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गदर फिल्म के बनने की पूरी कहानी |

हिट, सुपरहिट, ब्लाकबस्टर.. कामयाब (Succeeded) फ़िल्मों को न जाने कितने नामों से पुकारा (Call out) जाता है, लेकिन इन सबसे कहीं ऊपर होती हैं वो फ़िल्में जिन्हें कालजयी (Classic) फ़िल्मों का दर्जा (Quality) मिलता है। हिंदी फ़िल्मों की ऐसी ही कुछ कालजयी फ़िल्मों में से एक है साल 2001 में आयी फ़िल्म ‘गदर: एक प्रेम कथा’.. बात इस फ़िल्म के संवादों (Dialogues) की हो या गीत-संगीत की.. बात इसकी कहानी की हो या निर्देशन (Direction) की.. सब कुछ बेमिसाल है। इस बेहद कामयाब फ़िल्म का सीक्वल (Sequel) जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाला है जिसका इंतज़ार दर्शकों को कई सालों से था। इस फ़िल्म का जादू कुछ ऐसा है कि 21 साल गुज़र (Passed) जाने के बाद भी इसके किरदारों (Characters) और कलाकारों (Artists) के अभिनय (Acting)को आज तक कोई भूला नहीं सका है। फ़िल्म के एक-एक दृश्य (Scene)) आज भी सबके दिलों में तरो ताज़ा हैं। दोस्तों गदर फ़िल्म की ज़बरदस्त कामयाबी से तो हम सभी परिचित (Familiar) हैं ही लेकिन इस फ़िल्म से जुड़ी बहुत सी ऐसी दिलचस्प (Interesting) बातें हैं जो कम लोगों को ही पता होंगी। आज के पोस्ट में हम गदर फ़िल्म से जुड़े ऐसे ही कुछ क़िस्सों (Stories) को लेकर आये हैं जिन्हें जानने के लिए आपको इस पोस्ट में रहना होगा शुरुआत से अंत तक।

                                                                                                                Gadar Film

नमस्कार…

मदर इंडिया, मुगले आज़म व शोले जैसी कामयाब और भव्य फ़िल्मों की अगर लिस्ट बनायी जाये तो उस लिस्ट में एक नाम ‘गदर-एक प्रेम कथा’ का भी होगा और इस बात से शायद आप भी सहमत होंगे।

निर्माण व निर्देशन-
15 जून 2001 को फ़िल्म लगान के साथ सिनेमाघरों  (Movie theaters) में रिलीज़ हुई निर्माता नितिन केनी के निर्माण में बनी इस फ़िल्म का निर्देशन (Direction) अनिल शर्मा ने किया था, जो हुकूमत, एलाने जंग, मां, फरिश्ते, द हीरो और अपने जैसी ढेरों बेहतरीन फ़िल्म बना चुके हैं, लेकिन इसमें कोई शक़ नहीं कि अनिल शर्मा को आज भी जिस फ़िल्म के लिये सबसे ज़्यादा याद किया जाता है वो है फ़िल्म गदर। ख़ुद अनिल कहते हैं कि “वाकई ‘गदर एक प्रेमकथा’ मेरी लाइफ और कैरियर (Career) का टर्निंग (Turning) पॉइंट रहा है। आज भी लोग इसे याद करते है और मुझसे यह उम्मीद (Hope) करते हैं कि मैं उनके लिए फिर वैसी फ़िल्म बनाऊं। गदर जैसी फ़िल्म बनाना एक इतिहास (History) को रचना जैसा है।”

इस फ़िल्म को बनाने का आइडिया (Idea) कैसे मिला इसका खुलासा करते हुए एक इंटरव्यू (Interview) में अनिल शर्मा ने बताया था कि “उन दिनों कश्मीरी पंडितों का पलायन (Getaway) हुआ था और मैं कश्मीर के एक लड़के और पाकिस्तान की एक लड़की को लेकर कहानी डेवलप कर रहा था। इस कहानी के लिए दिलीप साहब और धरम जी ने हामी तक भर दी थी। इसी बीच राइटर (Writer) शक्तिमान जी ने मुझे एक रियल स्टोरी (story) सुनाई। उससे प्रेरित होकर मैंने अपने आइडिया को ड्रॉप (Drop) करके इस फिल्म पर काम शुरू कर दिया और कुछ इस तरह ‘गदर’ की शुरुआत हुई।”

