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कहानी : क्रिकेट के दो महान खिलाड़ी लारा और कुमार संगकारा की

कहानी क्रिकेट दो महान खिलाड़ी की लारा और संगकारा की
कहानी : क्रिकेट के दो महान खिलाड़ी लारा और कुमार संगकारा की

क्रिकेट :  वक़्त इस संसार की सबसे शक्तिशाली वस्तु मानी जाती है। लम्हें कब चुटकियों में बीत जाते हैं पता नहीं चलता। दौर के दौर गुजर जाते हैं और बस यादें छोड़ जाते हैं।  ऐसी ही अनगिनत यादें क्रिकेट प्रेमियों से भी जुड़ी हुई हैं। हर दौर ने अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर देखा है, चाहे वो हमारे दादाजी के दौर का हो या पिता जी के दौर का। ऐसे में जब आप उनके दौर के खिलाड़ियों की चर्चा सुनते हैं तो क्या आपने कभी उनके चेहरे पर वो बीत चुकी मुस्कान देखी है?

तब हम सोचते हैं कि काश! हम भी उस दौर अपने पिता वाली पीढ़ी के साथ देख पाते। ख़ैर यह तो नामुमकिन है। लेकिन हम उनकी और अपनी पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों की एक साथ चर्चा करें तो वो ख़्वाब कुछ हद तक मुकम्मल हो सकता है।

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आज इस सीरीज की शुरुआत करेंगे बाएं हाथ के सबसे स्टाइलिश बल्लेबाजों के साथ, जी हां, आपके दिमाग में जिन दो बल्लेबाजों की छवि उभरी है हम उन्हीं की बात करेंगे; उस दौर के ब्रायन लारा और इस दौर के कुमार संगकारा के बारे में।

ब्रायन चार्ल्स लारा “द प्रिंस”; हमारे धुँधले बचपन में अपने कैरियर के आख़िरी दौर में खेलने वाला बल्लेबाज, जिसके साथ उस दौर में श्री लंका के एक और स्टाइलिश बैट्समैन कुमार संगकारा का सूर्य उदित हो चुका था।

आपके पिताजी तब शायद अपने ट्वेंटीज़ मे रहे होंगे, जब उन्होंने 6 जून 1994 के अखबार में या जुलाई की “क्रिकेट सम्राट” में वारविकशायर के बल्लेबाज ब्रायन लारा के नाबाद 501 रनों के बारे में पढ़ा होगा, औऱ अपने दोस्तों से वो यही चर्चा कर रहे होंगे कि ” यार ये तो डॉन ब्रैडमैन से भी तेज़ खेला, ये जरूर टेस्ट में 400 रन तो बनाएगा एक दिन।”  लारा, MRF के स्टीकर वाले बल्ले के साथ सचिन और स्टीव वॉ के समकक्ष या यूं कहें कि उनसे भी ज़्यादा स्टाइलिश।  साल था 2001, तब लारा के स्क्वायर कट्स पर टोनी ग्रेग की ये लाइन्स हमेशा के लिए कानों में बस गयी ” लारा! ऑन द बैकफुट, ओवर द बॉल, बॉल गोज ऑन ए जेट स्पीड फॉर फोर; द प्रिंस इस हुमिलिएटिंग द ग्रेट मैक्ग्रा हीयर”।  आपके सबसे छोटे  चाचा तब यही डिस्कस किया करते थे कि क्या लारा के बल्ले में स्प्रिंग है, ये इतनी तेजी से कट कैसे मार सकता है।

दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि टेस्ट मैचों में सर्वाधिक स्कोर का रिकॉर्ड लारा ने 2 बार अपने नाम किया, एक तो आप जानते ही हो एंटीगुआ टेस्ट में 400 नाबाद। उससे पहले 375 रन बनाकर उन्होंने ये कारनामा किया था जिसे कुछ ही समय मे मैथ्यू हेडेन ने 380 रन बनाकर तोड़ दिया था।

साल था 1998। सुबह को रेडियो में BBC के खेल समाचारों में सुना कि वेस्टइंडीज ऑस्ट्रेलिया से बारबाडोस टेस्ट हारने के करीब पहुँच चुकी है, क्योंकि टारगेट था 308 का, वेस्टइंडीज का स्कोरकार्ड दिखा रहा था 105 रनों पर 5 विकेट। लेकिन अगले दिन सुबह रेडियों ऑन हुआ, BBC के खेल समाचार आये कि लारा के नाबाद 153 रनों की बदौलत वेस्टइंडीज ने बारबाडोस टेस्ट जीत लिया है। उसी 153 रनों की पारी को विजडन ने टेस्ट इतिहास की दूसरी सबसे महान पारी अंकित किया है।

अपने बड़ों से पूछना लारा की पुल और हुक या कवर ड्राइव और स्क्वायर कट , कौन सा कॉम्बिनेशन सबसे पॉवरफुल लगता था। लारा और सचिन, दोनों का कमोबेश एक ही साथ डेब्यू, सचिन 89 में तो लारा 90 में। दोनों जब तक साथ खेले, क्रिकेट को उसकी सबसे बेहतरीन यादें मिली। केवल सचिन ही नहीं, लोग लारा की बैटिंग सुनने के लिए भी रेडियो चलाया करते थे। 1994 के विल्स कप के पहले ही मैच में 74 बना कर लारा भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के चहेते हो गए। तब से तो बस टेस्ट के हर दिन के अंत मे एक ही सवाल छाया रहता था कि लारा आउट या अभी भी खेल रहा है? लारा की बल्लेबाजी के जो किस्से हम सुनते हैं वो हमसे पूर्व की पीढ़ी ने लाइव देखे और सुने हैं। कैसे बिना ग्रिल के हेलमेट पहन के आने वाला बल्लेबाज इतनी हाई बैकलिफ्ट से जब शॉट मारता है, तो बॉल के बल्ले पर लगने वाली आवाज़ बता देती है बॉल किस गति से बाउंड्री की तरफ़ जा रही है।

