाद नामीबियाई गेंदबाज़ी को जो हौसला मिला होगा। उसे गाँगुली ने अगले कुछ ओवर में ही फ़ुर्र कर दिया और ताबड़तोड़ शॉट्स खेलना शुरू किया। जबकि, दूसरी तरफ़ से तेंदुलकर धीरे-धीरे अपने 34वें शतक की तरफ़ बढ़ रहे थे और फिर 37वें ओवर की आख़िरी गेंद पर सचिन ने फ़ुल डिलीवरी को लेग की तरफ़ खेलकर अपना शतक पूरा किया।

मगर, इस समय भारत का स्कोर सिर्फ़ 203 रन था और भारतीय टीम का रन रेट देखते हुए कोच भी इस स्कोर पर ख़ुश नहीं होंगे। इसलिये, अब बचे 13 ओवरों में तेज़ बल्लेबाज़ी करने की ज़रूरत थी। यहाँ से इस ज़िम्मेदारी को सौरव के साथ मिलकर सचिन ने बखूबी निभाया और जब 48वें ओवर में सचिन 18 चौक्कों की मदद से 152 रन बनाकर आउट हुए। तो, भारत का स्कोर 290 रन था।

Saurabh Ganguly NaaradTV
Saurabh Ganguly

इसके बाद बची हुई 14 गेंदों में भारत के स्कोर में 21 रन जुड़े और स्कोरकार्ड कुल 311 रन दिखा रहा था। वैसे नामीबिया जैसी गेंदबाज़ी के सामने ये स्कोर कम था। मगर, भारतीय बल्लेबाज़ों की फ़ॉर्म देखते हुए एक्सपर्ट्स और फ़ैन्स समेत क्रिकेटर्स भी काफ़ी ख़ुश थे। साथ ही गाँगुली की 119 गेंदों में 112 रनों की पारी में लगे 6 चौक्के और 4 छक्के इस बात का ऐलान थे कि असली विश्व कप तो अब शुरू हुआ है।

   तो दोस्तों! अभी तक विश्व कप 2003 का ये चौथा मुक़ाबला पूरी तरह से भारत के अनुसार रहा। मगर, रन रेट बेहतर करने के लिये भारतीय टीम का नामीबिया को बढ़े अंतर से हराना ज़रूरी था। इसके लिये गेंदबाज़ों का पूरा दम लगाकर गेंद फेंकना ज़रूरी था और हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही। नई नवेली नामीबियाई बैटिंग लाइन अप भारतीय गेंदबाज़ों के इशारों पर नाचती हुई नज़र आई।

Harbhajan Singh 2003
हरभजन सिंह
हरभजन सिंह-

जहाँ एक तरफ़ ज़हीर ने स्विंग के दम पर दो विकेट लिये। तो वहीं, नेहरा के चोट लगने के बाद गेंदबाज़ी करने आये पार्ट टाइम स्पिनर दिनेश मोंगिया ने 2 और युवराज सिंह ने 4 विकेट लिये। इसके अलावा हरभजन सिंह ने भी दो विकेट लिये। जबकि, नामीबिया की तरफ़ से ओपनर बर्जर ने सबसे ज़्यादा सिर्फ़ 29 रन बनाये। बर्जर के अलावा  कप्तान डियोन कोटज़े ने 27 रन और विकेटकीपर मेल्ट वैन शूर ने 24 रन बनाये। जबकि, अन्य कोई बल्लेबाज़ तो 17 से अधिक रन भी नहीं बना पाया और नामीबियाई टीम सिर्फ़ 130 रन बनाकर ऑल आउट हो गयी।

भारत की इस 181 रनों की इतिहासिक जीत में यूँ तो बहुत से रिकॉर्ड बने और टूटे। मगर, अगले दिन अख़बार में जिस एक घटना को बहुत हाइलाइट किया गया उसका ज़िक्र यहाँ ज़रूरी है।

दरअसल, सचिन की पारी के अंतिम क्षणों में पूरा स्टेडियम ‘सचिन-सचिन’ की आवाज़ से गूँज रहा था। आसान भाषा मे कहें तो एक हिंदुस्तानी के नाम से गूंज रहा था। वो ही हिंदुस्तानी जिनसे अफ़्रीकी कभी इतनी नफ़रत करते थे कि साल 1983 में इसी पीटरमेरिटज़ बर्ग के रेलवे स्टेशन पर उन्होंने महात्मा गाँधी को उनके रन के चलते ट्रेन से उतार दिया था।

इसलिये, 23 फ़रवरी 2003 को सचिन के नाम से रोशन हुए स्टेडियम को भारतीयों के बढ़ते गौरव की मिसाल माना गया और सचिन को इस बढ़ते गौरव का सूत्रधार कहा गया।

   तो दोस्तों, इस गौरवान्वित करते हुए क्षण के साथ भारतीय टीम के 2003 विश्व कप अभियान के चौथे मैच की कहानी यहीं ख़त्म होती है। मगर, इस करिश्माई कहानी में एक पहलू छूट गया। जो था आशीष नेहरा की चोट। क्योंकि, भारत के बचे हुए दोनों मुक़ाबले बड़ी टीमों से थे। इसलिये, नेहरा का फ़िट होना बहुत ज़रूरी था।

इस मैच के ख़त्म होने के वक़्त सभी क्रिकेट प्रेमियों के मन मे यही सवाल था कि ट्रैक पर लौटी भारतीय गेंदबाज़ी को नेहरा की चोट से नुकसान पहुँचेगा या फिर नेहरा वापसी करेंगे ? अब इस सवाल का जवाब और नारद टी.वी. की ख़ास श्रृंखला ‘रिवाइंड वर्ल्ड कप 2003’  का अगला एपिसोड लेकर हम जल्द मिलेंगे आपसे।

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धन्यवाद !

 

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