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कहानी-
कम लोगों को ही पता होगा कि लेखक शक्तिमान तलवार द्वारा लिखी इस फ़िल्म की कहानी एक सच्ची (True) कहानी पर आधारित (Based) है। दरअसल इस फिल्म की कहानी द्वितीय (Second) विश्व (World) युद्द (War) के दौरान बर्मा में ब्रिटिश सेना में नौकरी (Job) करने वाले फौजी बूटा सिंह और जैनब की प्रेम (Love) कहानी पर आधारित है, जिसके क्लाइमैक्स (Climax) में थोड़ा बदलाव कर उसे फ़िल्मी रूप दिया गया है। फ़िल्म गदर के अंत को जहाँ सुखद (Pleasent) दिखाया गया है वहीं बूटा सिंह और जैनब की असल कहानी का अंत बेहद दर्दनाक है। असल कहानी में जैनब अपने घर वालों के दबाव (Pressure) में आकर वापस भारत आने से मना कर देती है और ग़मगीन बूटा सिंह अपनी छोटी सी बेटी के साथ एक ट्रेन के आगे कूदकर जान दे देता है, हालांकि इस हादसे में बूटा सिंह की बेटी बच जाती है जिसे एक दंपत्ति (Couple) गोद (Lap) ले लेते हैं। बूटा सिंह और जैनब की इस कहानी पर साल 1999 में एक पंजाबी फ़िल्म पहले ही बन चुकी थी जो काफी चर्चित हुई थी। ‘शहीदे मोहब्बत बूटा सिंह’ नाम से बनी इस फ़िल्म में गुरदास मान और दिव्या दत्ता मुख्य भूमिकाओं (Roles) में नज़र आये थे।

अनिल शर्मा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि “फिल्म के कई दृश्य रामायण से भी प्रेरित (Inspired) थे। जिस तरह भगवान राम माता सीता को वापस लेने के लिए लंका गये थे, हमने अपनी फिल्म में भी कुछ ऐसा ही दिखाया जो बहुत समान (Similar) था। शायद यही कारण है कि हम सब अभी भी इस कहानी को अपने दिल में रखते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि वे आज भी अगर बिना किसी बदलाव के ऐसी ही फिल्म दोबारा बना दें तो वह उससे भी ज्यादा हिट हो जाएगी। अनिल ने कहा कि उनकी फिल्म गदर वास्तिवकता (Reality) के करीब है और इसीलिए लोग इससे रिलेट (Relate) करते हैं। दोस्तों जिस वक़्त अनिल शर्मा को यह कहानी मिली थी उस वक़्त कारगिल युद्ध (War) की वज़ह से देश में पाकिस्तान के प्रति नफ़रत (Hate) का माहौल (Ambience) बना हुआ था, जिसका फ़ायदा फ़िल्म को भी मिला, साथ ही यह फ़िल्म बँटवारे  के ऊपर बनी एक बेहतरीन फ़िल्म बनकर भी उभरी।

किरदार व कलाकार –
फ़िल्म के मुख्य किरदार तारा सिंह के रूप में पहली पसंद सनी देओल ही थे। हालांकि बीच में ऐसी अफवाह (Rumor) भी उड़ी थी कि गदर फिल्म पहले गोविंदा को ऑफर (Offer) की गई थी लेकिन गोविंदा को लगता था इस फिल्म में तारा सिंह का जो रोल (Role) लिखा गया था उसके लिए वे फिट (Fit) नहीं हैं क्योंकि उन दिनों उनकी छवि रोमांटिक हीरो की थी। ऐसी अफवाहों का खण्डन (Rebuttal) करते हुये निर्देशक (Director) अनिल शर्मा ने बॉलीवुड हंगामा को दिये एक इंटरव्यू में बताया था कि, “मैंने गदर के लिए गोविंदा को कभी साइन (Sign) नहीं किया गया था दरअसल (In fact) मैं उन्हें महाराजा फ़िल्म में निर्देशित कर रहा था। उसी दौरान मैंने गोविंदा को गदर – एक प्रेम कथा की कहानी सुनाई थी। ऐसा नहीं था कि मैंने उन्हें कास्ट (Cast) किया था बल्कि वो तो गदर की कहानी सुन के डर गए थे।” सनी देओल को साइन (Sign) करने के लिए अनिल शर्मा ने धर्मेंद्र की मदद (Help) ली थी और धर्मेंद्र के कहने पर ही सनी देओल ने ये कहानी सुनी (Heard) थी। अनिल शर्मा बताते हैं कि फिल्म की शूटिंग पूरी होने में सवा (Quarter past)  साल इसलिए लगे क्योंकि सनी देओल हर शेड्यूल (Schedule) के बाद दाढी (Beard) बढ़ाने के लिए दो महीने का ब्रेक (Brake) लेते थे। उस ब्रेक में वो क्लीन शेव होकर दूसरी फिल्मों की शूटिंग (Shooting) किया करते थे।