2007 विश्व कप में लारा की रिटायरमेंट थी, हम तो छोटे थे, लेकिन अभी याद आता है जब लारा ने अंतिम पारी के बाद पूछा था” क्या मैंने आपको एंटरटेन किया?” मेरे पिता की आँखें नम हो गयी उन्होंने आंखें कुछ देर बंद की और दिल पर हाथ रखकर कहा “थैंक यू प्रिंस, आपने हमारे युवा दौर को अपने खेल से हमेशा यादगार बनाये रखा।”  आज जाकर समझ आता है कि वो क्या दौर रहा होगा, जिस दौर के खिलाड़ी के रिटायर होने पर लोग इतने भावुक हो गए थे। नारद टीवी की ओर से भी ” थैंक यू प्रिंस”।

लारा के बाद क्रिकेट को जो बाएं हाथ का स्टाइलिश बल्लेबाज मिला, वो आने वाले श्रीलंका के क्रिकेट का सबसे सफल टेस्ट विकेटकीपर बल्लेबाज बना, नाम है कुमार संगकारा। रोमेश कलुवितरणा के रिटायरमेंट के बाद विकेट के पीछे श्रीलंका का 15 साल तक नेतृत्व किया। बाएं घुटने पर बैठकर कवर ड्राइव लगाती हुई संगकारा की फ़ोटो लगभग हर मैगज़ीन में दिख जाया करती थी। डीप कवर वाले कैमरा एंगल से सांगा की कवर ड्राइव उतनी ही बेहतरीन लगती थी जितनी कि स्ट्रेट कैमरे से सचिन की स्ट्रेट ड्राइव। भले ही संगकारा के नाम आज ढेरों रिकार्ड्स दर्ज हों ,पर वो 2011 विश्व कप फाइनल में हारने के बावजूद उनकी वो मुस्कान याद है ना! जब श्रीलंका बल्लेबाजी कर रही थी और युवी ने जैसे ही सांगा को आउट किया तब आप भी और हम भी खुश होते हुए बोले होंगे ” चलो ये जल्दी आउट हो गया, बच गए” क्योंकि जयवर्धने दूसरे छोर से अच्छा खेल रहे थे।

हिंदी कमेंटरी में सुशील दोषी की कमेंटरी तो याद होगी ही, जब सांगा के कवर ड्राइव पर उनके ये अल्फ़ाज़ मुंह जुबानी याद हो जाया करते थे ” और इस बाहर निकलती गेंद को कवर की तरफ खेल दिया है, गेंद जा रही है सीमा रेखा के बाहर चार रन,.

हमारे बचपन के दौर के सांगा के किस्सों में से एक किस्सा 2009 के राजकोट वन डे मैच का भी है, हम लोग तब स्कूल से वापस आ रहे थे जब एक दुकान में लगी टीवी में देखा कि 415 रनों का पीछा करने उतरी श्रीलंका के लिए दिलशान के साथ संगकारा भारतीय गेंदबाजों पर ऐसे टूट पड़े जैसे किसी दौर में लारा और डेस्मंड हेन्स ने किया था। हम भले ही तीन रनों से वो मैच जीत गए थे, लेकिन जब तक सांगा खेल रहे थे, हम भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं थे।

टेस्ट में 57 की औसत हो या 11 दोहरे शतक, संगकारा हमेशा मैदान में अपने खेल से आउट नहीं हो पाने का जिद्दीपन किया करते थे। ‘विकेट के पीछे संगकारा, स्लिप में जयवर्द्धने और गेंदबाज़ लसिथ मलिंगा’ हमारे बचपन की आंखों द्वारा देखा जाने वाला खूबसूरत लम्हा। 11 नम्बर की जर्सी वाला यह स्टाइलिश बल्लेबाज भारत के ख़िलाफ़ ना जाने क्यों अपनी खोई हुई फॉर्म वापस हासिल कर लेता था!

दिलशान, जयसूर्या, महेला और सांगा , हम सोचा करते थे कि ये चारों आउट कब होंगे? खासकर संगकारा, जिनकी भारत के खिलाफ टेस्ट एवरेज 57 की है, जब भी भारत के खिलाफ खेले, हमेशा शानदार खेले। उनकी शानदार ऑफ ड्राइव्स और पुल शॉट्स मन मोह लिया करते थे। कभी ओपनर , कभी फिनिशर के तौर पर सांगा ने हमें कई यादगार लम्हें दिये। जैसा हम लारा के बारे में सुना करते थे, कुछ कुछ वैसा ही हमें संगकारा की बल्लेबाजी में भी देखने को मिलता था। अपना आखिरी मैच भारत के खिलाफ खेलने वाले सांगा हमेशा हमारे लिए हमारे बचपन के सबसे स्टाइलिश बल्लेबाज़ रहेंगे, 28000 से ज्यादा रन और 3015 चौके, और हर एक शॉट को स्टाइलिश बनाने की अद्भुत कला में माहिर इस महान बल्लेबाज को नारद tv की ओर से “थैंक यू सांगा”।

इसी के साथ स्टाइलिश बल्लेबाजों की कहानी यहीं पर समाप्त होती है;

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