गदर फ़िल्म की नायिका (Heroine) सकीना के लिये ढेरों (Many) बड़ी अभिनेत्रियों से बात की गयी लेकिन कुछ अभिनेत्रियों को स्क्रिप्ट (Script) समझ में नहीं आयी तो किसी को रोल (Role) पसंद नहीं आया। अनिल शर्मा बताते हैं कि जब काम नहीं बना, तो उन्होंने ऑडिशन (Audition) लेने का फैसला किया जिसके बाद लगभग 400 लड़कियों के आवेदन (Application) आये जिनमें से लगभग 40 लड़कियों के ऑडिशन लिये गये और इस ऑडिशन में अमीषा पटेल चुन ली गयी। अमीषा पटेल ने उसी दौरान अपनी पहली फ़िल्म ‘कहो न प्यार है’ की शूटिंग स्टार्ट (Start) की थी। गदर उनकी कैरियर की दूसरी Blockbuster फिल्म साबित हुई। बताया जाता है कि गदर की शूटिंग के दौरान अमीषा पटेल सनी देओल से हमेशा डरी-डरी सी रहती थीं। यहां तक कि अमीषा अपने डायलॉग (Dialogue) ही भूल जाती थीं। अमीषा शूटिंग से घंटों पहले आतीं और अच्छे से रिहर्सल (Rehearsal) करतीं लेकिन सनी देओल के सामने आते ही वे सब भूल जातीं।

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इस फ़िल्म में अमरीश पूरी भी अशरफ अली की दमदार भूमिका में नज़र आये थे। अनिल शर्मा बताते हैं कि जब उन्होंने अमरीश पुरी जी को फ़िल्म की कहानी सुनाई तो उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने तुरंत इसके लिए हामी भर दी। कम लोगों को ही पता होगा कि इस फिल्म में सनी देओल और अमीषा पटेल के बेटे जीते के किरदार में जो मासूम (Innocent) बच्चा दिखा था, वह असल (Original) में फिल्म के डायरेक्टर अनिल शर्मा के बेटे हैं जिनका नाम उत्कर्ष शर्मा है। इस फ़िल्म में ओम पुरी जी की दमदार (Strong) आवाज़ भी सुनाई देती है जो हमें फ़िल्म की कहानी के साथ जोड़ने का काम करती है।

गीत- संगीत-
फ़िल्म गदर का सुपरहिट संगीत लेजेंडरी (Legendary) म्यूजिक डायरेक्टर उत्तम सिंह जी ने दिया है और फ़िल्म के सभी गीत महान (Great) गीतकार (Songwriter) आनंद बख्शी जी द्वारा लिखे गए हैं। इस फ़िल्म के संगीत (Music) की सफलता का अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि इसके साउंडट्रैक की लगभग 2.5 मिलियन प्रतियां बिक गयी थीं। इस फ़िल्म के गाने लोग आज भी सुनते हैं जो आज भी उतने ही तरो ताज़ा लगते हैं। कम लोगों को ही पता होगा कि फ़िल्म के एक गीत “हम जुदा हो गए” को गाने वाली प्रीति उत्तम जी संगीतकार उत्तम सिंह जी की बेटी हैं।

शूटिंग व लोकेशन-
गदर पंजाब और लखनऊ के अलावा ‘बिशप कॉटन स्कूल, शिमला’ और शिमला के अन्य कई स्थानों (Places) पर शूट (Shot) की गई थी। इसका एक हिस्सा सेक्रेड (Sacred) हार्ट सीनियर सेकेंडरी (Secondary) स्कूल, डलहौजी में भी शूट किया गया था। लखनऊ और रुदौली शहर को पाकिस्तान के रूप में फ़िल्माया गया था साथ ही कुछ हिस्सों की शूटिंग ‘ला मार्टिनियर बॉयज़ स्कूल, लखनऊ’ में भी की गई थी।

ग़दर एक प्रेम कथा फिल्म के शुरुआती दृश्यों (Scenery) में जो Steam Engine वाली ट्रेन दिखाई गई है उस ट्रेन को दिल्ली म्यूजियम (Mesum) से लिया गया था। अनिल बताते हैं कि “हमने लखनऊ में पाकिस्तान का सेट (Set) रीक्रिएट किया था। हमें पार्टिशन (Partition) के वक्त के स्टीम इंजन दिखाने थे, वह भी बड़ी मुश्किल से मिला था। उन दिनों वीएफएक्स (VFX) तो होता नहीं था ऐसे में किसी सीन में 50 हजार के क्राउड (Crowd) को इकट्ठा (Collect) करने में काफी वक्त जाता था।” फ़िल्म में बँटवारे के सीन की शूटिंग पठानकोट , सरना और अमृतसर में की गई थी ।

बजट व कमाई-
गदर फिल्म को बनाने में लगभग 19 करोड़ रुपये लगे थे। फिल्म रिलीज़ (Release) होने के बाद ये भारत की सबसे सफल फिल्मों में से एक बन गई और उस समय की सबसे ज्यादा (More) देखे जाने वाली दूसरी हिन्दी फिल्म भी बन गई थी। गदर: एक प्रेम कथा  90 के दशक (Century) के बाद से अब तक की सबसे अधिक देखे जाने वाली फ़िल्मों में टॉप 3 भारतीय फिल्मों में शामिल है। कमाई (Earnings) की बात करें तो यह ‘हम आपके हैं कौन’ के बाद सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म बनकर उभरी थी। गदर फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कुल ₹78 करोड़ रुपये की कमाई की थी। वर्ल्डवाइड कलेक्शन की बात करें तो वह 190 करोड़ के आस-पास था, जिसे अगर आज के समय में देखा जाए तो यह 1000 करोड़ से कहीं अधिक है।

अवाॅर्ड-
लगान और गदर दोनों एक साथ रिलीज़ हुईं और दोनों ब्लॉकबस्टर (Blockbuster) रहीं। ज़ाहिर सी बात है कि अवाॅर्ड (Award) समारोहों (Ceremonies) में दोनों ही फिल्मों को एक बराबर नॉमिनेशन 9Nomination) भी मिलना ही था, हालांकि फ़िल्मफेयर (Filmfare) अवाॅर्ड की बात करें तो उस वर्ष ज़्यादातर अवॉर्ड लगान को ही मिला था। गदर को सिर्फ एक अवॉर्ड हासिल (Achieved) हुआ था और वो था फिल्मफेयर बेस्ट एक्शन अवॉर्ड जो टिनू वर्मा को मिला इसके अलावा फिल्मफेयर स्पेशल परफॉर्मेंस अवार्ड के लिये अमिषा पटेल को भी सम्मानित (Honored) किया था, हालांकि यह सर्वश्रेष्ठ (Best) अभिनेत्री का पुरस्कार (Prize) नहीं था। बहरहाल (However) फ़िल्म फेयर की ओर से न सही लेकिन सांसुई सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार और वार्षिक फिल्मगोर्स अवॉर्ड्स- बेस्ट ऐक्ट्रेस का पुरस्कार हासिल करने में अमिषा पटेल सफल रही थीं। इसके अलावा सांसुई सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार, उत्कृष्ट (Excellent) प्रदर्शन के लिए ज़ी सिने स्पेशल अवाॅर्ड- मेल और स्टार स्क्रीन अवॉर्ड बेस्ट ऐक्टर के लिये सनी देओल भी सम्मानित किये गये थे।

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अन्य तथ्य-
1- फिल्म गदर की कामयाबी का आलम यह था कि कुछ जगहों पर इसका पहला शो (Show) सुबह छह बजे से भी शुरू किया गया था। लोग ढोल ताशे लेकर फिल्म देखने जाते और भीड़ इतनी कि जितने लोग सीटों (Seats) पर बैठे होते, उतनी ही भीड़ खड़े होकर सिनेमा देख रही होती थी। ऐसा नज़ारा लगान फ़िल्म में देखने को कभी नहीं मिला था। फिल्म गदर एक प्रेम कथा ने भारत में सबसे ज्यादा टिकटें बेचने का भी रिकॉर्ड (Record) बना दिया था।

2-  ‘गदर’ और ‘लगान’ दोनों साथ रिलीज़ हुईं और दोनों को बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त रिस्पॉन्स (Response) मिला था। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ इससे पहले भी आमिर खान और सनी देओल की फ़िल्में एक साथ रिलीज़ हुई थीं और कामयाब (Succeeded) हुई थीं। साल 1990 में दिल और घायल भी एक ही दिन रिलीज हुई और दोनों ही कामयाब रही थीं। इसके अलावा साल 1996 में राजा हिंदुस्तानी और घातक (Fatal) फिल्में भी एक ही महीने में रिलीज हुईं थीं और दोनों ने शानदार कामयाबी हासिल की थीं।

3-  फिल्म गदर में सनी देओल के हैंडपंप (Handpump) उखाड़ने (Uproot) वाले सीन को इतना पसंद किया गया था कि जब सनी देओल चुनाव में खड़े हुए तो उनकी रैलियों में ख़ूब हैंडपंप दिखाई पड़े। साथ ही वे इस फ़िल्म के डॉयलॉग बोलते भी ख़ूब नज़र आये।

4- गदर फिल्म सनी देओल की कैरियर की अब तक सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म है।

5- फ़िल्म हर तरह से उम्दा (Fine) बनी है लेकिन फिर भी फ़िल्म में एक ग़लती हो ही गयी जो कहीं न कहीं संगीत (Music) के जानकारों को खटकती है। दरअसल फिल्म की कहानी साल 1947 के आस-पास की है और इसमें ” क्यू सेरा सेरा ” का संगीत इस्तेमाल किया गया है जो पहली बार साल 1956 में रिलीज़ हुआ था।

सीक्वल-
ZeeStudios और अनिल शर्मा प्रोडक्शंस (Productions) द्वारा निर्मित सनी देओल और अमीषा पटेल की फिल्म गदर 2 जल्द ही सिनेमाघरों में धूम मचाने आ रही है जो गदर एक प्रेम कथा का सीक्वल (Sequel) है और इसमें ज़्यादातर उन्हीं कलाकारों को लिया गया है जो पहले भाग में थे। साल 2001 में रिलीज हुई फिल्म गदर जहां 1947 में भारत के बंटवारे के दर्द को बयां करती हैं, वहीं इसका सीक्वल भारत-पाकिस्तान के एंगल से आगे बढ़ेगा।

फ़िल्म के ट्रेलर (Trailer) और पोस्टर (Poster) की कामयाबी व सोशल (Social) मीडिया पर इसके सीक्वल को लेकर मचे तूफान को लेकर ऐसी उम्मीद की जा रही है यह सीक्वल भी बॉक्स ऑफिस पर गदर मचाने में कामयाब होगा। गदर के सीक्वल ‘गदर- द कथा कंटीन्यूस (Continuous)’ में सनी देओल, अमीषा पटेल के अलावा उनके बेटे जीते की भूमिका (Role) निभाने वाले उत्कर्ष शर्मा भी मुख्य भूमिका में नजर आने वाले हैं जो अब जवान हो चुके हैं। फ़िल्म का संगीत इस बार उत्तम सिंह की जगह मिथुन ने तैयार किया है इसलिए यह देखना भी दिलचस्प होगा कि इस फ़िल्म का संगीत उस जादू को दोहरा पायेगा या नहीं क्योंकि गदर फ़िल्म जितना अपनी कहानी, अभिनय व संवाद के लिये याद की जाती है उतना ही अपने

संगीत के लिये भी जानी जाती है। ।

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